हॉकी इंडिया की कमान संभालेगी आदिवासी लड़की सलीमा टेटे, मां-बहन ने दूसरों के बर्तन धोकर पहुंचाया इस मुकाम तक

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2023 में टोक्यो ओलंपिक में जब भारतीय महिला हॉकी टीम क्वार्टर फाइनल का मुकाबला खेल रही थी, तब तक भी सलीमा टेटे का परिवार गांव में एक कच्चे घर में रहता था। सलीमा के हॉकी के सपने को हकीकत में बदलने के लिए उनकी बड़ी बहन अनिमा बेंगलुरू से लेकर सिमडेगा तक दूसरों के बर्तन मांजने का काम रहीं, जबकि अनिमा खुद भी एक बेहतरीन हॉकी प्लेयर थीं…

Indian Women’s Hockey Team New captain Tribal girl Salima Tete : कल 2 मई को हॉकी इंडिया ने FIH pro League 2023-24 के लिए 24 सदस्यीय भारतीय महिला हॉकी टीम फाइनल की है। वैसे तो यह आम बात है, जो हर मैच से पहले होती है, मगर इसमें एक खास बात है आदिवासी लड़की को टीम की कमान सौंपना। जी हां, अब भारतीय महिला हॉकी को नई कप्तान मिली हैं आदिवासी लड़की सलीमा टेटे। टीम की कमान सौंपे जाने के बाद से सलीमा टेटे चर्चा में है, और हों भी क्यों न—इनका संघर्ष फिल्मी कहानी से कम भी तो नहीं है।

मात्र 22 साल की उम्र में भारतीय महिला हॉकी टीम की कैप्टन बनी झारखंड के सिमडेगा जिले एक छोटे गांव बड़की छापर की रहनी वाली हैं। सलीमा के पिता बहुत गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं, मगर एक खास बात उनके साथ यह है कि वह खुद भी स्थानीय हॉकी प्लेयर रह चुके हैं। हॉकी के प्रति सलीमा की दीवानगी पिता की बदौलत ही है, अपने पिता सुलक्षण टेटे को देखकर ही सलीमा हॉकी की तरफ आकर्षित हुईं और यह उनका पसंदीदा खेल बन गया। पिता के अलावा सलीमा द्वारा हॉकी का मुकाम छू लेने में उनकी मां और बहन ने भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। सलीमा का मां और बहन ने दूसरे घरों में खाना बनाना और बर्तन मांजने का काम किया करती थीं, मगर उन्होंने सलीमा के खेल में कोई बाधा या आर्थिक दिक्कतें नहीं आने दीं।

गौरतलब है कि महिला हॉकी टीम द्वारा FIH pro League 2023-24 बेल्जियम और इंग्लैंड में खेला जाना है। जहां सलीमा इस बार कप्तान चुनी गयी हैं, वहीं झारखंड की तीन अन्य लड़कियां भी टीम का हिस्सा बनीं हैं। एफआईएच प्रो लीग 2023-24 सीजन का आगाज 22 मई से होने जा रहा है।

मीडिया में आयी जानकारी के मुताबिक साल 2023 में टोक्यो ओलंपिक में जब भारतीय महिला हॉकी टीम क्वार्टर फाइनल का मुकाबला खेल रही थी, तब तक भी सलीमा टेटे का परिवार गांव में एक कच्चे घर में रहता था। सलीमा के हॉकी के सपने को हकीकत में बदलने के लिए उनकी बड़ी बहन अनिमा बेंगलुरू से लेकर सिमडेगा तक दूसरों के बर्तन मांजने का काम रहीं, जबकि अनिमा खुद भी एक बेहतरीन हॉकी प्लेयर थीं।

खबरों की मानें तो सलीमा की बहन अनिमा ने अपनी बहन का करियर बनाने के लिए अपने करियर को कुर्बान कर दिया, जिसकी बदौलत आज सलीमा को टीम इंडिया की कमान मिली है। सलीमा की प्रतिभा नवंबर 2013 में पहली बार तब पहचानी गई, जब उन्हें झारखंड सरकार की ओर से सिमडेगा में चलाए जाने वाले आवासीय हॉकी सेंटर के लिए चुना गया था।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सलीमा के हॉकी प्लेयर के तौर पर सफर की शुरुआत 2016 में हुई। 2026 में सलीमा टेटे जूनियर भारतीय महिला टीम के लिए चुनी गयी थीं। उसके बाद टोक्यो ओलंपिक, विश्वकप, कॉमनवेल्थ गेम्स समेत कई अंतरराष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिताओं में उन्होंने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए शानदार प्रदर्शन किया था।

टोक्यो ओलंपिक में सलीमा को हॉकी खेलते देखने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी सराहना की थी। पिछले साल एशियन हॉकी फेडरेशन ने इंडियन महिला हॉकी प्लेयर सलीमा टेटे को अगले दो वर्षों के लिए एथलेटिक एंबेसडर भी चुना है। उन्हें फेडरेशन की तरफ से एशिया के ‘इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द ईयर’ के अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है।

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