मध्यप्रदेश : शिवराज सरकार की खोखली योजनाओं के कारण दलित गवां रहे अपनी जान..पढ़िए पूरी खबर

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मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार अपनी योजनाओ को लेकर काफी चर्चा में रहती है। लेकिन हकीकत तो यह है कि उनकी योजनाएं केवल कागज़ो पर मौजूद हैं, असल हकीकत में योजनाएं उसी तरह गायब हैं जैसै गधे के सिर से सींग। ऐसा ही कुछ हुआ है मध्यप्रदेश के “हर घर टोंटी”  वाली योजना के साथ। दरअसल सरकार की हर घर तक टोंटी से जल पहुंचाने की यह योजना लोगो के कानों तक तो पहुंची लेकिन घरों तक पानी नहीं पहुंच पाया। जिसका नतीज़ा ये हुआ कि दलित परिवार के तीन लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी।

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क्या थी पूरी घटना :

मामला राजगढ़ जिले के माना गांव का है जहाँ सरकार की “हर घर नल, हर घर जल” परियोजना की विफलता के चलते तीन लोगों की मौत हो गई। जिसमे एक ही दलित परिवार के तीन चिराग बुझ गए और अब उनकी लाशें शिवराज सरकार के नल-जल योजना के सभी दावों की पोल खोल रही है। अब इस घटना के लिए ग्रामिणों ने प्रदेश कि शिवराज सरकार को जिमेंदार ठहराया  है। गौरतलब है कि सरकार की तरफ से इस गांव के लिए पानी की कोई व्यवस्था नही की पाई । जैसे-तैसे सरकार की नलजल योजना ने इस गांव की और रुख़ तो किया लेकिन सफल नही हो पाई, और टोटिंयो तक ही सिमट कर धाराशाही हो गई है।

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पानी की ऐसा किल्लत की हर घर खोदने पड़े कुएं :

राजगढ़ जिले के माणा गांव में ‘नल जल योजना’ के विफलता की वजह से पानी की ऐसी किल्लत है कि हर घर में एक कुआ खोदना पड़ा है। बता दें कि गांव में 150 के आसपास घर हैं औऱ लगभग तीन हजार के आसपास जनसंख्या है। ग्रामिणो का कहना है कि सरकार की ‘नल जल योजना’ की टोटी तो हर घर तक पहुंच गई है पर पानी अभी तक नहीं पहुंचा।

 

इसलिए लोगों ने अपने घरों में कुआं खुदवा रखा है। अब यह कुएं लोगों के लिए मौत का कारण बन रहे हैं। जिसकी वजह से तीन दलित युवकों की मौत हो गई। मरने वालो में ओमप्रकाश अहिरवार (उम्र 30), कांताप्रसाद अहिरवार (30 वर्षीय) , विष्णु अहिरवार (24 वर्ष) ये अपने-अपने घरों को चलाने वाले मजबूत कंधे थे जो अब दुनिया से चले गए। मौत के बाद अब शासन-प्रशासन के प्रति ग्रामीणों में काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है। इस घटना ने प्रदेश में ‘नल जल योजना’ की भी पोल खोल दी है। ताज्जुब कि बात ये है कि इस योजना पर शिवराज सरकार को केंद्र सरकार की ओर से खूब शाबासी भी मिली थी।

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पानी की कई योजनाएं फिर भी प्यासा है गांव :

मीडिया रिपोर्टस की माने तो ग्रामिणों का कहना है कि गांव में पानी का संकट है,  इसीलिए घरों में कुआं खोदकर इनमें पानी स्टोर किया जाता है। ग्रामीणों ने इस तरह की घटना के लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेदार बताया है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर सरकार की ‘जल जीवन मिशन’ योजना गांव में चल रही होती, तो आज तीन लोगों की मौत नही होती। उन्होंने कहा कि इस योजना की नाकामी की वजह से गांव के लगभग हर घर में कुआं नजर आएगा। कहीं ये कुए बंद हैं, तो कहीं खुले है लेकिन हर घर में कुंए नजर आएंगे।

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