अगर लड़कियों ने आत्महत्या की थी तो उनके कपड़े गीले होने चाहिए थे। उनके बालों में कूड़ा लगा हुआ था। शरीर पर नाखून और बेल्ट के निशान थे। उन्होंने ये भी कहा कि घटनास्थल पर किसी ने शवों को देखने ही नहीं दिया… पढ़िए सुषमा तौमर की रिपोर्ट
पेड़ों से तो लटकते हैं फल पर बीजेपी सरकार में पेड़ों से लटकाई जाती हैं बेटियाँ..यह बात उस घटना के संबंध में कही जा रही है जो पांच दिन पहले उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में घटी। दिन शुक्रवार, तारीख 26 अगस्त। जब देश भर में कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जा रहा था उस वक्त देर रात उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में दो दलित लड़कियों के शव आम के पेड़ से टंगे हुए थे। 27 अगस्त की सुबह जब दो शवों को पेड़ से लटका हुआ लोगों ने देखा तो पुलिस को सूचना दी। इसी के साथ इस घटना की वीडियो और एक तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई। इस घटना ने पूरे उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया। कानून व्यवस्था से लेकर महिला उत्पीड़न के आंकड़ों के साथ यूपी की योगी सरकार पर सवाल दागे जाने लगे। लेकिन इस घटना को लेकर हर दिन कुछ न कुछ नया सुनने के लिए मिल रहा है। इस घटना के हर एक पहलू पर बात करेंगे लेकिन उससे पहले इस घटना के बारे में कुछ बेसिक बातें जान लीजिए..
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घटना फर्रुखाबाद के कायमगंज थाना क्षेत्र के भगौतीपुर गांव की है। वहीं दोनों लड़कियां जिनका शव आम के पेड़ से लटका मिला वह दोनों दलित समुदाय से थी। एक 18 साल की थी तो एक महज़ 15 साल की। दोनों सहेलियां थी और मौजूदा जानकारी के मुताबिक 26 अगस्त की रात दोनों गांव के मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी की झांकी देखने के लिए गयीं थीं। लेकिन रात भर वह दोनों वापस नहीं लौटी और फिर दोनों के घर उनकी मौत की खबर पहुंचती है। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शवों को कस्टडी में लिया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया लेकिन शुरुआती जांच में ही पुलिस ने इसे सीधे तौर पर आत्महत्या का मामला बताया। जिस पर नाबालिग लड़की के पिता पप्पू ने सवाल खड़े किये और इस घटना को हत्या बताया। वहीं दोनों में से एक मृतक बच्ची की माँ और गांव की अन्य महिलाओं ने भी ग्राउंड ज़ीरो पर रिपोर्ट करने पहुंचे पत्रकारों को इस घटना को आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या और बलात्कार का मामला बताया।
https://x.com/DalitTime/status/1828825210344133117
घटना के सामने आते ही सियासत में भी इसकी गूंज सुनाई दी सबसे पहले चंद्रशेखर आज़ाद ने इस घटना पर ट्वीट किया और इस घटना को असहनीय बताते हुए यूपी की योगी सरकार से इसकी निष्पक्ष जांच के साथ सख्त कार्यवाही की मांग की। यूपी कांग्रेस ने “उत्तर प्रदेश” को महिलाओं के लिए “श्मशान” बताया तो वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि, “भाजपा सरकार से न्याय की उम्मीद करना गुनाह है।“ मामले पर अखिलेश यादव ने भी सीएम योगी को घेरा और कहा, आनन-फ़ानन में किये गये अंतिम संस्कार का लक्ष्य क्या सबूत मिटाना है? ये प्रश्न हाथरस से लेकर फ़र्रूख़ाबाद तक भाजपा के कुशासन का पीछा नहीं छोड़ेगा।
तो वहीं जिग्नेश मेवानी ने लिखा, “उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में दो नाबालिग दलित लड़कियों का शव देर रात पेड़ से लड़का हुआ मिलता है। प्रशासन उसे आत्महत्या करार देता है लेकिन परिवार वालों का कहना है कि पहले तो उन्हें अपनी बच्चियों को देखने तक नहीं दिया गया और जब शवों का दाह संस्कार के लिए दिया गया तब उन्होंने अपनी बेटी के शरीर पर गहरे घाव के निशान देखे। उत्तर प्रदेश सरकार से पूछना चाहता हूं की वह इस मामले में क्या छुपा रही है और किसे बचाना चाहती है? क्या प्रशासन को परिवार को मौत के कारण से संतुष्ट नही करना चाहिए था?
