आखिर चुनाव के बाद भी बहन कुमारी मायावती ही क्यों हैं टारगेट

mayawati
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जैसा हम सभी लोग जानते हैं उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव खत्म हो चुका है और रिजल्ट भी आ गया और सब कुछ बदल भी गया लेकिन एक बात गौर करने वाली यह है कि विधानसभा चुनाव के समय भी और रिजल्ट के बाद भी नहीं बदला है और वह विपक्षी दलों के द्वारा बीएसपी सुप्रीमों बहन कुमारी मायावती जी को लेकर तरह-तरह की अफवाहें फैलाना, बीएसपी को टारगेट करना, मीडिया द्वारा बीएसपी एवं उनकी नेता के खिलाफ नये प्रोपेगेंडा चलाना जैसे बीएसपी बी टीम कहना हुआ या बहन कुमारी मायावती जी को राष्ट्रपति बनाने की अफवाह आखिर क्यों विपक्षी दलों से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया की नजर में सिर्फ बीएसपी एवं मायावती जी? जैसा हम सभी ने देखा विधानसभा चुनाव के समय बीजेपी और खासकर सपा के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के द्वारा अफवाह फैलाया गया कि बहनजी ने बीजेपी से गठबंधन कर लिया है और वह राष्ट्रपति बनेंगी जबकि मायावती जी ने प्रेंस कान्फ्रेंस के द्वारा एवं रैलियों में भी साफ कर दिया था कि वह बीजेपी व कांग्रेस आदि किसी से भी गठबंधन नहीं करेंगी। बहनजी की इस बात को मेनस्ट्रीम मीडिया में ज्यादा दिखाया नहीं गया उल्टा सपा व बीजेपी के द्वारा फैलाएं गये अफवाह को हर डिबेट में घूम-फिरके बताया जा रहा था। और दलित वोट काटने के लिये बीजेपी एवं सपा ने अपनी घटिया चालें चलीं, और इस प्रोपेगेंडा को चलने में खास भूमिका मेनस्ट्रीम मीडिया एवं कुछ तथाकथित बहुजन मीडिया ने बखूबी निभाया है। बीजेपी एवं सपा राजनीतिक फायदे के लिए कभी दलित कार्ड का खेल खेलते हैं तो कभी धर्म के नाम पर लोगों को आपस में लड़ाने का काम करते हैं ये मनुवादी रोग से ग्रसित दल राजनीति के लिए कितना नीचे गिर सकते हैं ये जग जाहिर है।
चाहे राष्ट्रपति वाली अफवाह हो या बी टीम वाली अफवाह
जबकि देखा जाए तो सही मायने में समाजवादी पार्टी बी टीम होने की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहीं हैं।

२०१९ में श्री मुलायम सिंह यादव जी ने अपनी इच्छा प्रकट करते हुए कहते हैं कि वह श्री नरेंद्र मोदी जी को दोबारा प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। इंसान उसी के लिए कामनाएँ करता हैं जिससे कोई रिश्ता होता है और नेता जी ने कामना किया है तो बिना रिश्ते के ऐसा कौन बोलेगा? अब पूछिये ये रिश्ता क्या कहलाता है? कौन हैं बीजेपी की बी टीम?
और यहां बात खत्म नहीं होती है, कभी नेता जी से मिलने के लिए योगी जी उनके घर आते हैं तो कभी नेता जी, श्री नरेंद्र मोदी जी से मिलने के लिए उनके पास जाते हैं तो कभी नेता जी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी के साथ मीटिंग करते हैं।
आखिर सवाल बनता है कि ये रिश्ता क्या कहलाता है?
तब क्यों नहीं सवाल करते कि सपा बीजेपी की बी टीम हैं।

तब क्यों नहीं तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग के लोग पूछते हैं कि मुलायम सिंह यादव जी को राष्ट्रपति बनने वाले हैं जो बीजेपी के साथ इतना मीटिंग कर रहे हैं। जबकि जग जाहिर है कि सपा का आधा परिवार बीजेपी में जा कर बैठा हुआ है श्री मुलायम सिंह यादव जी की छोटी बहू अर्पणा यादव बीजेपी में श्री शिवपाल सिंह यादव बीजेपी में शामिल होने वाले हैं, सपा अंदरूनी तौर पर बीजेपी के साथ गठबंधन कर के बैठा हुआ हैं। और सपा का खुद का यादव समाज बीजेपी का समर्थन करते हैं और वोट देतें है।

