उत्तराखंड के जोशीमठ में दलितों ने सरकार द्वारा चलाए जा रहे राहत कार्य में जाति के आधार पर उनके साथ भेदभाव किये जाने की शिकायत की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दलितों का कहना है कि दलित होने के कारण राहत कार्य में उनकी उपेक्षा की जा रही है। बता दें कि जोशीमठ में भूमि धंसने की घटनाएं लगातार बढ़ रहीं हैं। इस बीच सरकार द्वारा प्रभावित लोगों के लिए राहत कार्य शुरू किया गया है। बहरहाल, उत्तराखंड राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने आश्वासन देते हुए कहा है कि आयोग मामले की जांच करेगा और आरोप सही पाए जाने पर कार्यवाही की जाएगी।
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जोशीमठ में दलितों को नहीं मिल रही राहत:
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते सोमवार उत्तराखंड राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष मुकेश कुमार ने बताया कि “जोशीमठ की गांधी कॉलोनी के निवासियों की शिकायत है कि जाति के आधार पर राहत कार्य में उनकी उपेक्षा की जा रही है।” बता दें कि जोशीमठ की गांधी कॉलोनी में रहने वाले अधिकांश लोग अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते हैं। यहां बताते चलें कि साल 2011 की जनगणना के अनुसार, जोशीमठ के 16,709 लोगों में से 95.9% हिंदू हैं, जिनमें 14% अनुसूचित जाति समुदाय से हैं।
मुकेश कुमार ने आगे बताया कि प्रशासन को मामले की जांच करने के निर्देश दिए गए है। जिसके लिए इस हफ़्ते आयोग के अन्य अधिकारियों सहित मैं जोशीमठ की गांधी कॉलोनी में जाएगा। अधिकारियों द्वारा स्थिति की समीक्षा की जाएगी वहीं आरोप सही पाए जाने पर कार्यवाही की जाएगी।
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जातिगत भेदभाव की कोई शिकायत नहीं मिली: जोशीमठ SDM
राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष मुकेश कुमार ने आगे कहा कि सीएम पुष्कर सिंह धामी ने खुद उन्हें जोशीमठ जाकर राहत कार्य की समीक्षा करने के लिए कहा है। वहीं दूसरी और जोशीमठ की SDM कुमकुम जोशी ने मामले पर कहा है कि इलाके से उनके पास जातिगत भेदभाव की कोई शिकायत नहीं आई है। उन्होंने आगे कहा कि “हम राहत कार्य के लिए उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे है जहां दिहाड़ी मजदूर और गरीब परिवार रहते हैं। कुमकुम जोशी ने आगे ये भी कहा कि प्रशासन आरोपो की जांच करेगा और सुनिश्चित करेगा कि इस तरह का कोई भी भेदभाव न हो।
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दलितों के साथ भेदभाव वालों स्थानों की बन रही है लिस्ट :
मालूम हो कि ये घटना उस वक्त सामने आई है जब राज्य के 13 जिलों में उन स्थानों की सूची तैयार करने के आदेश दिए गए है जहां दलितों के साथ भेदभाव होता है। बता दें कि जनवरी महीने में उत्तराखंड के उत्तरकाशी में कुछ सवर्ण लड़को ने एक दलित लड़के के शरीर को जलती हुई लकड़ियों से दाग दिया था। इतना ही नहीं उसे रात भर बंदी बनाकर रखा गया था। दलित लड़के का कसूर बस इतना था कि वो इलाके के मंदिर में दर्शन करने गया था। घटना की गंभीरता को देखते हुए राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने उत्तराखंड के 13 जिलों में उन मन्दिर और धार्मिक और सामाजिक स्थलों की सूची तैयार करने के आदेश दिए थे जहां दलितों कर साथ अत्याचार या उनके साथ भेदभाव होता है। हालिया घटना को राज्य अनुसूचित जाति आयोग के इस कदम के साथ जोड़कर देखा जा रहा है।
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