मुंबई और देश खतरों में: 30 साल बाद क्यों उठाया शरद पवार-दाऊद इब्राहिम का मुद्दा? जानें प्रकाश अंबेडकर का सीधा जवाब

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प्रकाश अंबेडकर के बयान ने शरद पवार और दाऊद इब्राहिम की मुलाकात को लेकर एक बार फिर से बहस को जन्म दिया है। 30 साल पुराने इस मुद्दे को उठाने का उद्देश्य केवल इतिहास को दोहराना नहीं है, बल्कि यह चेतावनी देना है कि अगर इतिहास से सबक नहीं लिया गया, तो भविष्य और भी भयावह हो सकता है।

मुंबई, जिसे भारत की आर्थिक राजधानी कहा जाता है, अंडरवर्ल्ड के दबाव और राजनीतिक संरक्षण के कारण दशकों तक भय और हिंसा का सामना करती रही है। अंडरवर्ल्ड और राजनीति के गठजोड़ ने न केवल शहर के विकास को प्रभावित किया, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग, विशेषकर दलितों और वंचितों, पर भी गहरा नकारात्मक प्रभाव डाला। अंडरवर्ल्ड ने कमजोर वर्गों को अपनी दबंगई और अपराधिक गतिविधियों के लिए उपयोग किया। इससे न केवल उनके जीवन पर खतरा मंडराता रहा, बल्कि उन्हें अवसरों से भी वंचित किया गया।

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प्रकाश अंबेडकर का बयान इस पूरे संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण

वंचित बहुजन आघाडी के नेता प्रकाश अंबेडकर का हालिया बयान इस पूरे संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण है, जहां उन्होंने शरद पवार और दाऊद इब्राहिम की मुलाकात को लेकर एक बार फिर से बहस को जन्म दिया है। 30 साल पुराने इस मुद्दे को उठाने का उद्देश्य केवल इतिहास को दोहराना नहीं है, बल्कि यह चेतावनी देना है कि अगर इतिहास से सबक नहीं लिया गया, तो भविष्य और भी भयावह हो सकता है।

बाबा सिद्दीकी की हत्या

बाबा सिद्दीकी की हत्या ने मुंबई के उस काले दौर की याद दिलाई, जब अंडरवर्ल्ड का राज हुआ करता था। वह दौर जब मुंबई के अधिकांश हिस्सों पर माफिया का नियंत्रण था, कानून और व्यवस्था पूरी तरह से कमजोर हो चुकी थी। अंडरवर्ल्ड का अपराधी तंत्र दलित और अन्य कमजोर वर्गों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया था। उनके लिए नौकरी, शिक्षा और सुरक्षा जैसे मौलिक अधिकारों तक पहुंच सीमित हो गई थी। प्रकाश अंबेडकर ने इसी मुद्दे पर रोशनी डालते हुए कहा कि बाबा सिद्दीकी की हत्या एक फ्लैशबैक है, जो बताता है कि अगर हम सतर्क नहीं हुए तो यह स्थिति फिर से वापस आ सकती है।

राजनीतिक सहयोग: अंडरवर्ल्ड का बढ़ता हस्तक्षेप

मुंबई पर अंडरवर्ल्ड का नियंत्रण कभी सिर्फ बाहुबल के कारण नहीं था, बल्कि इसके पीछे राजनीतिक सहयोग और समर्थन की भूमिका भी अहम रही है। कई राजनेता, जिन्होंने सत्ता में बने रहने के लिए अंडरवर्ल्ड के साथ हाथ मिलाया, उन्होंने शहर के कमजोर वर्गों के हितों की अनदेखी की। यह राजनीतिक सहयोग अंडरवर्ल्ड को और मजबूत करता रहा और दलित समुदाय जैसे वंचित वर्गों को और अधिक असुरक्षित बनाता रहा।

प्रकाश अंबेडकर का यह बयान उन राजनीतिक दलों और नेताओं की ओर इशारा करता है जो अंडरवर्ल्ड के साथ मिलकर काम कर रहे थे और अभी भी उनके साथ जुड़े हुए हैं। उनके अनुसार, महाराष्ट्र चुनाव के दौरान जनता को यह सोचना चाहिए कि क्या वे उन नेताओं को वोट देंगे, जिनका संबंध अंडरवर्ल्ड से रहा है? क्या वे फिर से मुंबई और महाराष्ट्र को अपराधियों के हाथों में सौंपना चाहते हैं?

