“मारने वाले से बड़ा बचाने वाला होता है।” मारने वाला गोडसे याद है पर बचाने वाले पसमांदा महापुरुष नहीं .

राजेंद्र बाबू राष्ट्रपति बनने के बाद पहली दफा 1950 ई. में मोतिहारी पधारे थे। सभा शुरू हुई तो रेल की पटरियों की तरफ से एक […]

बिहार के मोमिन जमात को आज भी इन्तजार है कय्यूम अंसारी जैसे नेता की

फख्र-ए-कौम अब्दुल कय्यूम अंसारी उस अजीम शख्सियत का नाम है जिससे बिहार ही नहीं बल्कि पूरे उत्तर भारत के पिछड़े और दलित मुसलमानों को एक […]

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