भाजपा हाईकमान ने राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक को दिया अंजाम – योगी आदित्यनाथ फिर से रहेंगे चुनाव का बड़ा चेहरा

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भाजपा हाईकमान ने साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तस्वीर को लेकर बहुत कुछ साफ करने की कोशिश की है पार्टी ने नेतृत्व से लेकर नीति और निर्णयों तक का नजरिया लोगों के सामने रख दिया है।भारतीय जनता पार्टी की पिछले दिनों दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक से निकले निर्णय उत्तर प्रदेश के लिए काफी अहम नजर आ रहे हैं। भले ही भाजपा ने संकेतों में ही सही, लेकिन बता दिया है कि एक बार फिर से विधानसभा चुनाव में भाजपा हिंदुत्व, कानून-व्यवस्था और योगी आदित्यनाथ के चेहरे के साथ ही वह मैदान में उतरेगी।

भाजपा हाईकमान ने राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में उत्तर प्रदेश से सीएम योगी को बुलाकर तथा प्रदेश से राष्ट्रीय कार्यसमिति के शेष सदस्यों को वर्चुअली जोड़कर तथा योगी से राजनीतिक प्रस्ताव प्रस्तुत कराकर इसी प्रतीकात्मक रणनीति पर काम किया है। किसी भी राष्ट्रीय राजनीतिक दल का राजनीतिक प्रस्ताव वह दस्तावेज होता है जो उस पार्टी की रीति नीति को दर्शाता है। इसको देखते हुए जिस तरह योगी को दिल्ली बुलाकर भाजपा ने अपनी शीर्ष बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव रखवाया हैं उससे साफ़ ज़ाहिर हैं कि योगी आदित्यनाथ एक बार फिर मैदान में उतरेंगे।

गौरतलब हैं कि भाजपा हाईकमान इस बैठक के बहाने यह बताने की कोशिश की है कि पार्टी योगी की राजनीतिक दिशा व दृष्टि के साथ पूरी तरह खड़ी है। मतलब, यूपी चुनाव में हिंदुत्व और मुख्तार अंसारी से लेकर अतीक अहमद जैसे आपराधिक छवि वालों के साथ प्रदेश सरकार के रवैये एवं मुकीम काला व विकास दुबे के एनकाउंटर जैसे कामों से कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर किए गए उनके फैसले पूरी तरह ठीक हैं। इसलिए चुनाव में भाजपा उनके काम और चेहरे के साथ ही मैदान में उतरेगी।

राजनीतिक शास्त्री प्रो. एस. के. द्विवेदी  कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में किए कामों से न सिर्फ  भाजपा की राजनीति के लिहाज से जरूरी हिंदुत्व के एजेंडे को मजबूत किया है बल्कि कोरोना के पलायन के मुद्दे सहित कानून-व्यवस्था पर निर्णयों पर भी अपनी नेतृत्व क्षमता साबित की है। इसके साथ ही कोरोना संकट के दौरान लोगों की दवाई व रोजी-रोटी के लिए जिस तरह वह सक्रिय दिखे और काम किए, उससे भी उन्होंने अपनी क्षमता साबित कर दी है।हालॉंकि इस बात में कितनी सच्चाई हैं वो जनता भली भांति जानती हैं। हा ये कह सकते हैं उनका संन्यासी होना हिंदुत्व के एजेंडे पर उन पर लोगों का भरोसा ज्यादा ही बढ़ाता है।

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