बाबासाहेब अंबेडकर की चेतावनी और आज की राजनीतिक परिस्थिति

प्रकाश अंबेडकर ने अपने बयान में बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की उस चेतावनी का जिक्र किया, जो उन्होंने चीन की विस्तारवादी योजनाओं को लेकर दी थी। बाबासाहेब ने उस समय कांग्रेस सरकार को आगाह किया था कि अगर चीन को नियंत्रित नहीं किया गया, तो देश के लिए यह बड़ा खतरा बन सकता है। लेकिन उस समय की सरकार ने उनकी चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया, जिसके परिणामस्वरूप 1962 में भारत-चीन युद्ध हुआ।

आज की राजनीतिक स्थिति में भी प्रकाश अंबेडकर ने वही भूमिका निभाई है। उन्होंने अंडरवर्ल्ड और उसके राजनीतिक सहयोगियों के खतरों की ओर इशारा किया है और जनता को चेतावनी दी है कि अगर इस बार सही फैसला नहीं लिया गया, तो आने वाले पाँच साल मुंबई और देश के लिए अत्यंत खतरनाक साबित हो सकते हैं।

दलित समुदाय का संघर्ष और चुनाव में उनकी भूमिका

महाराष्ट्र चुनाव में दलित समुदाय की भूमिका निर्णायक हो सकती है। देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक ताने-बाने में दलित समुदाय का संघर्ष सदियों से जारी है। बाबासाहेब अंबेडकर ने दलितों के लिए एक ऐसे समाज का सपना देखा था, जहां उन्हें समान अधिकार और सम्मान मिल सके। लेकिन आज भी दलितों को अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ रहा है।

अंडरवर्ल्ड और राजनीति के गठजोड़ ने दलित समुदाय को और पीछे धकेल दिया है। इसलिए, महाराष्ट्र के आगामी चुनाव में दलित समुदाय को बहुत सोच-समझकर निर्णय लेना होगा। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे उन नेताओं को सत्ता में न आने दें, जो अंडरवर्ल्ड के साथ जुड़े हैं और जिनके कारण उनका शोषण और बढ़ सकता है।

अंडरवर्ल्ड का डर: दलितों के भविष्य पर असर

अंडरवर्ल्ड के पुनरुत्थान का डर केवल अपराध तक सीमित नहीं है। यह दलितों और वंचितों के भविष्य पर सीधा प्रभाव डालता है। अंडरवर्ल्ड और उसके सहयोगी अक्सर कमजोर वर्गों को अपनी अपराधिक गतिविधियों में उलझाते हैं, जिससे उनकी शिक्षा, रोजगार और आर्थिक विकास की संभावनाएं पूरी तरह खत्म हो जाती हैं। दलित समुदाय को यह समझना होगा कि अगर अंडरवर्ल्ड के सहयोगी सत्ता में आते हैं, तो उनके जीवन में अस्थिरता और बढ़ेगी।

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भविष्य की सुरक्षा के लिए एकजुटता की जरूरत

प्रकाश अंबेडकर ने जो मुद्दा उठाया है, वह दलित समुदाय और पूरे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है। अंडरवर्ल्ड का राजनीति में हस्तक्षेप न केवल लोकतंत्र के लिए खतरा है, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्गों के अस्तित्व पर भी सवाल खड़ा करता है। अगर महाराष्ट्र में अंडरवर्ल्ड से जुड़े राजनीतिक दल और नेता सत्ता में आते हैं, तो मुंबई फिर से अपराध और आतंक का गढ़ बन सकता है।

इसलिए, दलित समुदाय को अपने वोट का इस्तेमाल बहुत समझदारी से करना होगा। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे उन नेताओं का समर्थन करें, जो उनके अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं और अंडरवर्ल्ड के खिलाफ सख्त कदम उठा सकते हैं। यही एकमात्र रास्ता है जिससे दलित समुदाय अपना भविष्य सुरक्षित कर सकता है और देश की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है।

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