कर्नाटक में दो साल के दलित बच्चे के मंदिर में प्रवेश करने पर 25000 का जुर्माना

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कर्नाटक में कोप्पल जिले के मियापुर गांव में 2 साल के दलित बच्चे को मंदिर में ले जाने पर 25000 का जुर्माना लगा दिया गया। जानकारी के मुताबिक अनुसूचित जाति के चेन्नाडासा समुदाय के दो वर्षीय बच्चे के जन्मदिन के मौके पर उसके पिता 4 सितंबर को उसे मंदिर ले गए थे।

मंदिर के पुजारी और लिंगायत की उप-जाति गनीगा समुदाय के दो लोगों ने बच्चे के कृत्य पर आपत्ति जताई क्योंकि मंदिर में दलितों का प्रवेश प्रतिबंधित है। बाद में उन्होंने अपने पक्ष में कुछ लोगों को इकट्ठा कर 11 सितंबर को एक बैठक की और बच्चे के परिवार पर 25000 का जुर्माना लगाया। इन लोगों ने यह भी कहा कि जुर्माना राशि का उपयोग दलित बच्चे के प्रवेश से प्रदूषित मंदिर की शुद्धि के लिए किया जाएगा।

जुर्माना राशि का भुगतान करने में असमर्थ होने पर परिवार ने समुदाय के ही नेताओं से संपर्क किया जो गांव पहुंचे और पुलिस को सूचित किया। चूंकि परिजन शिकायत दर्ज कराने में आनाकानी कर रहे थे, इसलिए पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की। हालांकि, उन्होंने गांव में मंदिर परिसर में सभी समुदायों के प्रतिनिधियों की एक बैठक की और ग्रामीणों को इस तरह की प्रथाओं की पुनरावृत्ति पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी।

चेन्नाडासा सामुदायिक संगठन के जिला अध्यक्ष रामलिंगप्पा दस ने मीडिया को बताया कि यह गनीगा लिंगायत बहुल एक बड़ा गांव है। गांव में केवल तीन चेन्नादासा परिवार हैं। गांव में करीब 30 अन्य अनुसूचित जाति परिवार हैं। यदि वह लोग उच्च जाति के लोगों के खिलाफ कानूनी रूप से मामले को आगे बढ़ाने के लिए आगे बढ़ते, तो इसका गाँव में रहने वाले दलित परिवारों पर भी प्रभाव पड़ सकता था। इसके अलावा, दलित परिवार पर जुर्माना लगाना गाँव के सभी लिंगायतों का सामूहिक निर्णय नहीं था। उनमें से केवल कुछ ने ही यह निर्णय लिया जिसका बाद में अन्य लिंगायत नेताओं ने स्वयं विरोध किया। चूंकि लिंगायत नेताओं ने खुद अपना अपराध स्वीकार कर लिया और भविष्य में इसे नहीं दोहराने का वादा किया, इसलिए चेन्नाडासा समुदाय ने अध्याय को वहीं बंद करने का फैसला किया है।

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