भारत के वर्तमान हालात ये हैं की जनता की सब्जी का थैला 500 रुपए में नहीं भर रहा लेकिन कुछ राज्य के कृषि मंत्री इस पर भी ठहाके लगा रहें हैं। इस बात से आपको ये तो पता चल ही गया होगा कि हम बात यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की कर रहे है। लेकिन महंगाई जो उन्होंने देश की जनता का मज़ाक उड़ाया है वो सोचने वाली बात है..
New Delhi : 9 जुलाई को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही अचानक सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गए। इसका कारण उनकी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया गया बयान था। शाही ने प्राकृतिक खेती और किसान विज्ञान पर 19 जुलाई को लखनऊ में होने वाले 12 राज्यों के क्षेत्रीय परामर्श कार्यक्रम की जानकारी देने के लिए संवाददाता सम्मेलन बुलाया था। इस सम्मेलन में पत्रकारों के सवालों के जवाब देते शाही ने महंगाई पर को बोल दिया जो गरीब, मज़लूमों और महंगाई की मार झेल रहे लोगों के लिए किसी मज़ाक से कम नहीं था।
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100 रुपए किलो बिक रही दाल :
जब मंत्री जी की बात समाप्त हुई तो पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछने शुरू किए। एक पत्रकार ने उनसे दाल के बढ़ते दामों के बारे में पूछा। इस पर शाही ने कहा कि दाल की कीमत ₹100 किलो से अधिक कहीं नहीं है और फिर हंसने लगे। पत्रकारों ने फिर उनसे पूछा कि ऐसी दुकान का पता बता दें जहां ₹100 से सस्ती दाल मिल रही हो। इस पर भी शाही हंसते रहे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके साथ कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख भी मौजूद थे और मुस्कुरा रहे थे।
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दाल और सब्जियों के कीमत छू रही आसमान :
बताते चले कि आमतौर पर घरों में उपयोग होने वाली अरहर दाल की कीमत ₹100 से अधिक हो गई है। वर्तमान में, चना दाल ₹89.24, मसूर दाल ₹94.31, अरहर दाल ₹167.38, उड़द दाल ₹127.73 और मूंग दाल ₹118.98 प्रति किलो चल रही है। पिछले महीने और पिछले साल के मुकाबले सभी तरह की दालों के दाम बढ़े हैं। इन कीमतों में वृद्धि ने आम जनता की जेब पर भारी असर डाला है, जिससे उनका दैनिक बजट प्रभावित हुआ है।
यही नहीं सब्ज़ियों के कीमत जानकर तो आप और हैरान हो जाएंगे। दिल्ली की मुनिरका में सब्ज़ियों की कीमत 100 रुपए किलो से पार है। टमाटर 120 रुपए किलो है तो आलू 40 रुपए किलो। प्याज़ पहले ही 100 के पार पहुंच चुकी है। शिमला मिर्च 150 से नीचे नहीं उतरी वहीं लोकी, तोरई जैसी सब्ज़ियां भी 80 से 100 रुपए किलो मिल रहीं हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
शाही के इस रवैये को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ लोग यूपी में भाजपा के खराब प्रदर्शन को मंत्रियों और पार्टी के नेताओं के व्यवहार से जोड़ रहे हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व कैबिनेट मंत्री ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को घेरते हुए अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ट्वीट किया कि महंगाई का आलम यह है कि आम गरीब जनता को दाल-रोटी के लाले पड़े हैं, वहीं बीजेपी के कृषि मंत्री ₹100 किलो दाल बेचवा रहे हैं।
सस्ती सब्जियों के लिए नेपाल जा रहे लोग :
दालों के साथ-साथ सब्जियों की कीमतें भी आसमान छू रही हैं। एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, “क्या लगता है आपको कि सिर्फ दाल की ही महंगाई आसमान छू रही है? अगर आपको पता ना हो तो मैं बता दूं कि सब्जियों के दाम भी आसमान छू रहे हैं। इस कारण से सस्ती सब्जियां लेने के लिए लोग अपना बॉर्डर क्रॉस कर नेपाल जा रहे हैं।” सब्जियों की बढ़ती कीमतों ने भी आम लोगों के जीवन को प्रभावित किया है, जिससे उनका मासिक बजट गड़बड़ा गया है।
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भाजपा के वादे और जनता की स्थिति
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 14 अप्रैल को जारी घोषणा पत्र में भाजपा ने गरीबों के लिए बड़े-बड़े वादे किए थे। उन्होंने कहा था कि युवाओं, महिलाओं, किसानों और गरीबों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। उन्होंने 2047 तक विकसित भारत बनाने की योजना बनाई थी और कहा था कि गरीबों को पोषण युक्त भोजन मिलेगा। लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए, संतोष का तो पता नहीं पर जनता में असंतोष जरूर बढ़ चुका है।
तेल और गैस के भी दाम बढ़ रहे हैं :
महंगाई सिर्फ दाल और सब्जियों तक सीमित नहीं है। अन्य आवश्यक वस्तुएं जैसे तेल, गैस, और दूध के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं। इससे मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग के लोग विशेष रूप से प्रभावित हो रहे हैं। तेल की कीमतों में वृद्धि ने खाना पकाने की लागत को बढ़ा दिया है, जबकि गैस सिलेंडर की कीमतें भी आसमान छू रही हैं, जिससे आम आदमी के घरेलू बजट पर भारी बोझ पड़ रहा है।
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5 ट्रिलियन इकोनॉमी का सपना :
बीजेपी सरकार देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का सपना दिखा रही है। लेकिन यह सपना तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक आम जनता की बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं होतीं। क्या 5 ट्रिलियन इकोनॉमी की बात करना तब उचित है जब देश के लोग भूख से जूझ रहे हैं? सरकार को यह समझना होगा कि आर्थिक विकास का मतलब सिर्फ आंकड़ों में वृद्धि नहीं होता, बल्कि इसका प्रभाव जनता के जीवन स्तर पर भी दिखना चाहिए।
सरकार असंवेदनशील आ रही नज़र :
सरकार और उसके मंत्रियों के असंवेदनशील रवैये को उजागर करती है। जनता महंगाई की मार झेल रही है और सरकार के प्रतिनिधि इस गंभीर मुद्दे पर हंस रहे हैं। यह स्पष्ट है कि सरकार के वादे और जनता की वास्तविकता में एक बड़ा अंतर है। इस परिस्थिति में, सरकार को तुरंत प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि महंगाई को नियंत्रित किया जा सके और जनता को राहत मिल सके।
इसके लिए आवश्यक है कि सरकार वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए ठोस नीतियां बनाए और उन्हें प्रभावी रूप से लागू करे। साथ ही, सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गरीब और मध्यम वर्ग को आवश्यक वस्तुएं सस्ती दरों पर उपलब्ध हों, ताकि उनका जीवन यापन सुगम हो सके।
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