वही दूसरी तरफ ममता बनर्जी जी ने लगातार बीजेपी के साथ गठबंधन कर राज्य और केंद्र के चुनाव लड़ी है और बीजेपी की केंद्र सरकार में मंत्री भी रही हैं फिर ममता बनर्जी जी को बीजेपी का टीम क्यों नहीं कहा जाता है? ममता बनर्जी जी के लिये अलग पैमाना और बहनजी के लिए अलग पैमाना अब यह मीडिया व मनुवादी रोग से ग्रसित नेताओं का दोगलापन नहीं तो क्या हैं? फिर ममता बनर्जी जी को बीजेपी का टीम क्यों नहीं कहा जाता है? ममता बनर्जी जी के लिये अलग पैमाना और बहनजी के लिए अलग पैमाना अब यह मीडिया व मनुवादी रोग से ग्रसित नेताओं का दोगलापन नहीं तो क्या हैं? फिर भी मेनस्ट्रीम व तथाकथित बहुजन मीडिया चुप रहता हैं और बचाव के लिए आते हैं।

अब मीडिया और तथाकथित बुद्धिजीवी लोग सपा के मुखिया अखिलेश यादव जी व ममता बनर्जी जी को बी टीम घोषित क्यों नहीं करते? क्यों नहीं पूछते हैं कि ये रिश्ता क्या कहलाता है?
इनके नजर में सिर्फ बीएसपी ही क्यों?
जैसा हम सभी जानते हैं भारत देश में संविधान लागू होने के बाद राजनीतिक बराबरी की संकल्पना (संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक मूल्यों ) को जमीन पर उतरने का काम मान्यवर साहेब व बहनजी ने किया और इनके संघर्ष एंव त्याग की वजह से आज पूरे देश में संवैधानिक और लोकतांत्रिक जड़ों का सींचने का काम केवल बीएसपी कर रहीं हैं।अब दलित समाज राजनीतिक रूप से अनाथ नहीं है, अब उसकी एक पहचान और आवाज हैं। और वह आवाज बहनजी हैं और पहचान बीएसपी हैं। जो बहुजन समाज में जन्में संतों गुरूओं, महापुरुषों और महानायिओं के विचारों पर चलने वाली भारत देश की एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी हैं। आज दलित आदिवासी पिछड़े अल्पसंख्यकों की आवाज सुनी जा रही है और केंद्र में बात रखने की जगह मिल रहीं हैं, आज बहुजन समाज के लोग अपने हकों के लिए आवाज उठा रहें हैं तो वह ताकत और हौसला सिर्फ और सिर्फ बीएसपी की वजह से हैं और इस बात का एहसास दलितों को कुछ पिछड़ों को भी हैं। और इसी बात का डर विपक्षी दलों को हैं जो बखूबी समझते हैं यदि दलित पिछड़े और अल्पसंख्यक समाज के लोग बीएसपी के साथ हो गयें तो इनका सत्ता से नामोनिशान मिट जाएगा इसलिए मनुवादी रोग से ग्रसित दलों ने मीडिया के साथ मिलकर बीएसपी एवं बहन कुमारी मायावती जी के खिलाफ नकारात्मक फैलाने का काम किया और तरह-तरह के प्रोपेगेंडा चलाया गया।
हालांकि बीएसपी सुप्रीमों बहन कुमारी मायावती जी ने कल प्रेंस कान्फ्रेंस के दौरान मनुवादी रोग से ग्रसित पार्टियों के द्वारा फैलाएं गयें अफवाहों का करारा जवाब देते हुए कहा
“दबे कुचले पिछड़े, व अल्पसंख्यक लोगों को अपने पैरों पर खड़ा करने का ये कार्य मैं देश का राष्ट्पति बन कर नहीं बल्कि यूपी का सीएम व देश का पीएम बनकर ही कर सकती हूूं।” बहनजी ने कहा मुझे राष्ट्रपति बनाने का सपना दिखाने का कोई फायदा नहीं।
“मुझे राष्ट्रपति नही उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री या फिर देश का प्रधानमंत्री बनना है।”

आज भी बीएसपी अपने समाज के लोगों के साथ खड़ी हैं और बाकी दलों को दलितों का वोट चाहिए लेकिन उनके हकों की रक्षा उनके ऊपर हो रहे अत्याचार व शोषण के खिलाफ आवाज उठाने के समय पीछ हो जाते हैं तब सिर्फ बसपा अकेले अपने लोगों के साथ खड़ी मिलती हैं। अब हमें सावधान रहने की जरूरत है और लोगों को बताना और समझना होगा कि कौन अपना हैं कौन पराया है। जिस दिन बहुजन समाज के लोग बहुजन विचारधारा को सही मायने में समझ जाएंगे और बिना किसी के बहकावे में आये (चंद राशन, पैसे दारू आदि) अपनी विचारधारा वाली पार्टी को वोट करने लगेगें उस दिन बहुजन समाज को सत्ता पाने से कोई नहीं रोक सकता हैं।

इं.दीपशिखा इन्द्रा
बी टेक (सिविल इंजीनियरिंग)

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