आदिवासी युवाओं को बंधक बनाये जाने की घटना पहली बार तब प्रकाश में आयी थी जब सोहागपुर थाने के पास रहने वाली श्यामबाई कोल ने रोते हुए पुलिस को बताया था कि उनके दो बेटों के साथ-साथ गांव के 12 युवक मजदूरी के लिए आंध्र प्रदेश गए हैं और वहां उन्हें वहां बंधक बनाकर काम कराया जा रहा है….
Shahdol news : वैसे तो पूरे देशभर से दमितों-दलितों के साथ अत्याचार की खबरें आती रहती हैं, मगर खासकर मध्य प्रदेश और दलितों-आदिवासियों के उत्पीड़न का तो जैसे चोली-दामन का साथ हो गया है। लगातार दो घटनाओं में आदिवासी युवाओं के उत्पीड़न के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। एक में डीजे में काम करने वाले आदिवासी युवक को बजरंग दल से जुड़े युवाओं ने पीटने के बाद गाली-गलौज करते हुए मुर्गा बनाया तो दूसरी घटना में आदिवासी युवा को अपने साथ ले जाकर कमरे की छत से उल्टा लटकाया गया और नंगा करके बुरी तरह पीटा गया। अब एक और आदिवासी उत्पीड़न की घटना शहडोल की है। यहां के 12 आदिवासी युवाओं को आंध्र प्रदेश के चित्तूर में बंधक बनाने का मामला सामने आया है।
जानकारी के मुताबिक शहडोल जिले के 12 आदिवासियों को आंध्र प्रदेश के चित्तूर में लगभग बंधक जैसी हालत में रखा गया था। परिजनों से बातचीत में इन युवाओं ने अपनी तकलीफ साझा की थी कि कैसे उन्हें भोजन के लिए भी तरसाया जा रहा है, वह लोग किसी तरह जी रहे हैं। आदिवासी युवाओं के परिजनों ने 5 फरवरी को इस मामले से पुलिस को अवगत करा दिया था, मगर पुलिसकर्मियों ने इस बात की खबर अपने वरिष्ठ अधिकारियों तक भी नहीं पहुंचने दी। किसी तरह मीडिया में मामला सामने आने के बाद इसकी खबर एसपी कुमार प्रतीक तक पहुंची तो उन्होंने इस मामले में एक्शन लिया। फिलहाल बंधक जैसी हालत में रह रहे आदिवासी युवाओं को छुड़वा लिया गया है और बहुत जल्द ये लोग अपने घर शहडोल लौट आयेंगे। पुलिस का कहना है कि बंधक नहीं बनाया गया है स्वजनों के अनुसार बंधक जैसे सलूक किया जा रहा है।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश से बड़ी संख्या में गरीब आदिवासी-दलित और पिछड़े वर्ग से आने वाले युवा रोजी-रोटी के लिए अन्य राज्यों में मजदूरी के लिए पलायन करते हैं। शहडोल के 12 आदिवासी युवा भी मजदूरी के लिए आंध्र प्रदेश के चित्तूर गए थे, जहां उनके साथ बंधकों जैसा व्यवहार हो रहा था। इस बात की सूचना उन्होंने अपने परिजनों को दी और वहां से उन्हें छुड़वाने की गुहार भी लगायी। परिजनों ने 5 फरवरी को ही पुलिस के पास शिकायत दर्ज करते हुए उनके बच्चों को किसी तरह वहां से वापस लाने की गुहार लगाई गई थी, मगर उन्होंने मामले को हल्के में लिया।
