एक अन्य अध्ययन के अनुसार, COVID-19 वैक्सीन, जिसमें Covishield भी शामिल है, का हृदयाघात के जोखिम में कोई संबंध नहीं पाया गया है। इस अध्ययन में पाया गया कि जिन व्यक्तियों को वैक्सीन दी गई थी, उनमें मृत्यु दर उन लोगों की तुलना में काफी कम थी.. पढ़िए अन्नू यादव की ये रिपोर्ट
HEART Attack and Mental Health : व्यस्त जीवनशैली में खुद को फिट रखना न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। सही तरीके से वर्कआउट करने से न केवल हम अपनी शारीरिक क्षमता बढ़ा सकते हैं, बल्कि मानसिक स्पष्टता, मूड और संज्ञानात्मक कार्यक्षमता में भी सुधार ला सकते हैं। हालांकि, जिम में वर्कआउट करते समय चोट लगने या हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं, जो कि कई कारणों से हो सकते हैं। इसके बावजूद, लोग जिम जाना क्यों पसंद करते हैं और यह क्यों जरूरी है, इसके बारे में विस्तार से जानकारी नीचे दी गई है।
जिम के दौरान हार्ट अटैक :
हाल के वर्षों में जिम में एक्सरसाइज करते समय चोट लगने या हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:
गलत तरीके से वर्कआउट करना
बिना सही गाइडेंस के वर्कआउट करना जिम में चोट लगने का एक प्रमुख कारण हो सकता है। जब लोग खुद से वर्कआउट करने की कोशिश करते हैं और उन्हें सही तकनीक का ज्ञान नहीं होता, तो वे गलत तरीके से वेट लिफ्टिंग, कार्डियो, या अन्य एक्सरसाइज कर सकते हैं, जिससे मांसपेशियों, जॉइंट्स और हड्डियों को नुकसान पहुँच सकता है।
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बहुत अधिक वजन उठाना
अपनी क्षमता से अधिक वजन उठाना भी चोटों का एक बड़ा कारण है। जब लोग अपनी क्षमता से अधिक वजन उठाने की कोशिश करते हैं, तो उनके शरीर की मांसपेशियों और जॉइंट्स पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे चोट लग सकती है।
शरीर की सीमाओं को न समझना
शरीर की सहनशक्ति को नजरअंदाज करना और अधिक वर्कआउट करना भी चोट और हार्ट अटैक का कारण बन सकता है। जब लोग अपने शरीर की सीमाओं को नहीं समझते और अत्यधिक वर्कआउट करते हैं, तो यह उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।
स्वास्थ्य समस्याओं को नजरअंदाज करना
पूर्व स्वास्थ्य समस्याओं की अनदेखी करना भी जिम में चोट और हार्ट अटैक के मामले बढ़ने का एक कारण हो सकता है। जिन लोगों को पहले से ही हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, उन्हें वर्कआउट करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
लोग जिम क्यों जाते हैं?
आज कर जिम जाने का मानों फैशन हो गया है। बच्चे से लेकर बड़ो तक में जिम जाने की ललक है। लेकिन जिम जाना सूरतों में ठीक भी माना जा रहा है। और जिम जाने के लिए लोग उतावले क्यों हो रहे हैं आइए जानते हैं..
