बिलकिस बानो केस के 5 दोषियों ने स्वास्थ्य का हवाला दे आत्मसमर्पण के लिए SC से मांगा समय

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Dalit Dastak Desk : सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को बिल्किस बानो (Bilkis Bano) के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और उनके परिवाजनों की हत्या मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया सुनाते हुए गुजरात सरकार को कटघरे में खड़ा किया था, जिसके बाद जिन 11 दोषियों को गुजरात की भाजपा सरकार ने रिहा कर दिया है उनका जेल जाना तय हो गया था। सुनवाई में कोर्ट ने ​कड़े शब्दों में कहा कि गुजरात सरकार कोई अधिकार नहीं था कि वह बलात्कारियों और हत्यारों की सजा माफ कर उन्हें रिहा करे।

गौरतलब है कि गुजरात सरकार ने वर्ष 2022 में बिल्किस गैंगरेप और उनके परिजनों की हत्या के 11 दोषियों की सज़ा में छूट देते हुए उन्हें रिहा कर दिया था, जिनका फूल-मालाओं से स्वागत किये जाने के तमाम ​वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। गुजरात सरकार द्वारा दोषियों को रिहा किये जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिस पर सुनवाई के दौरान यह फैसला कोर्ट ने सुनाया।

अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) के फैसले के बाद इस मामले में एक नाटकीय मोड़ यह आया है कि 11 में से 5 ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर आज गुरुवार 18 जनवरी को कोर्ट से आत्मसमर्पण के लिए और समय मांगा है। पहले भी जेल में रहने के दौरान दोषियों को कई बार अलग अलग कारणों से पैरोल मिलती रही। ऐसे में यह सवाल उठने भी शुरू हो चुक हैं कि बिल्किस बानो के बलात्कारी और उसके परिवार के 7 लोगों को मौत के घाट उतारने वाले शायद ही दोबारा जेल की सलाखों के पीछे पहुंचें। हालांकि कोर्ट ने 2 हफ्ते के भीतर दोषियों को फिर से जेल में डालने का आदेश दिया था।

अब बिल्किस बानो के दोषियों ने खराब स्वास्थ्य, सर्जरी, बेटे की शादी और पकी फसलों की कटाई का हवाला देते हुए आत्मसमर्पण की समयसीमा बढ़ाने की मांग की कोर्ट से की है। दोषियों ने यह आवेदन न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ के सामने पेश किया है। इस पीठ ने अदालत का स्थायी सचिवालय ;रजिस्ट्रीद्ध से कहा कि वे आवेदनों को मुख्य न्यायाधीश ;सीजेआईद्ध डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष प्रस्तुत करें।

दोषियों को आत्मसमर्पण के लिए समयसीमा बढ़ाने को लेकर न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने कहा, आत्मसमर्पण करने और जेल में भेजने के लिए समय बढ़ाने के आवेदन दायर किए गए हैं। पीठ का पुनर्गठन किया जाना है। रजिस्ट्री को पीठ के पुनर्गठन के लिए सीजेआई से अनुमति लेने की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि ;दोषियों का आत्मसमर्पण करने का समयद्ध रविवार 21 जनवरी को खत्म हो रहा है।

आत्मसमर्पण की अर्जी दायर करने वाले पांचों दोषियों की ओर से वरिष्ठ वकील वी चिंबरेश ने 21 जनवरी को आत्मसमर्पण का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत से शुक्रवार 19 जनवरी को मामले पर सुनवाई का अनुरोध किया। जिन पांच दोषियों ने उच्चतम न्यायालय ने राहत मांगी है, उनमें गोविंद नाई, प्रदीप मोरधिया, बिपिन चंद्र जोशी, रमेश चंदना और मितेश भट्ट शामिल हैं।

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