रोहतक में दलितों की उम्मीदें टूटीं: कांग्रेस और बीजेपी दोनों पर उठे सवाल, कौन सुनेगा दलितों की पुकार?

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दलित टाइम्स की टीम रोहतक पहुंची और वहां हमने दलित समुदाय के लोगों से बातचीत की। रोहतक, जिसे दशकों से कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है वहां का दलित समुदाय कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों से असंतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि उनके मुद्दों को बार-बार नजरअंदाज किया गया है।

Rohtak News : हमारी दलित टाइम्स की टीम रोहतक पहुंची और वहां हमने दलित समुदाय के लोगों से बातचीत की। इस दौरान हमने उनकी समस्याओं, विचारों और राजनीतिक सोच के बारे में जानने का प्रयास किया। दलित समुदाय के लोगों ने खुलकर बताया कि वे कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों से असंतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि उनके मुद्दों को बार-बार नजरअंदाज किया गया है, चाहे वह रोजगार की कमी हो, शिक्षा की गुणवत्ता, या सामाजिक न्याय से जुड़े मसले।

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झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों ने बताया

दरअसल , जब हमारी दलित टाइम्स की टीम दलित परिवारों से बातचीत की, तो उनके गुस्से की झलक साफ नजर आई। झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों ने हमें बताया कि बारिश के दौरान उनके घर टूट जाते हैं और उनके पास पक्की छत तक नहीं है। उन्होंने सरकार से बार-बार पक्के घर की मांग की, लेकिन हर बार उन्हें केवल आश्वासन ही मिला। न सिर्फ कांग्रेस, बल्कि बीजेपी से भी दलित समुदाय नाखुश है। उनका कहना है कि बीजेपी ने भी उनके उत्थान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए, जिससे उनकी निराशा और बढ़ गई है।

रोहतक, जिसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है

रोहतक, जिसे दशकों से कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है, अब वहां का दलित समुदाय कांग्रेस के खिलाफ नाराजगी जाहिर कर रहा है। दलितों का कहना है कि कांग्रेस ने हमेशा उनके वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया, लेकिन कभी भी उनके असल मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया। रोजगार, शिक्षा और पक्के घर जैसी बुनियादी आवश्यकताओं की लगातार अनदेखी की गई, जिससे उनका जीवन स्तर सुधरने की बजाय और खराब हो गया।

दलित जनता कांग्रेस से काफी हद तक असंतुष्ट

रोहतक में दलित जनता अब कांग्रेस से काफी हद तक असंतुष्ट दिखाई दे रही है। वर्षों से कांग्रेस पार्टी के मजबूत समर्थन आधार के रूप में पहचाना जाने वाला यह क्षेत्र अब धीरे-धीरे बदलाव की ओर अग्रसर हो रहा है। दलित समुदाय, जो कांग्रेस की नीतियों और वादों से अपेक्षाएं रखता था, अब पार्टी की कार्यप्रणाली से नाराज है। उनका मानना है कि पार्टी ने उनके मुद्दों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है और उनके कल्याण के लिए ठोस कदम नहीं उठाए हैं।

कांग्रेस के साथ बीजेपी से भी बेहद नाखुश

दलित समुदाय सिर्फ कांग्रेस से ही नहीं, बल्कि बीजेपी से भी बेहद नाखुश है। उनका कहना है कि बीजेपी ने भी उनके उत्थान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। उन्हें उम्मीद थी कि बीजेपी सत्ता में आने के बाद उनकी समस्याओं का समाधान करेगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। सरकार की योजनाओं का लाभ उन तक नहीं पहुंच पाया, जिससे उनके बीच असंतोष और बढ़ गया है। कई दलितों का कहना है कि वे अब ऐसे किसी भी राजनीतिक दल की ओर देख रहे हैं, जो उनके लिए वास्तविक काम कर सके और उनके जीवन को बेहतर बना सके। इस नाराजगी और उपेक्षा ने दलित समुदाय को अब नए नेतृत्व की तलाश में खड़ा कर दिया है, जो उनकी समस्याओं को हल कर सके और उन्हें विकास की मुख्यधारा में ला सके।

बच्चों की बातें सुनकर हो जाओगे भावुक

वहां जब हमारी टीम ने बच्चों से बात की, तो उन्होंने अपने जीवन की कठिनाइयों को खुलकर साझा किया। बच्चों ने बताया कि वे झुग्गी-झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं, जहां न तो उचित सुविधाएं हैं और न ही सुरक्षा। बारिश और आंधी-तूफान में उनके घर अक्सर उजड़ जाते हैं, जिससे उन्हें अस्थायी शरण ढूंढनी पड़ती है। उन्होंने सरकार से पक्के घरों की मांग की, ताकि उन्हें स्थायी निवास मिल सके और वे बेहतर जीवन जी सकें।

बच्चों ने कहा कि पढ़ाई के लिए भी उचित माहौल नहीं मिल पाता, क्योंकि घर के हालात ही इतने खराब हैं। उनका सपना है कि उन्हें भी एक ऐसा घर मिले जहां वे सुरक्षित और स्थिर जीवन जी सकें ।

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अब इन दलितों की उम्मीदें टूट चुकी हैं

इन दलित परिवारों का दर्द इस बात को उजागर करता है कि कैसे बड़े राजनीतिक दलों ने वर्षों से उनके हितों की अनदेखी की है। रोहतक जैसे कांग्रेस के गढ़ में दलित समुदाय कांग्रेस के खिलाफ हो चुका है, वहीं बीजेपी से भी उनकी नाराजगी साफ झलकती है। ये परिवार, जो आज भी झुग्गी-झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं, शिक्षा, स्वास्थ्य, और आवास जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। हर चुनाव में उनसे बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत में उनकी जिंदगी में कोई सुधार नहीं आता।

अब इन दलितों की उम्मीदें टूट चुकी हैं, और वे नए नेतृत्व या किसी ऐसे दल की तलाश में हैं, जो वास्तव में उनकी समस्याओं का समाधान कर सके। पक्के घर, रोजगार, और शिक्षा जैसी बुनियादी मांगें अब भी पूरी नहीं हुई हैं, जिससे उनकी नाराजगी गहरी हो गई है। यही वजह है कि वे अब किसी ऐसे नेता या पार्टी की ओर देख रहे हैं, जो उनके हितों की रक्षा कर सके और उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ सके।

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