कांग्रेस सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के विकास के लिए निर्धारित ₹14,730 करोड़ की राशि को अपनी गारंटी योजनाओं के लिए इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है…
Karnataka SC/ST welfare fund crisis: कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए चुनावी वादे अब राज्य के दलित और आदिवासी समुदायों पर भारी पड़ रहे हैं। राज्य के अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) समुदायों के कल्याण के लिए निर्धारित फंड का बड़ा हिस्सा अब इन वादों को पूरा करने के लिए उपयोग किया जा रहा है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ₹39,121 करोड़ की राशि SC/ST कल्याण फंड के रूप में जारी की थी। लेकिन अब सरकार ने इस फंड में से लगभग 37% (₹14,730 करोड़) काटकर उसे चुनावी गारंटियों में लगाने का फैसला किया है। इस कदम ने राज्य में व्यापक विरोध और विवाद को जन्म दिया है।
चुनावी वादों का प्रभाव :
2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल करने के लिए पांच प्रमुख गारंटियाँ दी थीं, जिन्हें ‘रेवड़ी वादे’ कहा गया था। इनमें प्रत्येक घर को 200 यूनिट मुफ्त बिजली (गृह ज्योति योजना), महिलाओं को ₹2000 प्रतिमाह (गृह लक्ष्मी योजना), प्रत्येक परिवार को 10 किलो अनाज (अन्न भाग्य योजना), महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा, और बेरोजगार युवाओं को ₹1500 प्रतिमाह देना शामिल था। इनमें से कुछ योजनाएँ पूरी तरह से लागू हो चुकी हैं और कुछ आंशिक रूप से लागू की गई हैं।
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भाजपा का विरोध :
भाजपा ने कांग्रेस सरकार के इस निर्णय की कड़ी आलोचना की है। भाजपा ने इसे कांग्रेस का दलित विरोधी कदम बताया है। कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक ने कहा, “दलित विरोधी कांग्रेस सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के विकास के लिए निर्धारित ₹14,730 करोड़ की राशि को अपनी गारंटी योजनाओं के लिए इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है।” उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह दलितों के विकास के लिए निर्धारित राशि को अन्य योजनाओं में नहीं लगाना चाहिए।
दलित संघर्ष समिति का विरोध :
दलित संघर्ष समिति (DSS) ने भी कांग्रेस सरकार के इस निर्णय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। DSS ने इसे कांग्रेस सरकार का एकतरफा निर्णय बताया और कहा कि यह SC/ST समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने सरकार से इस निर्णय को वापस लेने और फंड का उपयोग केवल इन समुदायों के कल्याण के लिए करने की मांग की है।
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पहले भी हुआ फंड का दुरुपयोग :
यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस सरकार ने SC/ST समुदायों के फंड का पुनर्विनियोजन किया है। जुलाई 2023 में भी राज्य सरकार ने SC/ST समुदायों के लिए निर्धारित ₹11,000 करोड़ को चुनावी गारंटियों के लिए उपयोग करने का निर्णय लिया था, जिसके कारण उसकी काफी आलोचना हुई थी। उस समय सरकार ने दावा किया था कि यह राशि भी गरीबों के विकास में लगेगी, लेकिन दलित संगठनों ने इस दलील को खारिज कर दिया था।
आर्थिक स्थिति पर प्रभाव :
कांग्रेस सरकार की चुनावी गारंटियाँ राज्य के बजट का एक बड़ा हिस्सा ले रही हैं। वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में इन गारंटियों पर ₹52,000 करोड़ खर्च करने की योजना बनाई गई है। इसके कारण अन्य विकास योजनाओं के लिए धन की कमी हो रही है। जुलाई 2023 में उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भी अपने विधायकों को स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें कोई भी फंड नहीं दिए जाएंगे और पूरा फोकस गारंटियों को पूरा करने पर होगा।
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संसद सदस्य चंद्रशेखर का पत्र :
लोकसभा सदस्य चंद्रशेखर आजाद ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर SC/ST कल्याण के लिए आवंटित धन के दुरुपयोग पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने आग्रह किया कि आवंटित फंड्स का उपयोग केवल SC/ST समुदायों के उत्थान और विकास के लिए ही किया जाए। चंद्रशेखर ने कहा, “एससी और एसटी समुदायों के कल्याण और विकास के लिए विशेष रूप से निर्धारित धन का आवंटन उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान और सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।”
चंद्रशेखर ने अपने पत्र में लिखा :
“यह अत्यंत चिंताजनक है कि आवंटित फंड्स का इतना बड़ा हिस्सा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों के विकास और कल्याण के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। मैं आपसे यह आग्रह करता हूँ कि आवंटित फंड्स का उपयोग एससी/एसटी समुदायों के उत्थान और विकास के लिए ही किया जाए और इस फण्ड का कोई भी दुरुपयोग अस्वीकार्य है।”
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कांग्रेस का दलित विरोधी चेहरा उजागर :
कांग्रेस को दलित विरोधी इसलिए भी कहा जा रहा है कि बीते छह महीने तक कांग्रेस जो लगातार बीजेपी पर बयानबाज़ी कर रही थी वहीं चुनाव आते ही दलित हितेषी बनने का ढोंग कांग्रेस की तरफ से शुरू कर दिया गया। कभी जाति जनगणना के नाम पर दलितों को अपनी किया गया तो कभी “BJP संविधान खत्म करना चाहती है, अगर बीजेपी सत्ता में फिर वापस आ गयी तो संविधान बदल देगी” जैसी बातें लगातार कांग्रेस की तरफ से फैलाई गयी। लेकिन अब जब एक मजबूत गठबंधन वाले विपक्ष के तौर पर कांग्रेस स्थापित हो गयी है तो अब कांग्रेस यह भूल गयी है कि वह दलित वर्ग और आदिवासी वर्ग से क्या क्या वादे किए थे। अब कांग्रेस की नज़र दलित, आदिवासियों को मिलने वाले फंड पर है कि कैसे उसे कम किया जाए और उसका पैसा अपने चुनावी वादों को पूरा करने में लगाया जाए..।
बजट का एक बड़ा हिस्सा होगा खर्च :
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार का यह निर्णय व्यापक विवाद और विरोध का कारण बना हुआ है। जहां एक ओर सरकार अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए प्रयासरत है, वहीं दूसरी ओर SC/ST समुदायों के कल्याण के लिए निर्धारित धन का पुनर्विनियोजन चिंता का विषय बना हुआ है। विपक्ष और दलित संगठनों ने इस निर्णय को दलित विरोधी और अस्वीकार्य बताया है। अब देखना यह है कि कांग्रेस सरकार इस मुद्दे पर कैसे प्रतिक्रिया देती है और क्या यह विवादित निर्णय वापस लेती है या नहीं।कर्नाटक की आर्थिक स्थिति पर इस फैसले का असर स्पष्ट है, क्योंकि बजट का एक बड़ा हिस्सा इन चुनावी गारंटियों में खर्च हो रहा है, जिससे अन्य विकास कार्यों के लिए धन की कमी हो रही है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार कैसे संतुलन बनाती है और इन समुदायों के कल्याण के लिए आवंटित धन का सही उपयोग सुनिश्चित करती है।
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