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मामले पर फ़िल्ममेकर विनोद कापड़ी ने योगी सरकार और अखिलेश यादव सरकार की तुलना कर दी। उन्होंने तो तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा पहली तस्वीर बदायूँ की नवंबर, 2014 की है जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे और दूसरी तस्वीर फ़र्रूख़ाबाद की अगस्त, 2024 की है जहां योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री है। पहली और दूसरी तस्वीर में फ़र्क़ ये है कि पहली तस्वीर के लिए अखिलेश यादव का इस्तीफ़ा माँगा गया , मीडिया ने अखिलेश की धज्जियाँ उड़ा दी। दूसरी तस्वीर के लिए एक भी न्यूज़ चैनल, एक भी एंकर, एक भी मालिक/संपादक की ना हैसियत है और ना औक़ात कि योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा मांग सके।
10 साल में यही बदलाव आया है! वहीं वंचित बहुजन अघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश अम्बेडकर ने इस घटना की तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा कि, “विश्व में सबसे ज़्यादा उपत्पीड़न दलित महिलाओं के साथ होता है। एनसीआरबी के डेटा के मुताबिक हर दिन 10 दलित महिला या दलित लड़कियों का रेप हो रहा है।
इस सबके बाद 28 अगस्त को फतेहगढ़ पुलिस ने अपने सोशल मीडिया पर दो वीडियो साझा की जिसमें एक पुलिस अधीक्षक की वीडियो है और दूसरी मुख्य चिकित्साधिकारी की बाइट है। दोनों इस वीडियो में बता रहे है कि लड़कियों की मौत का कारण दम घुटना है। अधिकारी ने एंटी मार्टम हैंगिंग की पुष्टि की यानी दोनों लड़कियों की मौत गले पर दबाव पड़ने के कारण दम घुटने की वजह से हुई है। पुलिस अधीक्षक ने वीडियो में आगे कहा कि जांच में यह सामने आया है कि बच्चियों ने आत्महत्या की है और परिवार जांच से पुरी तरह संतुष्ट है। वहीं मुख्य चिकित्साधिकारी ने सेक्शुअल असॉल्ट या बलात्कार की किसी भी संभावना को सिरे से खारिज कर दिया है।
Watch video : https://x.com/fatehgarhpolice/status/1828797035191181800
लेकिन इसके बाद नाबालिग मृतक बच्ची के पिता ने मीडिया से बात करते हुए पुलिस से कई सवाल पूछे और पुलिस पर कुछ आरोप भी लगाए थे। पीटीआई से बात करते हुए उन्होंने कहा हमें इस घटना की पूरी डिटेल रिपोर्ट चाहिए। उन्होंने पुलिस की आत्महत्या वाली थ्योरी पर भी सवाल खड़े किए थे और कहा था कि पुलिस ने ये तो बात पता लगा ली की दोनों लड़कियों ने अपनी खुशी से फांसी लगाई लेकिन उनके शरीर पर जो चोट के निशान है वो आपकी रिपोर्ट में कैसे नहीं आए। पीड़ित पिता ने पुलिस की सभी रिपोर्ट को फर्जी तक बताया। यहीं नहीं 18 साल की मृतक दलित लड़की के पिता ने भी शुरुआत में इसे हत्या ही बताया था। साथ ही पुलिस पर आरोप लगाया था कि पुलिस वालों ने शव को देखने नहीं दिया। आनन-फानन में दोनों लड़कियों का अंतिम संस्कार करवा दिया। गांव की महिलाओं ने मौके पर पहुंची सुप्रीम कोर्ट की वकील अवनी बंसल से बात करते हुए इस घटना का हत्या की ओर इशारा करते हुए कई गंभीर बातें कही थी…।
यह वीडियो देखिए ।
दी वॉम्ब मीडिया ने घटना स्थल पर पहुंच कर गांव की महिलाओं से बात की। दोनों बच्चियों में से एक बच्ची की मां से जब उन्होंने बात की तो पीड़ित मां ने बताया कि उस रात बारिश हुई थी अगर लड़कियों ने आत्महत्या की थी तो उनके कपड़े गीले होने चाहिए थे। उनके बालों में कूड़ा लगा हुआ था। शरीर पर नाखून और बेल्ट के निशान थे। उन्होंने ये भी कहा कि घटनास्थल पर किसी ने शवों को देखने ही नहीं दिया। पुलिस के मुताबिक यह पूरी घटना आत्महत्या की है वहीं दी वॉम्ब मीडिया ने पीड़ित परिवार की तरफ से कुछ तस्वीरें साझा की है जो मृतक लड़कियों के शव की बताई जा रही हैं। उन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि शरीर पर कुछ निशान मौजूद हैं।
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29 अगस्त को फतेहगढ़ पुलिस ने दोनों बच्चियों के पिता की एक वीडियो शेयर की जिसमें बालिक बच्ची के पिता रामबीर कह रहे है कि पुलिस का उन पर कोई दबाव नहीं है। घटना को लेकर जो भी बाइट मीडिया दिखा रहा है कि पुलिस ने बिना परिवार को बताए दाह संस्कार कर दिया वो गलत और झूठ है। मैंने अधिकारी के सामने खुद दाह संस्कार किया है। मीडिया जो प्रसारित कर रहा है कि हमें मिट्टी नहीं दिखाई गई वह पूरी तरह से गलत है। हालांकि इस वीडियो के सामने आने के बाद 29 अगस्त की रात को यह खबर भी सामने आती है कि पीड़ित परिवार ने पुलिस में पवन और दीपक नाम के लड़कों के खिलाफ एफ.आई.आर दर्ज करवाई और FIR में उन दोनों पर आरोप लगाया कि उन्होंने दोनों लड़कियों को आत्महत्या के लिए उकसाया है।
हालांकि FIR दर्ज होने के कुछ ही समय में पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन घटना को लेकर सबके जहन में एक ही सवाल है कि आखिर सच क्या है..?
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