मध्यप्रदेश में डिप्टी कलेक्टर रही निशा बांगरे एक बार फिर चर्चा में हैं। मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार को निशा बांगरे ने अपनी नौकरी में वापस लौटने का आवेदन दिया है। बता दें कि बीते साल मध्यप्रदेश चुनाव के दौरान उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा दिया था क्योंकि वह कांग्रेस पार्टी की टिकट पर बैतूल की आमला विधानसभा से चुनाव लड़ रही थी। हालांकि सीट पर नामांकन दर्ज करने के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने डिप्टी कलेक्टर के पद से उनका इस्तीफा स्वीकार किया था जिस कारण वह मध्यप्रदेश का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाई थी। अब निशा फिर अपनी प्रसाशनिक सेवा जॉइन करना चाहती हैं।
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बता दें कि निशा बांगरे दलित समाज से आती हैं। वह मध्यप्रदेश के छतरपुर में एसडीएम के पद पर काम कर रही थीं। लेकिन कॉंग्रेस पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ाए जाने के प्रलोभन के बाद निशा बांगरे ने अपने कलेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया था। अक्टूबर 2023 में निशा बांगरे ने इस्तीफा दिया था। लेकिन शिवराज सरकार ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार नहीं किया था। इसके लिए निशा की तरफ से एक मार्च किया गया था जिसमे वह बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर लेकर मार्च में चल रही थी। हालांकि इस मार्च में निशा बांगरे के साथ बदसलूकी की गई। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया। उनके कपड़े फाड़े गए और उनके हाथ में जो बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर थी उसके साथ भी बदसलूकी की गई।
ये मार्च निशा ने सरकार से अपने इस्तीफा स्वीकार करने की मांग को लेकर किया था। नवंबर 2023 में मध्यप्रदेश में चुनाव हुए लेकिन निशा का इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ और निशा बांगरे मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव नहीं लड़ सकी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजनीतिक सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव में टिकट न मिल पाने पर प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व ने निशा को लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब आम चुनाव में भी उन्हें निराशा हाथ लगी।
बता दें कि कांग्रेस की तरफ से हाल ही में निशा को पार्टी का प्रदेश प्रवक्ता भी नियुक्त किया था। दैनिक भास्कर को दिए अपने एक इंटरव्यू में निशा बताती हैं कि प्रवक्ता बनाए जाने के बाद मुझे टीवी डिबेट्स में शामिल होने के लिए फ़ोन आने लगे। जिसके बाद मैंने अपना आवेदन बुधवार को सार्वजनिक कर दिया था। बता दें कि निशा बांगरे ने कांग्रेस की तरफ से उनके लिए हो रही लेटलतीफी के चलते जनवरी महीने में ही मध्यप्रदेश सरकार को आवेदन भेज दिया था।
एक तरह जहां कांग्रेस की तरफ से सिर्फ वादे मिले वहीं अब नौकरी में वापस जॉइनिंग के आवेदन दिए जाने की खबर पर बीजेपी उनका मजाक उड़ाती दिख रही है। बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने X पर लिखा है, ”लालच बुरी बला है और वही बुरी बला निशा बागरे को ले डूबी. चुनाव के ठीक 2 महीने पहले कमलनाथ के झांसे में आकर SDM की नौकरी से त्याग-पत्र दिया। अब कांग्रेस ने उनका मोए-मोए कर दिया।
बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों का दलितों के प्रति कैसा रवैया रहता है ये किसी से छिपा नहीं है। दलितों का फायदा उठाने में भी दोनों पार्टियां टक्कर में है लेकिन इन दोनों के बीच पिस्ता अक्सर दलित ही है। बहरहाल पढिये निशा बांगरे का वो आवेदन पत्र जो उन्होंने अपनी नौकरी में वापस लौटने के लिए सरकार को लिखा है,
1 अप्रैल 2018 से मैं मध्यप्रदेश शासन में डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदस्थ थी। अपनी सेवा काल में त्यागपत्र देने से पूर्व शासन-प्रशासन द्वारा प्रदत्त सभी अधिकारों, कर्तव्यों और निर्देशों का पूर्ण निष्ठा और समर्पण से पालन किया। आम जन के अधिकारों एवं शासन की योजनाओं को जमीन तक पहुंचाने का काम पूर्ण ईमानदारी के साथ किया है। मेरी सेवा अवधि में किसी प्रकार का कोई कारण बताओ नोटिस नहीं प्राप्त हुआ। न ही कोई विभागीय जांच हुई।
त्याग-पत्र देने के पश्चात् दुर्भावनापूर्ण कार्यवाहियां शुरू की गई। त्याग-पत्र भी परिस्थितिवश देना पड़ा, तब स्वयं के मकान के अंदर होने वाली पूजा में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई थी।
त्याग-पत्र देने के बाद राष्ट्र एवं जनहित को ध्यान में रखते हुए विधानसभा चुनाव 2023 में प्रत्याशी के रूप में भाग लेने के लिए दोबारा 12 सितंबर 23 को त्यागपत्र स्वीकार किए जाने के लिए आवेदन दिया। लेकिन, त्याग-पत्र 23 अक्टूबर 2023 को स्वीकार किया गया। मेरे वकील को आदेश 24 अक्टूबर 2023 को अवकाश के दिन बुलाकर दिया गया। 26 अक्टूबर 2023 को ईमेल के माध्यम से त्याग-पत्र स्वीकार होने का आदेश मुझे मिला।
जिस वजह से शासकीय अवकाश होने से मात्र 2 दिवस (27 अक्टूबर 23 और 30 अक्टूबर 23) मिले थे। जिसके कारण नामांकन पत्र के साथ जमा किए जाने वाले दस्तावेज (अदेयता प्रमाण-पत्र इत्यादि) नहीं जुटा पाई, और नामांकन-पत्र नहीं भर पाई।
अतः जिस आधार पर त्याग-पत्र स्वीकार किया गया था, (विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेने) वह परिस्थिति बन ही नहीं पाई। अतः आवेदिका पुनः डिप्टी कलेक्टर के रूप में सेवाएं देना चाहती हूं। 23 अक्टूबर 2023 को त्याग-पत्र स्वीकार होने के बाद से आज तक आवेदिका ने किसी भी निजी अथवा शासकीय संस्था में नियुक्ति नहीं प्राप्त की है। अतः आवेदिका का त्याग-पत्र वापस लेने का यह आवेदन सहानुभूतिपूर्वक स्वीकार किए जाने का अनुरोध है। मैं दिए गए दायित्वों का निर्वहन पूर्ण निष्ठा एवं समर्पण से करूंगी।
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