स्वास्थ्य और फिटनेस : जिम में नियमित वर्कआउट करने से शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। नियमित व्यायाम से हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है, मांसपेशियों की मजबूती बढ़ती है, और शरीर की सहनशक्ति में वृद्धि होती है।
वजन घटाना : बहुत से लोग वजन कम करने के उद्देश्य से जिम जाते हैं। जिम में कार्डियो और वेट ट्रेनिंग से कैलोरी बर्न होती है और वजन नियंत्रित होता है।
मानसिक स्वास्थ्य : वर्कआउट करने से तनाव कम होता है और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह मूड को बेहतर बनाता है और तनाव और डिप्रेशन को कम करने में मदद करता है। व्यायाम से एंडोर्फिन स्तर बढ़ता है, जिससे मूड बेहतर होता है।
सामाजिक संपर्क : जिम में अन्य लोगों से मिलना और उनके साथ वर्कआउट करना एक अच्छा सामाजिक अनुभव हो सकता है। यह सामाजिक संपर्क के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है और लोगों को प्रोत्साहित कर सकता है।
डिसिप्लिन और रूटीन : जिम जाने से एक नियमित रूटीन बनता है और डिसिप्लिन विकसित होती है, जो जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी मदद कर सकती है। नियमित व्यायाम से समय प्रबंधन में सुधार होता है और व्यक्ति अधिक संगठित हो जाता है।
पर्सनल गोल्स : कई लोग अपनी व्यक्तिगत फिटनेस गोल्स को हासिल करने के लिए जिम जाते हैं, जैसे कि मसल्स बनाना, स्टैमिना बढ़ाना, या किसी स्पोर्ट्स में बेहतर प्रदर्शन करना। जिम में वर्कआउट करने से वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
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देश में हार्ट अटैक के मुख्य कारण :
देश में लगातार हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे है। कोई चलते वक्त जमीन पर गिर पड़ता है तो कोई जिम करते हुए। किसी की बैठे-बैठे हार्ट अटैक से मौत हो गयी तो किसी की कोरोनो वेक्सीन लेने से। ऐसा खबरों से अखबारों को पन्ने पटे पड़े हैं। तो आइए अब बात हार्ट अटैक किन कारणों से आ सकता है उस पर बात कर लेते हैं…
अस्वास्थ्यकर आहार : अत्यधिक फैट, चीनी और नमक से भरपूर भोजन का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जो हार्ट अटैक का कारण बन सकता है। अस्वास्थ्यकर आहार का सेवन हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाता है।
शारीरिक सक्रियता की कमी : आजकल के जीवनशैली में शारीरिक गतिविधि की कमी हो गई है। लोग दिनभर बैठकर काम करते हैं, जिससे मोटापा और दिल की बीमारियाँ बढ़ रही हैं। शारीरिक सक्रियता की कमी हृदय रोग का एक प्रमुख कारण है।
तनाव और मानसिक दबाव : अत्यधिक तनाव और मानसिक दबाव भी हार्ट अटैक के मुख्य कारणों में से एक हैं। लगातार तनाव में रहना हृदय के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है। तनाव हार्मोन (जैसे कि कॉर्टिसोल) का उच्च स्तर हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालता है।
धूम्रपान और शराब का सेवन : धूम्रपान और अत्यधिक शराब पीना हृदय पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं और हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ाते हैं। धूम्रपान से हृदय की धमनियों में प्लाक बनता है और रक्त प्रवाह में रुकावट आती है।
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मधुमेह : मधुमेह से पीड़ित लोगों में हृदय रोग का जोखिम अधिक होता है, क्योंकि यह ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा देता है और हृदय की धमनियों को नुकसान पहुँचाता है। मधुमेह हृदय रोग का एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है।
उच्च रक्तचाप: उच्च रक्तचाप हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे हृदय की धमनियाँ कड़ी और संकरी हो जाती हैं और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। उच्च रक्तचाप हृदय रोग का एक प्रमुख कारण है।
परिवारिक इतिहास: जिन लोगों के परिवार में हृदय रोग का इतिहास होता है, उनमें हार्ट अटैक का जोखिम अधिक होता है। जेनेटिक कारक भी हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
