Hapur news : हापुड़ कासिम मॉब लिंचिंग मामले में अदालत ने 10 आरोपियों को सुनाई आजीवन कारावास की सज़ा

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18 जून 2018 की इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें जनपद हापुड़ के गांव हावल मदापुर और बझैड़ा कलां के जंगल में दो मुस्लिम युवाओं को भीड़ ने बेरहमी से पीटा था, दोनों की पहचान कासिम और समयदीन के रूप में हुई थी….

Hapur news : मंगलवार 12 मार्च को हापुड़ की अदालत ने बड़ा फैसला देते हुए मॉब लिंचिंग के एक मामले में 10 आरोपियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। साथ ही सभी आरोपियों पर 59 हज़ार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। बता दें कि साल 2018 में उत्तर प्रदेश के हापुड़ में गोकशी की झूठी खबर के आधार पर गुस्साई भीड़ ने गांव हावल मदापुर और बझैड़ा कलां के जंगल में दो लोगों को बेरहमी सी पीटा था, जिसके बाद दोनों में से एक कासिम की बेरहमी से पीटे जाने की वजह से मौत हो गयी, वहीं दूसरा शख्स समयदीन गंभीर रूप से घायल हुआ था, लेकिन इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गयी थी।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था वीडियो

18 जून 2018 की इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें जनपद हापुड़ के गांव हावल मदापुर और बझैड़ा कलां के जंगल में दो मुस्लिम युवाओं को भीड़ ने बेरहमी से पीटा था। दोनों मुस्मिल युवकों की पहचान कासिम और समयदीन के रूप में हुई थी। जानकारी के मुताबिक लोगो को ये सूचना मिली थी कि जनपद हापुड़ के गांव हावल मदापुर और बझैड़ा कलां के जंगल में कुछ लोग अवैध रूप से गोकशी कर रहे हैं। जिसके बाद भीड़ ने जंगल में कासिम और समयदीन को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे निष्पक्ष जांच के आदेश

घटना के बाद पुलिस ने अज्ञात लोगो के खिलाफ केस दर्ज किया था, लेकिन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कोतवाली इंस्पेक्टर समेत तीन पुलिसकर्मियों को लाइन अटेच कर दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की विवेचना में हस्तक्षेप करते हुए डीआईजी मेरठ को मामले में निष्पक्ष जांच के आदेश दिए थे।

 

कौन है आरोपी

जानकारी के मुताबिक इस मंगलवार (12 मार्च 2024) को मामले की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट कोर्ट में चल रही थी। जिसमें मॉब लिंचिग के आरोपी युधिष्ठिर, राकेश, कानू उर्फ कप्तान, सोनू, मांगेराम, रिंकू, हरिओम, मनीष, ललित व करनपाल को मामले में दोषी करार देते हुए न्यायाधीश श्वेता दीक्षित ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सभी आरोपियों पर 59 हज़ार का आर्थिक दंड भी लगाया गया। विशेष लोक अभियोजक विजय कुमार चौहान के मुताबिक मामले की सुनवाई जहां पर अभियोजन पक्ष की तरफ से 23 गवाह व साक्ष्य न्यायालय में पेश किए

भारत में लगातार बढ़ रही है मॉब लिंचिग की घटनाए :

दो साल पहले (2022 में ) न्यूजक्लिक नाम के मीडिया ने अपनी वेबसाइट पर एक लेख प्रकासित किया था जिसमें यह बताया गया था कि 2015 से 2020 तक भारत में कहाँ और कितनी मॉब लिंचिंग की घटनाए हुई थीं।

20 सितंबर 2015- उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर के दादरी में 52 साल के अख़लाक़ को बीफ खाने के शक में भीड़ ने ईंट और डंडों से पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया।

27 अगस्त 2019- मेरठ में भीड़ ने बच्चा चोरी की अफवाह में एक आदमी की पिटाई करी, पुलिस ने मामला दर्ज कर आठ लोगों को गिरफ्तार भी किया था, इसके अलावा करीब 50 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था।

26 अगस्त 2019- गाजियाबाद में अपने पोते के साथ शॉपिंग करने आई एक महिला को बच्चा चोर बताकर उसे पीट दिया गया, महिला से कुछ भी पूछे बगैर उसे जमकर पीटा गया था।

7 जून 2019- जमना टाटी और अजय टाटी दो युवकों को असम में हिंसक भीड़ ने मार डाला।

1 अप्रैल 2017- हरियाणा के नूंह में रहने वाले पहलू खान अपने परिवार के साथ राजस्थान के अलवर से गाय खरीद कर लौट रहे थे, उन्हें गौ-तस्करी के शक में मौत के घाट उतार दिया गया। जबकि वो दूध के लिए गाय खरीद कर ला रहे थे।

22 जून 2017- डीसीपी मोहम्मद अयूब पंडित को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला और शव को नाले में फेंक दिया था।, आरोप सिर्फ इतना था कि अयूब पंडित मंदिर के बाहर फोटो खींच रहे थे।

3 दिसंबर 2018- अपनी ड्यूटी निभा रहे उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को भी कथित गौकशी को लेकर भड़की भीड़ ने मार डाला।

मॉब लिंचिंग में गुजरात और राजस्थान भी आगे

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि मॉब लिंचिग में गुजरात और राजस्थान भी बहुत आगे हैं। राजस्थान में 1 अप्रैल 2017 को अलवर में पहलू खान और इरशाद खान को भीड़ ने घेर कर मार डाला था, जबकि बाड़मेर में 12 जून 2017 को दो गैर मुस्लिमों की भीड़ ने हत्या कर दी थी। 25 सितंबर 2016 को बनासकांठा में संगीता और नीलेश की भीड़ ने हत्या कर दी थी। रिपोर्ट कहती हैं की मॉब लिंचिंग की 51 फीसदी घटनाओं में मुसलमानों को भीड़ की हिंसा का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ा। (लेख में दिए गए आंकड़े न्यूज़क्लिक वेबसाइट से लिए गए हैं.)

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