इण्डिया टुडे इण्डिया टुडे की टॉप 100 प्रभावशाली नुमाइंदे की लिस्ट में जगह बनाने वाले चंद्र शेखर आज़ाद उर्फ रावण साल 2015 में पहली बार अपने गांव के प्रवेश द्वार लगे एक बोर्ड को लेकर विवादों में आए थे। उन्होंने बोर्ड पर ‘द ग्रेट चमार्स’ लिखा था। उनके इस कदम के बाद गांव में दलित और ठाकुर के बीच तनाव पैदा हो गया था। हालांकि, बाद में उन्होंने अपने नाम से ‘रावण’ उपनाम हटा लिया।
उन्होंने विनय रतन आर्य के साथ मिलकर 2014 में भीम आर्मी या भीम आर्मी भारत एकता मिशन की स्थापना की है। बताया जाता है कि ये दलित चिंतक सतीश कुमार के दिमाग की उपज है। इस संगठन के साथ 7 राज्यों में 40 हजार से अधिक लोग जुड़े हैं। बसपा संस्थापक कांशीराम के जन्म दिन 15 मार्च, 2020 को उन्होंने नए सियासी दल आजाद समाज पार्टी का गठन कर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
दलितों के मुद्दों को लगातार आक्रामक ढंग से उठाकर चंद्रशेखर और उनकी आर्मी दलित युवाओं को अपनी ओर खींच रही थी। पंजाब और हरियाणा में भी इससे जुड़े युवा दलितों की खासी तादाद है। 2021 में टाइम मैगजीन ने चंद्रशेखर आजाद के बारे में लिखा कि, ‘वो दलित समुदाय को गरीबी से उबारने के लिए शिक्षा को महत्व देते हैं और स्कूल भी चलाते हैं। वो आक्रामक हैं और बाइकों पर जातीय हिंसा के शिकार लोगों की रक्षा के मकसद से गांवों में जाते हैं।
सितंबर साल 2016 में सहारपुर के छुटमलपुर में स्थित एएचपी इंटर कॉलेज में दलित छात्रों की कथित पिटाई के बाद हुए विरोध प्रदर्शन के बाद पहली बार यह संगठन सुर्खियों में आया था। साल 2017 में सहारनपुर में महाराणा प्रताप की जयंती पर तेज आवाज में गाना बजाने को लेकर दलितों ने शिकायत की थी। इसके बाद हुई हिंसा में कथित तौर पर दलितों के 25 घर जला दिए गए थे और एक की मौत हो गई थी। इस हिंसा के विरोध में जब प्रदर्शन किया गया तो पुलिस ने 37 लोगों को जेल में डाल दिया। इतना ही नहीं 300 लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया।
*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *
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