5 सालों में 13 हजार से भी ज्यादा दलित-आदिवासी-पिछड़े छात्रों ने छोड़ी IIT-IIM की पढ़ाई, जातीय भेदभाव के अलावा और भी कारण जिम्मेदार

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पिछले पांच साल में केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले 4,596 ओबीसी, 2,424 एससी और 2,622 एसटी छात्रों ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी, इनमें आईआईटी के भीतर, 2,066 ओबीसी, 1,068 एससी और 408 एसटी छात्रों ने पढ़ाई छोड़ी….

Higher education and SC/ST-OBC student dropout : आईआईटी और आईआईएम जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिला लेना आज हर विद्यार्थी का सपना बन गया है, लेकिन इन संस्थानों की फीस काफी ज़्यादा होती है जो एक सामान्य परिवार के विद्यार्थी के लिए संभव नहीं। ऐसे में माता पिता भी अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। कई बार ऐसा भी देखने में आया है कि इन संस्थानों में बच्चे के दाखिले के लिए माता-पिता अपनी ज़मीन तक गिरवी रख देते हैं, लेकिन पिछले 5 सालों में ऐसा देखा गया है कि 13626 अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के छात्रों ने IIT और IIM को छोड़ दिया।

इतनी बड़ी संख्या में दलित-पिछड़े-आदिवासी छात्रों द्वारा उच्च शिक्षण संस्थानों से पढ़ाई छोड़ने का आंकड़ा खुद सरकार ने बताया है। वर्ष 2023 के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार ने एक सवाल के जवाब में बताया कि पिछले पांच साल में केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले 4,596 ओबीसी, 2,424 एससी और 2,622 एसटी छात्रों ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी. इनमें आईआईटी के भीतर, 2,066 ओबीसी, 1,068 एससी और 408 एसटी छात्रों ने पढ़ाई छोड़ी।

इसी तरह आईआईटी में पढ़ने वाले 2,066 ओबीसी, 1,068 एससी और 408 एसटी छात्रों ने पढ़ाई छोड़ दी, जबकि आईआईएम में पढ़ने वाले 163 ओबीसी, 188 एससी और 91 एसटी छात्रों ने पढ़ाई छोड़ी। इस तरह केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी और आईआईएम में पढ़ने वाले आरक्षित वर्ग के 13,626 छात्रों को पिछले पांच साल में पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर ऐसे शिक्षण संस्थानों जहां एडमिशन पाना एक ख्वाब जैसा है, को छोड़ने के पीछे छात्रों की क्या वजह हो सकती है ? क्या इसके पीछे का कारण जातीय भेदभाव है या दूसरे कारण भी हैं, जो छात्रों के भविष्य को चकनाचूर कर रहे हैं।

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उच्च शिक्षण संस्थान छोड़ने के कुछ कारण

  • ऐसा देखा गया है कि सामान्य वर्ग के छात्रों को आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ता है। ट्यूशन फीस के साथ साथ शहर में रहकर पढ़ाई का खर्चा करना उनके लिए संभव नहीं होता है। ऐसे में छात्रों के लिए पाठ्यक्रम को आगे बढ़ाने में कठिनाई होती है और महंगी फीस की वजह से छात्र IIT और IIM जैसे शिक्षण संस्थानों को छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं।
  • अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के अधिकांश छात्रों को भाषा से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ता है। अपनी पसंद की भाषा में विषय उपलब्ध न होने पर भी छात्र शिक्षण संस्थानों को छोड़ देते हैं।
  • सामान्य वर्ग से आने वाले छात्रों के साथ सवर्ण समाज से आने वाले प्रोफ़ेसर भी भेदभाव करते हैं और उन पर ज्यादा ध्यान नहीं देते। प्रोफ़ेसर के ध्यान नहीं देने से तनाव बढ़ता जाता है। यह भी एक बड़ा कारण है, जिससे इस वर्ग के छात्रों का ड्रॅाप आउट रेट अधिक है। इसके अलावा भी कई कारण है, जिससे छा़त्र पढ़ाई बीच में छोड़ देते हैं।

IIT रूड़की के पूर्व छात्र मधुसूदन ने क्या कहा

SC, ST और OBC वर्ग के छात्रों को जातिगत भेदभाव भी झेलना पड़ता है और इस वजह से विद्यार्थी तनाव में रहने लगते हैं। तनाव की वजह से पढ़ाई के प्रति उनमें अलगाव उत्पन्न होने लगता है। इस मामले में ओडिशा के सामाजिक कार्यकर्ता और IIT रूड़की के पूर्व छात्र मधुसूदन ने भी बताया था कि “आरक्षित श्रेणी के छात्रों के साथ पहले दिन से ही जातीय भेदभाव शुरू हो जाता है। अमूमन साथी छात्र उनसे जेईई की रैंक पूछते है। इसके बाद कम रैंक वाले आरक्षित छात्रों को एक खास नाम से पुकारा जाने लगता है। उन्हें साइड लाइन कर दिया जाता है।”

आत्महत्या की ऐसी घटनाएं जिसने मानवता को झकझोर दिया

आज के संदर्भ में देखा जाए तो आए दिन अखबारों में भी खब़रे आती हैं कि छात्र आत्महत्या कर रहे हैं। इस तरह की घटनाएं मानवता को झकझोर देती हैं। इस तरह की घटनाएं छात्रों में भी निराशा पैदा कर देती हैं।

  • फरवरी 2024 में भी आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के छात्र ने भी IIT की परीक्षा देने के बाद परीक्षा के परिणाम के डर से आत्महत्या कर ली थी।
  • फरवरी 2023 में भी IIT बॉम्बे के दलित छात्र ने जातिगत भेदभाव के चलते हॉस्टल की सातवीं मंजिल से छलांग कर अपनी जान दे दी थी। इस मामले में छात्र के परिवार ने ये भी आरोप लगाया था कि जब उनके बेटे के दोस्तों को यह पता लगा था कि उसका नाम दर्शन सोलंकी है और वह दलित समुदाय से आता है तो दोस्तों ने उसके साथ भेदभाव करना शुरु कर दिया था। वहीं दूसरी ओर छात्र के रिश्तेदारों ने यह भी आरोप लगाया था कि जब दर्शन के दोस्तों को यह पता चला कि वह मोटी फीस अदा किए बिना उच्च शिक्षण संस्थान में पढ़ रहा है तो दर्शन के दोस्तों ने उससे बात करना बंद कर दिया था।

आंकड़े क्या कहते हैं ?

आंकड़ो के अनुसार “भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान” (IIT) में, कुल 2,066 अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), 1,068 अनुसूचित जाति (SC) और 408 अनुसूचित जनजाति (ST) छात्रों ने नाम वापस ले लिया। जबकि “भारतीय प्रबंधन संस्थान” (IIM) के भीतर कुल OBC में 163 छात्रों SC में 188 और ST में 91 छात्रों ने अपना नाम वापस लिया है।

दरअसल दिसंबर 2023 में लोकसभा में BSP सदस्य रितेश पांडे ने एक सवाल के जवाब में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने एक लिखित उत्तर में आंकड़े उपलब्ध कराये थे। केंद्रीय विश्वविद्यालयों (सीयू) के संबंध में, सरकार ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में कुल 4,596 ओबीसी, 2,424 एससी और 2,622 एसटी छात्रों ने अपनी पढ़ाई छोड़ी है।

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