शिकायत के 9 दिन बाद एसपी कुमार प्रतीक का कहना था कि उन्हें इस मामले में कोई जानकारी नहीं है। इसी के बाद बंधक बनाये गये आदिवासी युवाओं को बचाने के लिए प्रयास शुरू किये गये। शहडोल पुलिस ने चित्तूर पुलिस अधिकारियों से संपर्क कर आदिवासी युवाओं को बंधक बनाये जाने के मामले से अवगत कराया। मामला संज्ञान में आने के बाद स्थानीय चित्तूर पुलिस ने आदिवासी युवाओं को बंधक बनाने वाले ठेकेदारों पर कार्रवाई की और मजदूरों को शहडोल भेजने का प्रबध भी कर दिया है। एसपी कुमार प्रतीक ने मीडिया को बताया कि आदिवासी युवकों को मुक्त करा लिया गया है। वे जल्द ही शहडोल के लिए रवाना होने वाले हैं।
आदिवासी युवाओं को बंधक बनाये जाने की घटना पहली बार तब प्रकाश में आयी थी जब सोहागपुर थाने के पास रहने वाली श्यामबाई कोल ने रोते हुए पुलिस को बताया था कि उनके दो बेटों के साथ-साथ गांव के 12 युवक मजदूरी के लिए आंध्र प्रदेश गए हैं और वहां उन्हें वहां बंधक बनाकर काम कराया जा रहा है। 5 फरवरी को शिकायत करने के बावजूद पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठे रही, और जब मामला मीडिया में आया तो शहडोल एसपी एक्शन में आये। शहडोल एसपी का कहना है कि उनके मातहत अधिकारियों ने उन तक कोई जानकारी नहीं पहुंचाई, इसलिए बंधक बनाये गये युवाओं को छुड़ाने में इतना समय लगा।
श्यामबाई कोल का 19 वर्षीय बेटा समीर कोल और 21 वर्षीय जितेंद्र कोल, 36 वर्षीय भाई राजेश कोल, 16 साल का भतीजा रोहित कोल, गुरवाही निवासी 19 वर्षीय राजा कोल, सिंहपुर निवासी बहन का 19 साल का बेटा छोटू कोल, पठरा निवासी 20 वर्षीय गोलू कोल, मिठौरी निवासी 18 वर्षीय सीताशरण कोल, 42 वर्षीय शोभनाथ और उसकी 40 वर्षीय पत्नी बेला कोल व 38 वर्षीय जुबेश कोल समेत कई अन्य युवकों से बंधकों जैसा व्यवहार हो रहा था। इन सभी लोगों को बहला-फुसलाकर नागपुर में जूस फैक्ट्री में काम दिलाने के नाम पर छत्तीसगढ़ का मिथुन कोल अपने साथ ले गया था, मगर बाद में उन्हें आंध्र प्रदेश के चित्तूर ले जाकर बंधक जैसी हालत में रखा गया और उनसे बंधुआ मजदूर करायी जाने लगी।
काम के बाद नहीं दिया गया पैसा, खाने को नाम पर सिर्फ नमक-चावल
पीडि़त आदिवासी युवाओं ने आंध्रप्रदेश से फोटो भेजकर अपनी पीड़ा व्यक्त की। पीड़ितों का कहना है, उनसे करवा तो लेते हैं लेकिन पैसे नहीं दे रहे। वापस घर जाने का बोलते हैं तो जान से मारने की धमकी दी जाती है।
पीड़ित आदिवासी युवाओं में से एक गुरवाही के राजा कोल ने आंध्र प्रदेश के बट्टू से एक तस्वीर भेजी और बताया कि 25 जनवरी को वे लोग यहां पहुंचे तो एक सप्ताह काम किया लेकिन मांगने पर पैसे नहीं दिए। यहां लगातार हमारी निगरानी की जा रही है। खाने के नाम पर चावल और नमक दिया जाता है, जिसे पकाकर वो लोग किसी तरह अपनी भूख मिटा रहे हैं।
पहले भी बंधक बनाकर काम कराये जाने के कई मामले सामने आते रहते हैं। कुछ समय पहले ही सिवनी जिले के छपारा थाना क्षेत्र के 10 लोगों को बंधक बनाने का मामला सामने आया था। इन लोगों को महाराष्ट्र के सतारा जिले में 3 महीने तक बंधक बनाकर काम कराया जा रहा था और वापस भी नहीं आने दिया जा रहा था। जब परिजनों ने इसकी शिकायत पुलिस टीम से की तो इन्हें मुक्त कराया गया।
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