ओमप्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव से गठबंधन तोड़ने के दिए संकेत

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विधानसभा चुनाव से ही ओपी राजभर से नाराज चल रहे है अखिलेश यादव।

लखनऊ- बीते दिनों यूपी में हुए लोकसभा उपचुनाव और एमएलसी चुनाव में मिली हार के बाद समाजवादी पार्टी और सुभासपा दोनों  के बीच गठबंधन में दरार नजर आने लगी है। जिस तरीके से विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी और सुभासपा दोनों के बीच गठबंधन हुआ था, उसके बाद अब दोनों के बीच रिश्ते बिगड़ते नजर आ रहे हैं। बीते दिनों हुए लोकसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव पर सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने खुले तौर पर मीडिया से बात करते हुए जुबानी हमले किए थे और लोकसभा चुनाव में मिली हार का कारण बताते हुए कहा था कि ऐसी (AC) कमरे में बैठकर चुनाव नहीं जीता जाता है बल्कि जमीन पर उतर कर संघर्ष करके चुनाव जीता जाता है। जिसके बाद सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए बताया था कि मुझे किसी के सलाह की जरूरत नहीं है। और कल
विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा गुरुवार को लखनऊ पहुंचे। यहां समाजवादी पार्टी और रालोद के विधायकों ने उन्हें अपना समर्थन दिया। लेकिन इस कार्यक्रम में सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले ओम प्रकाश राजभर और उनकी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायकों को नहीं बुलाया गया। इस पर मीडिया ने ओम प्रकाश राजभर से सवाल पूछा। तो उन्होंने कहा, ‘मुझे बुलाया नहीं गया था। सपा अध्यक्ष को जयंत चौधरी की जरूरत है। अब मेरी जरूरत नहीं है। राष्ट्रपति चुनाव पर कल के बाद फैसला लेंगे।’ जिसके बाद अब मिली जानकारी के अनुसार ओपी राजभर ने भी अपनी पार्टी की आपात बैठक मऊ में बुलाई है, बैठक में क्या निर्णय ओपी राजभर द्वारा लिया जाता है यह देखने वाली बात होगी। माना यह भी जा रहा है कि इस बैठक में गठबंधन से जुड़े निर्णयों पर चर्चा होगी। बता यहीं नहीं खत्म हुई ओपी राजभर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भी 5 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है।

दो लोग सपा से पहले ही तोड़ चुके है गठबंधन अब शुभासपा ने भी दिए संकेत।

राजभर से पहले महान दल के केशव देव मौर्य भी सपा गठबंधन से अलग हो चुके हैं। वहीं, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल यादव भी चुनाव के बाद से ही अखिलेश पर हमलावर रहे हैं।

सपा मुखिया पर ओम प्रकाश राजभर पहले भी साध चुके है निशाना।

ये पहली बार नहीं था। जब ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा हो। चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही वह सपा प्रमुख पर लगातार हमलावर होते रहे हैं। विधान परिषद (एमएलसी) चुनाव के दौरान भी राजभर ने अखिलेश यादव पर तंज कसा था।
ओम प्रकाश राजभर चाहते थे। कि विधान परिषद की चार सीटों में कम से कम एक सीट उन्हें मिले, जिससे उनका बेटा सदन में पहुंच सके। लेकिन अखिलेश यादव ने इंकार कर दिया। इससे नाराज राजभर ने तंज कसते हुए कहा था कि 34 सीट पर चुनाव लड़कर आठ जीतने वाले को राज्यसभा का इनाम मिला और 14 सीट लेकर छह जीतने वाले की अनदेखी हुई। आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव हारने के बाद भी राजभर ने अखिलेश पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था, ‘अगर अखिलेश आजमगढ़ गए होते तो चुनाव जीत जाते। हम लोग धूप में प्रचार कर रहे थे और वे एसी में बैठे रहे।’ इस पर बुधवार को अखिलेश ने कहा कि सपा को किसी की सलाह की जरूरत नहीं है। कई बार राजनीति पर्दे के पीछे से चलती है।

सपा और शुभासपा का क्या गठबंधन टूट जाएगा?

जब मैंने वरिष्ठ पत्रकार जानकी शरण द्विवेदी से बात की तो उन्होंने बताया कि ओम प्रकाश राजभर खुलकर बोलने वाले शख्स हैं। कई बार उन्हें बड़बोला नेता कहा जाता है। चुनाव के बाद ओम प्रकाश राजभर ने बयान दिया था वह जानते थे कि सपा गठबंधन चुनाव हार रहा है। इस बयान के बाद से अखिलेश ने उनसे दूरी बनानी शुरू कर दी थी। विधान परिषद और फिर राज्यसभा चुनाव में भी उन्हें नहीं पूछा गया। अब राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी ओम प्रकाश राजभर को किनारे कर दिया गया। स्थित साफ है कि समाजवादी पार्टी अब ओपी राजभर के साथ अपना गठबंधन आगे जारी नहीं रखना चाहती है। ओम प्रकाश राजभर भी यह समझ चुके हैं कि अब यहां उनकी दाल नहीं गलने वाली है। यही कारण है कि वह भी अपना राजनीतिक भविष्य तलाशने में जुट गए हैं। इसके लिए पहले उन्होंने बसपा पर डोरे डाले और अब वापस भाजपा की तरफ उनका झुकाव बढ़ने लगा है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में सपा-सुभासपा का गठबंधन टूट सकता है।

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