जालौन : टीचर की बाल्टी से पानी पीने पर दलित छात्र को मिली सज़ा, कमरे में बंद कर बेरहमी से पीटा

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उत्तर प्रदेश के जालौन में प्राथमिक विद्यालय की महिला टीचर द्वारा दलित छात्र को पीटने का मामला सामने आया है। शिक्षिका पर प्राथमिक विद्यालय में पढ़ रहे छात्र के परिजनों ने आरोप लगाया है, कि कक्षा तीन में पढ़ने वाले दलित छात्र के साथ शिक्षिका ने बड़ी ही बेरहमी से छोटी सी बात पर नाराज होकर छात्र को कमरे में बंद कर के पीटा।

 

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दरअसल यह गंभीर घटना कालपी तहसील क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय देवपुरा की है। सूचना के मुताबिक, गांव वासियों द्वारा यह बताया जा रहा है कि पीड़ित छात्र विद्यालय में कक्षा तीन में पढ़ता है और छात्र की आयु केवल 9 वर्ष है। पूरे मामले की जांच पड़ताल करने पर पता चला कि प्राथमिक विद्यालय में कक्षा तीन में एक दलित छात्र ने दवाई खाने के लिए टीचर की बाल्टी से पानी लेकर पी लिया था, जिसके बाद टीचर ने गुस्से में आकर दलित छात्र को निहायत बेरहमी से कमरे में बंद कर के पीटा।

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इस पूरी घटना की सूचना मिलने पर जब छात्र के परिजन विद्यालय पहुंचे तो शिक्षिका ने उन्हें डरा धमकाकर भगा दिया । महिला टीचर ने बच्चे को इतनी बर्बरता के साथ मारा पीटा कि वह बदहवास हो गया। इस पूरी घटना की शिकायत शोषित दलित छात्र के परिजनों ने जिलाधिकारी कार्यालय में जाकर डीएम महोदय से की l

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शिक्षिका ने जिस बेरहमी से छात्र की पिटाई की है उससे वह इतना भयभीत हो गया है कि वह जिलाधिकारी कार्यालय में ही रोने लगा था।

घटना बीते शनिवार 18 मार्च की है जब छात्र विद्यालय गया था। बाद में महिला टीचर द्वारा दलित छात्र को मारने पीटने और दलित छात्र के परिजनों को धमकाने की शिकायत कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिलाधिकारी चांदनी सिंह से की गई साथ ही पीड़ित छात्र ने बताया कि दवा खाने के लिए उसने टीचर की बाल्टी से पानी पी लिया था, जिसके बाद उन्होंने सभी बच्चों को क्लास के बाहर निकालकर उसे अकेला बंद कर दिया।

 

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बता दें कि , विद्यालय में नियुक्त शिक्षिका ने केवल बाल्टी से पानी पीने की बात पर ही दलित छात्र के साथ बदसलूखी नहीं की, बल्कि छात्र को जातिसूचक शब्दों से अपमानित करते हुए कमरे में बंद कर बुरी तरह मारा- पीटा भी।

मामला गंभीर है परंतु छात्र के परिजनों के आरोप में कितनी सच्चाई है यह तो पुलिस जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन ऐसी घटनाएं समाज में जातिवाद को बढ़ावा देती हैं और ऐसी निष्कृत मानसिकता को उजागर करती हैं। समाज में समानता और समरसता को स्थापित करने के लिए इन अपराधों और मानसिकता वाले लोगों का विरोध करना आवशयक है।

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