मायावती ने गंगा एक्सप्रेस-वे को लेकर भाजपा पर साधा निशाना कहा-स्वार्थी राजनीति से जनता को कब तक छला जाएगा

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मायावती ने गंगा एक्सप्रेस-वे को लेकर शनिवार को ट्वीट करते हुए कहा कि बीएसपी सरकार नोएडा से बलिया तक 8-लेन के गंगा एक्सप्रेस-वे के जरिए दिल्ली को पूर्वांचल से सीेधे जोड़कर बाढ़ के साथ-साथ क्षेत्र की गरीबी, पलायन व बेरोजगारी आदि की समस्या को दूर करने का प्रयास कर रही थी, लेकिन तब कांग्रेस, भाजपा व सपा इन सभी ने इसमें अड़ंगा लगाया व विरोध भी किया।

इसके आगे उन्होंने कहा,यूपी में सपा व अब भाजपा की डबल इंजन की सरकार के भी 5 वर्ष अर्थात् कुल 10 वर्ष बीतने के बाद अब विधान सभा आम चुनाव के नजदीक गंगा एक्सप्रेस-वे को टुकड़ों में बांटकर इसका शिलान्यास हुआ है। ऐसी स्वार्थी राजनीति से जनता को कब तक छला जाएगा? चुनाव में जन सावधनी जरूरी।

राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ही सहसे पहले इस एक्सप्रेस-वे की कल्पना की थी। साल 2007 में जब मायावती ने नई सोशल इंजीनियरिंग कर राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी, तब उन्होंने 1047 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेस-वे की योजना बनाई थी, जो दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा से शुरू होकर बिहार के नजदीक बलिया तक प्रस्तावित थी लेकिन एक एनजीओ ने प्रोजेक्ट के अलाइनमेंट को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को शाहजहांपुर में मेरठ को प्रयागराज को जोडऩे वाले गंगा एक्सप्रेसवे का शिलान्यास किया।

इससे पहले शनिवार को ही मायावती ने ट्वीट किया कि बीएसपी गरीब मेहनतकश जनता का दुख-दर्द समझती है। पूंजीपतियों के धन में विकास के बजाय देश की पूंजी में विकास चाहती है, ताकि आमजन व देश का भला हो सके। इसी क्रम में सरकारी बैंकों के निजीकरण की समर्थक नहीं, जबकि भाजपा जल्दबाजी करके निजीकरण में ही व्यस्त, यह अति-दुखद।

गंगा एक्सप्रेस-वे पर भी अखिलेश यादव ने कहा है कि यह परियोजना मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट था, योगी आदित्यनाथ या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नहीं एक तरह से यह बात सही भी है लेकिन वह अदालती उलझनों में रुका हुआ था, जिसे अब जाकर क्लियर किया गया है और पीएम मोदी ने आज उसकी आधारशिला रखी हैं। दरअसल, चुनावों से पहले विकास का श्रेय हर पार्टी अपने खाते में दर्ज कराना चाहती है, इसलिए इस पर राजनीति तेज है।

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