SC-ST, लेटरल एंट्री और अब जाति जनगणना। किसी भी मुद्दे पर मोदी सरकार का साथ क्यों नहीं दे रहे चिराग पासवान?

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चिराग पासवान ने रविवार को जातिगत जनगणना की मांग का समर्थन किया, यह मानते हुए कि इससे सरकार को हाशिए पर मौजूद जातियों के लिए बेहतर योजनाएं तैयार करने में मदद मिलेगी। उनकी यह टिप्पणी विपक्षी दलों के जातिगत जनगणना के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच आई है। पासवान का कहना है कि जनगणना से समाज के सभी वर्गों की सही तस्वीर सामने आएगी, जिससे समावेशी विकास की योजनाएं बनाई जा सकेंगी।

Chirag Paswan Reaction: जातिगत जनगणना की मांग भारत में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। देश की कई राजनीतिक पार्टियां और दलित, आदिवासी औपर पिछड़े वर्ग के नेता इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा रहें है। लेकिन अब लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के प्रमुख चिराग पासवान ने भी इसका समर्थन किया है। यह समर्थन एक राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कदम है, चिराग पासवान ने इससे पहले भी केंद्र सरकार और एनडीए के विभिन्न मुद्दों पर विरोध किया है, जैसे कि यूपीएससी लेटरल एंट्री में आरक्षण की मांग। उनकी यह भूमिका और रुख जातिगत जनगणना पर भी उनकी अलग राय और सहयोग को दर्शाते हैं, जो इस मुद्दे की जटिलता और महत्व को बढ़ाते हैं।

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चिराग पासवान ने कहा :

चिराग पासवान ने जातिगत जनगणना का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी पार्टी इस पर दृढ़ विश्वास रखती है। उनका कहना है कि जातिगत जनगणना की आवश्यकता इसलिए है ताकि राज्य और केंद्र सरकारें योजनाएं बनाते समय जातिगत दृष्टिकोण को सही से लागू कर सकें। इस जनगणना से सरकारों को हर जाति की सटीक आबादी की जानकारी मिलेगी, जो विभिन्न समुदायों को मुख्यधारा में लाने के लिए जरूरी है।

‘आंकड़ों को केवल सरकार के पास रहना चाहिए’

चिराग पासवान ने स्पष्ट किया कि वे जातिगत जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक करने के खिलाफ हैं, क्योंकि इससे समाज में विभाजनकारी परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। उनके अनुसार, इन आंकड़ों को केवल सरकार के पास रहना चाहिए, जिससे योजनाओं के कार्यान्वयन में सुधार हो सके और जनकल्याणकारी योजनाओं की सफलता सुनिश्चित की जा सके।

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विपक्ष उठा रहा राहुल जनगणना की मांग

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि लगभग 90% आबादी, जिनके पास आवश्यक कौशल और प्रतिभा है, बावजूद इसके सिस्टम से नहीं जुड़ पाती है। उन्होंने जातिगत जनगणना की मांग का कारण बताते हुए कहा, “90 प्रतिशत लोग इस सिस्टम का हिस्सा नहीं हैं। उनके पास आवश्यक कौशल और प्रतिभा है, लेकिन वे सिस्टम से जुड़ नहीं पाते। यही कारण है कि हम जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं।”

जातिगत जनगणना पर तीखी बहस

गिरिराज सिंह ने जातिगत जनगणना को अनिवार्य बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी इसे उचित समय पर कराएंगे। उन्होंने राहुल गांधी की आलोचना करी कि कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने राज्य की जातिगत जनगणना के परिणाम अभी तक जारी नहीं किए हैं, फिर भी राष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग की जा रही है। वहीं अमित शाह ने भी पिछले साल कहा था कि बीजेपी जातिगत जनगणना के विचार के खिलाफ नहीं है, लेकिन इसके निर्णय को सोच-समझकर लेना चाहिए।

‘लेटरल एंट्री’ मामले में भी किया विरोध 

चिराग पासवान ने ‘लेटरल एंट्री’ के मामले में भी विरोध किया था। उन्होंने इस व्यवस्था के खिलाफ विरोध जताया, उनका तर्क था कि इससे योग्य और अनुभवी सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। वे इस प्रक्रिया के विरोध में थे क्योंकि उनका मानना था कि इससे सरकार के भीतर स्थिरता और कर्तव्यनिष्ठा की कमी हो सकती है।

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चिराग की राजनीतिक स्थिति हुई मजबूत

चिराग पासवान को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के बाद उनकी स्थिति पार्टी में और मजबूत हो गई है। उनके नेतृत्व में हाल के लोकसभा चुनावों में उनके गुट ने अच्छा प्रदर्शन किया, प्राप्त की गई पांच सीटें इस बात का प्रमाण हैं, जबकि उनके चाचा के गुट को कोई सीट नहीं मिली। इस सफलता ने चिराग पासवान की राजनीतिक स्थिति को और भी सुदृढ़ किया है।

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