सुप्रीम कोर्ट के दलितों में वर्गीकरण के निर्णय के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन किशोर मकवाना से मिले विविध संगठन

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एनसीएससी के चेयरमैन किशोर मकवाना ने इस बैठक में सभी की बातों को गहनता से सुना और प्रतिनिधि मंडल को यह आश्वासन दिया कि सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी वर्गीकरण वाले फैसले पर जो भी चिंताएं ज़ाहिर की जा रही हैं उन सभी चिंताओं और आपत्तियों को दूर किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के एससी एसटी वर्गीकरण वाले फ़ैसले पर देश भर के दलितों में नाराज़गी है। देश भर के दलित संगठन एससी-एसटी वर्गीकरण के विरोध में सड़कों पर आ गए हैं। इसी कड़ी में बीते मंगलवार को दिल्ली में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन किशोर मकवाना से दलित कार्यकर्ताओं और विचारकों के प्रतिनिधि मंडल ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर गहन रूप से चर्चा की।

इस मुद्दे पर अपनी शिकायतों और चिंताओं को लेकर 17 लोगों का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली के खान मार्किट स्थित राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन किशोर मकवाना से मिलने पहुंचा था। जिसमें राजनीतिक विश्लेषक कुश अम्बेडकरवादी, सबरीमाला एक्टिविस्ट और वकील बिंदु अम्मिनी,बोलता हिंदुस्तान मीडिया के एडिटर समर राज, दलित एक्टिविस्ट और प्रोफेसर डॉ हवलदार भारती और भीम आर्मी के प्रतिनिधि सुरेश मेहर समेत 17 लोग शामिल थे।

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एनसीएससी के चेयरमैन किशोर मकवाना ने इस बैठक में सभी की बातों को गहनता से सुना और प्रतिनिधि मंडल को यह आश्वासन दिया कि सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी वर्गीकरण वाले फैसले पर जो भी चिंताएं ज़ाहिर की जा रही हैं उन सभी चिंताओं और आपत्तियों को दूर किया जाएगा।

मंगलवार देर रात सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में, एनसीएससी ने कहा कि उसने सुप्रीम कोर्ट के “विवादास्पद फैसले” पर दलित बुद्धिजीवियों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की है। इस पोस्ट में आगे कहा गया, “सभी ने अपनी चिंताएं साझा कीं और सभी ने सर्वसम्मति से सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध किया है।”

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वहीं प्रतिनिधिमंडल में शामिल राजनीतिक विश्लेषक और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर कुश अंबेडकरवादी ने कहा, “हमने एनसीएससी से यह भी अनुरोध किया है कि केंद्र को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा करने के लिए कहा जाए और एनसीएससी को भी इसमें एक पक्ष बनाया जाए। ”

हालांकि इस बैठक में भाग लेने वाले कुछ लोगों को छोड़कर इस बैठक में अधिकांश लोगों ने दलित समाज के बीच उप-वर्गीकरण के फैसले का सबसे मजबूत शब्दों में विरोध किया। बता दें कि 1 अगस्त को एक केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा था कि राज्य सरकारें एससी-एसटी वर्ग में उप-वर्गीकरण करके आरक्षण देने की व्यवस्था कर सकतें हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले में एससी एसटी लिस्ट में क्रीमी लेयर की बात भी कही गयी है।

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