दीनबंधु सर छोटूराम की जयंती पर जाने कौन थे,सर छोटूराम-बहुजन आंदोलन को दिया था बढ़ावा

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किसानों के रहबर, सर छोटू राम के इन चंद शब्दों ने इतिहास के पन्नों में किसानों को न केवल एक महत्वपूर्ण स्थान दिया बल्कि उनकी आवाज़ को बुलंदी भी दी। शायद उनकी इसी बुलंदी की वजह से आज भी सर छोटूराम को किसानों का मसीहा कहा जाता है।एक किसान का बेटा और देश के किसानों के हितों का रखवाला, जिसके लिए गरीब और जरुरतमन्द किसानों की भलाई हर एक राजनीति, धर्म और जात-पात से ऊपर थी; सर छोटू राम बस आम किसानों के थे.

दीनबंधु सर छोटूराम का जन्म 24 नवम्बर 1881 में झज्जर के छोटे से गाँव गढ़ी सांपला में बहुत ही साधारण किसान परिवार में हुआ (झज्जर तब रोहतक जिले का ही अंग था)। उस समय रोहतक पंजाब का भाग था। उनका असली नाम राम रिछपाल था। अपने भाइयों में से सबसे छोटे थे इसलिए सारे परिवार के लोग इन्हें छोटू कहकर पुकारते थे।छोटू राम की प्रारम्भिक शिक्षा तो गाँव के पास के स्कूल से हो गयी। पर वे आगे भी पढ़ना चाहते थे। इसलिए उनके पिता उनकी आगे की पढ़ाई के लिए साहूकार से कर्जा मांगने गये। पर वहां साहूकार ने उनका बहुत अपमान किया।

साल 1905 में उन्होंने दिल्ली के सैंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन की। आर्थिक हालातों के चलते उन्हें मास्टर्स की डिग्री छोड़नी पड़ी। उन्होंने कालाकांकर के राजा रामपाल सिंह के सह-निजी सचिव के रूप में कार्य किया और यहीं पर साल 1907 तक अंग्रेजी के हिन्दुस्तान समाचारपत्र का संपादन किया। इसके बाद वे आगरा में वकालत की डिग्री करने चले गये।

वकालत करने के बाद जब उस समय अधिकतर लोग ब्रिटिश इंडियन आर्मी और जाट प्रिंसली स्टेट में शामिल हो रहे थे उस समय में छोटूराम ने राजनीति को चुना। छोटूराम 1916 में कांग्रेस में शामिल हो गए। 1920 में वह रोहतक जिला कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बनाए गए। इससे पहले 1915 में उन्होंने अपना न्यूजपेपर जाट गजट भी लॉन्च कर दिया था। गांधीजी के असहयोग आंदोलन में किसानों की अनदेखी के मुद्दे पर छोटूराम ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी।

दीनबंधु छोटू राम ने क्रांतिकारी सुधारों से पंजाब की सूरत बदल दी। उन्हें साल 1930 में दो महत्वपूर्ण कानून पारित कराने का श्रेय दिया जाता है। ये कानून थे पंजाब रिलीफ इंडेब्टनेस, 1934 और द पंजाब डेब्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट, 1936। इन कानूनों में कर्ज का निपटारा किए जाने, उसके ब्याज और किसानों के मूलभूत अधिकारों से जुड़े हुए प्रावधान थे। 1938 में साहूकार रजिस्ट्रेशन एक्ट पारित हुआ। गिरवी जमीनों की मुफ्त वापसी एक्ट-1938, कृषि उत्पाद मंडी अधिनियम – 1938, व्यवसाय श्रमिक अधिनियम- 1940 और कर्जा माफी अधिनियम- 1934 कानून को पारित कराने में भी छोटूराम की अहम भूमिका रही।

सर छोटूराम भारतीय समाज के उस तबके को जिसे आर्य ब्राह्मणों की सामाजिक व्यवस्था ने निरादर और दरिद्रता देकर अछूत बनाया। उनका मनोबल ऊंचा करने तथा मान-सम्मान की जिंदगी जीने के लिए ‘सामरिक जाति संघ’ दिल्ली की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा। यह साफ जाहिर है कि गोरे बनियों की संगीनों की छाया में हमारे ऊपर काले बनिए शासन कर रहे हैं और गोरे बनिये हमारा राजनैतिक ह्रास कर रहे हैं तो काले बनिये हमारा आर्थिक ह्रास कर रहे हैं। देश का दोहन आरंभ से ही गोरे बनियों ने इन काले बनियों के माध्यम से ही किया है। कोई जाति या वर्ग जो अपनी उन्नति चाहता है वह अपने अंदर लीडर पैदा करे। मैं अछूतों से भी यही कह रहा हूं कि तुम्हारी वास्तविक समस्याओं के हल केलिए अपना संगठन और अपना लिडर बनाना ही होगा। द्विज जाति और वर्ग के लिडर आप के भले की बातें तो कर सकते हैं किंतु उतने दूर तक जहां तक उनकी जाति और वर्ग के हितों को आंच ना आए और आपकी शक्ति का उपयोग उनके खुद के उठने के लिए होता रहे। आप अपनी जाति और वर्ग में तभी प्रिय हो सकोगे जब उस खाई को पाटने के लिए कुछ त्याग करोगे जो वर्तमान आर्थिक व्यवस्था में आपके और शेष समुदाय के बीच गहरी हो गई है। तथ्य की एकता, भावनात्मक एकता से अधिक मजबूत होती है।

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