क्या बहुजन समाज में नई उम्मीद जगा पाएंगे आकाश आनंद ?

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बसपा के नेशनल कॉर्डिनेटर और स्टार प्रचारक आकाश आनंद ने राजनीति में उतरने के बाद जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करनी शुरू कर दी है। देखा जाए तो आकाश आनंद का राजनीतिक सफर सहारनपुर में आयोजित एक रैली से शुरू हुआ और फिर धीरे धीरे वह बहुजन समाज के साथ साथ तमाम लोगों के बीच लोकप्रिय होने लगे।

आकाश आनंद के जनता के बीच लोकप्रिय होने के पीछे का कारण उनकी कड़ी मेहनत, परिश्रम और बहुजन समाज के प्रति वह समर्पण है जो उनकी रैलियों में उनके भाषणों में साफ तौर पर झलकता है। जब जनता को सम्बोधित करते हुए मंच से आकाश आनंद यह हुंकार भरते हैं कि “अरे बहुजन समाज से हो, बहुजन समाज से, कभी मत झुकना, कभी न रुकना, अपनी जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीने वाले हो तुम!” इस हुंकार में आकाश आनंद की बहुजन समाज के प्रति ऊर्जा और समर्पण साफ दिखाई देता है।

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2017 में राजनीति में लांच होने और बसपा के नेशनल कॉर्डिनेटर बनने के बाद आकाश आनंद ने ज़मीनी स्तर पर उतरकर बहुजन समाज के लोगों से मिलना शुरू किया। छोटी-बड़ी जनसभाएं करनी शुरू की और बहुजन समाज के लोगों के साथ साथ तमाम समुदायों के लोगों की परेशानियों को सुनना और उनका हल निकालना शुरू किया। आकाश आनंद जब विपक्षी पार्टियों पर हमला करते हुए ट्वीट करते हैं तो उनके ट्वीट्स में वह राजनीतिक परिपक्वता और सूझबूझ नज़र आती है जो एक राजनीतिक व्यक्ति के भीतर होनी चाहिए।

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आंध्र प्रदेश के तिरुपति में आयोजित एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए मंच से आकाश आनंद, बाबा साहेब के विचारों के भारत का स्वरूप दिखाते हुए जब यह कहते हैं कि “कल्पना करो एक ऐसा भारत जहाँ स्कूलों में बच्चों के साथ भेदभाव नहीं होता है। ऐसा है बाबा साहेब के विचारों का भारत। जहाँ पर महिलाओं पर अत्याचार नहीं होता। ऐसा है बाबा साहेब के विचारों का भारत।” इस बात से यह साफ ज़ाहिर होता है कि आकाश आनंद बाबा साहेब के विचारों से कितने प्रभावित हैं और वह बाबा साहेब के विचारों के भारत की स्थापना करने के लिए संकल्पबद्ध हैं।

राजनीति में बहुजन समाज की पकड़ मजबूत करने के लिए आकाश आनंद जी जान से मेहनत करने में जुटे हुए हैं। वह लगातार समाज के लोगों से मिलने के लिए और उनसे बातचीत करने के लिए तथा सीखने के लिए जनसभाएं और बैठकें करते हैं। आकाश आनंद ने इसी सिलसिले में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में एक बैठक का आयोजन किया तथा वहाँ छात्रों से मिले। आकाश आनंद ने राजनीतिक पहलुओं को सीखने के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर्स से बातचीत की और उनसे जरूरी बातें भी सीखीं।

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वर्तमान समय में ट्विटर राजनीतिक विचारों को व्यक्त करने के लिए एवं कटाक्ष करते हुए विपक्षी दलों को कठघरे में लाने का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। आकाश आनंद की राजनीतिक परिपक्वता उनके ट्वीट्स में भी साफ दिखाई देती है। जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भारतीय करेंसी पर गांधी के साथ-साथ लक्षमी और गणेश की तस्वीर लगाने की मांग केंद्र सरकार से की थी तब आकाश आनंद ने ट्वीट कर अरविंद केजरीवाल को जवाब दिया और लिखा कि, “क्या रंग बदलू पार्टी है ये..

एक तरफ तो बाबासाहेब की तस्वीर लगा कर बहुजन हितैषी होने का ढोंग करते हैं और दूसरी तरफ वोट लेने के लिए नोट बदलने की बात करते हैं। केजरीवाल साहब, अच्छा होता अगर आप नोटों पर बाबा साहेब की तस्वीर की बात करते जिन्होने सामाजिक न्याय की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ी है।” तो यह साफ ज़ाहिर हो जाता है कि वह धर्मनिरपेक्षता और सौहार्द को लेकर कितने सजग हैं।

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आकाश आनंद की राजनीति में सक्रियता और नए दृष्टिकोण को देखते हुए तथा बसपा को मजबूत करने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस साल के आखिर में होने वाले गुजरात के विधानसभा चुनाव और फिर 2023 में राजस्थान और मध्यप्रदेश के विधानसभा के चुनावों को लेकर आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। मायावती ने कहा है कि “तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव चुनावी लड़ाई में आकाश के लिए लॉन्चपैड होगा।” बसपा सुप्रीमो के इस कदम को देखा जाए तो यह साफ ज़ाहिर होता है कि तीन राज्यों की चुनावी जिम्मेदारी आनंद को भविष्य में किसी बड़ी जिम्मेदारी के लिए तैयार करने की एक शुरुआत है।

लेखक: विशेक

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