कर्नाटक में एक दलित व्यक्ति को मंदिर में प्रवेश करने के कारण क्रूरता का सामना करना पड़ा। 28 वर्षीय अर्जुन ने 10 सितंबर को द्यामाव्वा मंदिर में प्रवेश किया, जिसके बाद गांव के कुछ लोगों ने उसे खंभे से बांधकर बर्बरता से पिटाई की।
कर्नाटक के बागलकोट जिले के बादामी तालुक के उगलवत गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक दलित व्यक्ति, अर्जुन मदार, को मंदिर में प्रवेश करने के कारण क्रूरता का सामना करना पड़ा। 28 वर्षीय अर्जुन ने 10 सितंबर को द्यामाव्वा मंदिर में प्रवेश किया, जिसके बाद गांव के कुछ लोगों ने उसे खंभे से बांधकर बर्बरता से पिटाई की। अर्जुन ने इस घटना की शिकायत शनिवार को केरूर पुलिस के पास दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने 21 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है और इस मामले में छह आरोपियों को हिरासत में लिया है।
दलित समुदाय में गहरा आक्रोश फैल गया
इस घटना के बाद दलित समुदाय में गहरा आक्रोश फैल गया है, और दलित नेताओं ने हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द न्याय नहीं मिला, तो वे बागलकोट में जिला प्रशासन कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन करेंगे। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस को हरकत में ला दिया है। जिला मंत्री आरबी तिम्मापुर ने कहा है कि मामले की गहन जांच की जा रही है और आरोपियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस ने कहा :
बागलकोट के पुलिस अधीक्षक वाई अमरनाथ रेड्डी और उपायुक्त जानकी केएम ने गांव का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि गांव में कुछ लोगों ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि दलितों को उन इलाकों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है, जहां ऊंची जाति के लोग रहते हैं। इसके बावजूद अर्जुन ने मंदिर में प्रवेश किया, जिससे यह हिंसक घटना घटी। अधिकारियों ने दलितों और अन्य समुदायों के लोगों के साथ बैठक की और उनसे शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की। मामला अभी भी जांच के अधीन है, और प्रशासन द्वारा शांति व्यवस्था बहाल करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
दलितों पर अत्याचार की घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं
कर्नाटक और अन्य राज्यों में दलितों के खिलाफ अत्याचार की घटनाएं बार-बार सामने आ रही हैं, लेकिन सरकार की ओर से कड़े कदम उठाने में कमी दिखाई दे रही है। ऐसी घटनाएं दलित समुदाय के लोगों के खिलाफ सामाजिक भेदभाव और हिंसा को उजागर करती हैं, जो संविधान के अनुसार अस्वीकार्य है।
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भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जाना चाहिए
सरकार ऐसे मामलों में तुरंत और कठोर कार्रवाई करें ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। इसके अलावा, कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करना, पुलिस प्रशासन में सुधार, और सामाजिक जागरूकता फैलाना भी जरूरी है ताकि जातिगत भेदभाव और अत्याचारों को खत्म किया जा सके। कई बार सरकारें राजनीतिक या सामाजिक दबावों के चलते पूरी तरह से कार्रवाई नहीं करतीं, जिससे न्याय की प्रक्रिया में देरी होती है।
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