बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर की 66वीं पुण्यतिथि पर जाने उनके अनमोल विचार

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भारत आज भीमराव अंबेडकर को उनकी 66वीं पुण्यतिथि पर याद कर रहा हैं। भारत के संविधान निर्माता डॉ भीमराव रामजी अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को एक गरीब महार परिवार में हुआ था और 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में अपने घर में डॉ आंबेडकर का देहांत हो गया था डॉ भीमराव आंबेडकर स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री, वकील, राजनीतिज्ञ और अकादमिक रहे। भीमराव अंबेडकर निम्न जाति समुदाय से थे और उन्होंने बाद में बौद्ध धर्म अपनाया और कई अन्य निचली जातियों के लोगों को बौद्ध धर्म के लिए प्रेरित किया। उन्होंने भारत में निम्न जाति समुदायों के लिए आरक्षण कानून लाया।

डॉ आंबेडकर के 66वीं पुण्यतिथि पर आंबेडकर के अनमोल विचार का अनुसरण कर अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं आइये जानते हैं डॉ आंबेडकर के अनमोल वचन

* मैं एक समुदाय की प्रगति को उस प्रगति की डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की है।

* बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का महत्वपूर्ण लक्ष्य होना चाहिए।

* भाग्य में नहीं, अपनी शक्ति में विश्वास रखो।

* शिक्षा महिलाओं के लिए भी उतनी ही जरूरी है जितनी पुरषों के लिए।

* आप स्वाद को बदल सकते हैं पर जहर को अमृत में परिवर्तित नही किया जा सकता।

* संविधान केवल वकीलों का दस्‍तावेज नहीं है बल्कि यह जीवन का एक माध्‍यम है।

* अच्छा दिखने के लिए नहीं बल्कि अच्छा बनने के लिए जिओ।

* देश के विकास से पहले अपनी बुद्धि के विकास की आवश्यकता है।

* एक महान व्यक्ति एक प्रख्यात व्यक्ति से एक ही बिंदु पर भिन्न हैं कि महान व्यक्ति समाज का सेवक बनने के लिए तत्पर रहता हैं।

*जो व्यक्ति अपनी मौत को हमेशा याद रखता है वह सदा अच्छे कार्य में लगा रहता है।

*जिस तरह मनुष्य नश्वर है ठीक उसी तरह विचार भी नश्वर हैं। जिस तरह पौधे को पानी की जरूरत पड़ती है उसी तरह एक विचार को प्रचार-प्रसार की जरुरत होती है वरना दोनों मुरझा कर मर जाते है।

*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *

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