उत्तरप्रदेश में मायावती ऐसे बनी थी चार बार मुख्यमंत्री..

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उत्तर प्रदेश में चार बार सरकार बनाना कोई आसान बात नहीं थी। उस पर भी तीन बार गठबंधन की सरकार यानी दूसरों दलों को साथ लेकर चलना बीएसपी के लिए बड़ी चुनौती थी। इस पर जेएनयू के एसोसिएट प्रोफेसर रहे डॉ विवेक कुमार ने कहा है कि बीएसपी के लिए ये सबसे बड़ी चुनौती थी कि जिस दल से आप गंठबंधन कर रहे है वही दल आपको दलदल में डाल रहें हैं। बीएसपी उत्तर प्रदेश में लगातार सक्रिय हो रही थी लेकिन उसे सफलता 1993 में मिली। जब गठबंधन में ही सही लेकिन पहली बार बीएसपी सत्ता में आई थी। हालांकि मायावती को मुख्यमंत्री बनने में अब भी दो साल बाकी थे।

पिछडो के साथ दलितों का गठबंधन:

साल 1992 में जब केंद्र में बीजेपी की सरकार थी तब उत्तर प्रदेश में एक घटना घटी जिससे केंद्र की बीजेपी सरकार धराशाही हो गयी। बात 6 दिसंबर 1992 की है जब उत्तर प्रदेश में बाबरी मस्जिद गिरी और केंद्र में बीजेपी की सरकार। इस वक्त तक उत्तर प्रदेश में कांशीराम बीएसपी और दलितों का सीधा संबंध बनाने में कामयाब हो गए थे। 1992 में हुए इस घटना क्रम को देखते हुए कांशीराम ने एक बड़ा कदम उठाया। उन्होंने दलितों और पिछड़ों को साथ लेकर चलने का फैसला किया और इसको लेकर समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन भी कर लिया।

समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव, कांशीराम और मायावती (साभार: गूगल)

 

साल 1993 में उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनावों में गठबंधन की जीत हुई और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने। वहीं मायावती को दोनों दलों के बीच सामंजस्य बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। हालांकि ये सरकार सिर्फ दो साल ही चल सकी इसके पीछे का कारण ये था कि इन दो सालों में उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ़ अत्याचार बढ़ने लगे थे। कांशीराम और मायावती इन घटनाओं से निराश थे। 1995 में इसी चिंता में कांशीराम बीमार पड़ गए और दलित अत्याचारों को देखते हुए कांशीराम ने अपनी राय बदल ली। कांशीराम ने अस्पताल में ही बीजेपी के साथ एक गुप्त समझौता कर लिया था।

मायावती को मारने की कोशिश:

1 जून 1995 को मुलायम सिंह यादव को खबर मिलती है कि मायावती ने तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल वोहरा को ज्ञापन सौंपते हुए गठबंधन को दिया समर्थन वापस ले लिया है और लखनऊ के गेस्ट हाउस में मायावती खुद मुख्यमंत्री बनने की रणनीति बना रही हैं। अजय बोस ने अपनी किताब “बहनजी” में इस घटना का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि “1 जून 1995 की दोपहर समाजवादी पार्टी के नेताओं ने गेस्ट हाउस पर धावा बोल दिया। पूरी दोपहर और रात मायावती ने खुद को अपने नेताओं के साथ गेस्ट हाउस के एक कमरे में बंद रखा। इस वक्त पूरा कमरा समाजवादी पार्टी के नेताओ से घिरा हुआ था। मायावती को भद्दी भद्दी गालियां दी जा रही थी।” बीएसपी के नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने इस घटना को लेकर ABP न्यूज़ के एक कार्यक्रम में कहा था कि समाजवादी पार्टी के नेता मायावती को मारना चाहते थे।

2002 में दिल्ली में मीडिया को संबोधित करती बीएसपी सुप्रीमो मायावती (साभार : गिट्टी इमेज) 

 

मायावती भी इस बात को कह रही थी कि “समाजवादी पार्टी द्वारा ये मुझे डराने की नहीं बल्कि मारने की कोशिश थी।” घटना के बाद 3 जून 1995 को बीजेपी के समर्थन से मायावती पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थी। ये किसी भी राज्य में पहली बार हुआ था जब एक दलित , शोषित और वंचित समाज की महिला मुख्यमंत्री बनी हो।

चार बार बनी मुख्यमंत्री:-

मायावती कुल चार बार उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री बनी। इसमें तीन बार बीजेपी के समर्थन से तो एक बार पूर्ण बहुमत से उन्होंने उत्तरप्रदेश की कमान संभाली थी। हालांकि यहां दिलचस्प बात ये हैं कि तीन बार की गठबंधन सरकार अपना एक भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। जबकि पूर्ण बहुमत की सरकार ने अपना 5 सालों का कार्यकाल पूरा किया था।
मायावती पहली बार 3 जून 1995 को मुख्यमंत्री बनी जो सरकार सिर्फ 4 महीने तक चली।

21 अप्रैल 2009 में कोलकाता की एक रैली में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ( साभार : गिट्टी इमेज) 

इसके बाद 21 मार्च 1997 से 20 सितंबर 1997 और तीसरी बार 3 मई 2002 से 26 अगस्त 2003 तक मायावती बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बनी थी। साल 2001 में बीएसपी की कमान पूरी तरह से मायावती के हाथ में आ गयी। प्रदेश और पार्टी में मायावती का कद बढ़ रहा था तो वहीं कांशीराम कहीं पीछे छूटते नज़र आ रहे थे। 2001 में कांशीराम ने मायावती को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और साल 2006 में आधुनिक भारत में दलितों और वंचितों के हक के लिए लड़ने वाला योद्धा वीरगति को प्राप्त हो गया।

मायावती ने बनाई पूर्ण बहुमत की सरकार:

साल 2007 में प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने थे.पार्टी जीत के लिए रोडमैप तैयार कर रही थी तो वहीं मायावती ने यह महसूस किया कि वह अकेले दलित-मुस्लिम वोटों के बलबूते नहीं जीत पाएंगी. इसलिए उन्होंने कांशीराम के पुराने फंडे को अपनाना ज़रूरी समझा और पार्टी की रणनीति को सर्वसमाज के लिए तैयार किया. जिसका नतीजा ये हुआ कि प्रदेश में पार्टी को 2007 के विधानसभा में 206 सीटों का प्रचंड बहुमत मिला। मायावती ने इस बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई।

मायावती के कार्यकाल में नोएडा में बनाया गया एक पार्क ( साभार : गिट्टी इमेज)

 

इस दौरान उन्होंने लखनऊ और नोएडा में बहुत से ऐसे स्थलों का निर्माण करवाया जिससे बीएसपी की उपस्थिति उस जमीन पर हमेशा हमेशा के लिए दर्ज हो गयी। जिसमें नोएडा के एक पार्क में बनीं हाथियों की मूर्तियां काफी विवादों में रहीं। मायावती ने अपने राजनैतिक जीवन मे बहुत से मुश्किल दौर देखे हैं लेकिन कभी अपने संकल्प से डिगी नहीं उनकी यही खासियत है जो विश्व के 50 बेहतरीन नेताओ की लिस्ट में मायावती का नाम शामिल हैं और उन्हें भारतीय राजनीति में “बहनजी” की उपाधि दी गयी है।

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