मोटापा : अधिक वजन या मोटापे से हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और यह विभिन्न हृदय रोगों का कारण बन सकता है। मोटापा हृदय रोग का एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है।
अनिद्रा: पर्याप्त नींद न लेने से शरीर में तनाव हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे हृदय रोग का जोखिम बढ़ सकता है। अच्छी नींद का अभाव हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
वायु प्रदूषण: बढ़ते वायु प्रदूषण का भी हृदय रोगों से सीधा संबंध है। प्रदूषित हवा में सांस लेने से हृदय और रक्त वाहिनियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषण हृदय रोग का एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है।
कोरोना वैक्सीन और हार्ट अटैक :
Covishield वैक्सीन को लेकर भी कुछ चिंताएँ उठी हैं। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, Covishield वैक्सीन लेने के बाद हृदयाघात (हार्ट अटैक) के मामलों में वृद्धि की संभावना पर चिंता व्यक्त की गई है। विशेष रूप से, AstraZeneca (जो Covishield का निर्माण करती है) ने एक यूके अदालत में स्वीकार किया कि इस वैक्सीन से थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपीनिया सिंड्रोम (TTS) नामक दुर्लभ साइड इफेक्ट हो सकता है, जिसमें रक्त के थक्के बनते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है। यह स्थिति दुर्लभ है और अधिकांश DNA वैक्सीन, जैसे कि Johnson & Johnson’s Janssen वैक्सीन, के साथ देखी गई है ।
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हालांकि, कई अध्ययनों और विशेषज्ञों का कहना है कि इस दुर्लभ साइड इफेक्ट का जोखिम बहुत कम है और केवल लाखों में कुछ व्यक्तियों में ही यह होता है। इसके अलावा, यह साइड इफेक्ट आमतौर पर वैक्सीन लेने के पहले महीने के भीतर होता है, और लंबे समय के बाद नहीं । एक अन्य अध्ययन के अनुसार, COVID-19 वैक्सीन, जिसमें Covishield भी शामिल है, का हृदयाघात के जोखिम में कोई संबंध नहीं पाया गया है। इस अध्ययन में पाया गया कि जिन व्यक्तियों को वैक्सीन दी गई थी, उनमें मृत्यु दर उन लोगों की तुलना में काफी कम थी जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली थी। यह अध्ययन जीबी पंत अस्पताल, दिल्ली में किया गया था और इसके निष्कर्ष बताते हैं कि वैक्सीन हृदयाघात के जोखिम को कम करती है, न कि बढ़ाती है ।
एक्सपर्ट के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य कैसे करें ठीक :
डॉ. वेंडी सुज़ुकी ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि सकारात्मक पुष्टि को ज़ोर से व्यक्त करना किसी के सामान्य मूड, दृष्टिकोण और जीवन के दृष्टिकोण पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।न्यूरोसाइंटिस्ट और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी (एनवाईयू) के डीन – कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंस, डॉ. वेंडी सुजुकी का मानना है कि लोगों को उत्कृष्ट मस्तिष्क समारोह को बनाए रखने के लिए जितनी बार संभव हो शारीरिक गतिविधि में शामिल होना चाहिए। “शारीरिक गतिविधि हमारे मस्तिष्क के लिए बहुत शक्तिशाली है,” उन्होंने हाल ही में मास्टरक्लास श्रृंखला में टिप्पणी की, जिसमें न्यूरोवैज्ञानिकों और मनोचिकित्सकों ने मस्तिष्क-स्वास्थ्य युक्तियाँ साझा कीं।
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इसके अलावा, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय बर्कले में किए गए एक हालिया अध्ययन में 135 स्नातक छात्रों से आग्रह किया गया कि वे प्रतिदिन 20 सेकंड के लिए खुद से दयालु बातें कहें, इसके बाद दयालु स्पर्श करें, जैसे कि अपने दिल पर हाथ रखें। सीएनबीसी मेक इट की रिपोर्ट के अनुसार, एक महीने के लगातार अभ्यास के बाद, छात्रों ने कम तनाव महसूस किया और अपने मानसिक स्वास्थ्य में बदलाव का अनुभव किया। डॉ. वेंडी सुजुकी ने प्रकाशन में कहा, “लेकिन आप चाहे किसी भी प्रकार का वर्कआउट करें, दिन का कोई भी समय जब आप वर्कआउट कर सकते हैं, वह वर्कआउट करने के लिए दिन का सबसे अच्छा समय है क्योंकि हमारा जीवन बहुत व्यस्त है।”
*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *
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