भारतीय नोटों पर क्यों छापी जानी चाहिए बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर जानिए…

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बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार से मांग की है कि भारतीय करेंसी यानी भारतीय नोटो पर महात्मा गांधी के साथ साथ देवी लक्षमी औऱ भगवान गणेश की तस्वीर भी छापी जाएँ। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी इस मांग के पिछे का तर्क देते हुए कहा, “हम सब चाहते हैं कि भारत एक अमीर देश बने. भारत का हर परिवार अमीर परिवार बने. इसके लिए बहुत सारे क़दम उठाने की ज़रूरत है. लेकिन ये तभी फलीभूत होते हैं जब हमारे ऊपर देवी-देवताओं का आशीर्वाद होता है.”

केजरीवाल की नोटो पर देवी देवताओं की तस्वीर वाली मांग पर अब लोगो के भी विचार सामने आएं हैं। बुधवार के बीएसपी के नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश आनंद ने ट्वीट कर कहा कि, “हिल्टन यंग कमीशन के समक्ष बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा निर्धारित और प्रस्तुत दिशानिर्देशों के अनुसार 1 अप्रैल 1935 को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अस्तित्व में आया था। इसलिए अगर भारतीय करेंसी पर किसी की तस्वीर होनी ही है तो वो बाबासाहेब की तस्वीर होनी चहिए।

कांग्रेस पार्टी से लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने भी नोटो पर बाबा साबेह की तस्वीर लगाने की मांग का समर्थन करते हुए कहा, नोटों की नई श्रृंखला पर डॉ बाबासाहब अम्बेडकर की तस्वीर क्यों नहीं? एक तरफ महान महात्मा दूसरी तरफ डॉ. अम्बेडकर। अहिंसा, संविधानवाद और समतावाद एक अद्वितीय संघ में विलीन हो रहे हैं जो आधुनिक भारतीय प्रतिभा को पूरी तरह से जोड़ देगा।

केरीवाल के इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार दीलीप मंडल ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने केजरीवाल पर तंज कसते हए कहा, “”करेंसी नोट दारू के ठेके तक पर जाते हैं। देवी लक्ष्मी की फ़ोटो करेंसी नोट पर नहीं होनी चाहिए। देवी का रोज़ अपमान होगा! आदरणीय लक्ष्मी जी की फ़ोटो मटन की दुकान पर जाएगी! उससे गाँजा ख़रीदेंगे लोग, पब्लिक थूक लगाकर नोट गिनती है। आपको कैसा लगेगा? गलत होगा ये!”

नोटो पर देवी देवताओं की तस्वीर छापने की मांग के बाद अब नोटो पर बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीर छापने की मांग तेज़ हो रही है।

ये मांग इसलिए कि जा रही है क्योंकि जिस करेंसी की बात अरविंद केजरीवाल ने की है उस करेंसी को छापने वाले भरतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना में बाबा साहेब का योगदान भी माना जाता है।

साल 1935 में जब भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना की गई थी तो इसकी गाइडलाइंस, इसका वर्किंग स्टाइल और आउटलुक को बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा तैयार किये गए कांसेप्ट पर बनाया गया था। जिसे उन्होंने अपनी किताब दी प्रॉब्लम ऑफ रूपी में बताया है।

यह कॉन्सेप्ट बाबा साहेब अंबेडकर ने ‘हिल्टन यंग कमीशन’ के सामने पेश किया था. हिल्टन यंग कमीशन की सिफारिश के आधार पर ही आरबीआई की स्थापना की जानी थी। बता दें कि हिल्टन यंग कमीशन को ‘रॉयल कमीशन ऑन इंडियन करेंसी एंड फाइनेंस’ के नाम से भी जाना जाता है।

बाबा साहेब की किताब दी प्रॉब्लम ऑफ रूपी भारतीय रुपये और उससे संबंधित कई अहम बिंदुओं पर लिखी गयी है। जब आरबीआई के गठन को लेकर हिल्टन कमीशन ने काम शुरू किया था तब कमीशन के अधिकारियों और सदस्यों के हाथो में बाबा साहेब की यह किताब मौजूद थी।

इसी के आधार पर अम्बेडकरवादी का कहना है कि अगर भारतीय करेंसी पर हिन्दू देवी देवताओ की तस्वीर लगाने की मांग की जा रही है तो इस पर असली हक संविधान निर्माता और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना में योगदान देने वाले बाबा साहेब अंबेडकर का है और करेंसी पर उनकी तस्वीर छापी जानी चाहिए।

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