झारखंड की रहने वाली सीमा भारती ने राम आयेंगे तो अंगना सजाऊंगी… के जवाब में पढ़ेंगे लिखेंगे तो भाग खुल जायेंगे… गाना गाया और यह गाना अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। यह गाना किसने गाया है इसको लेकर भ्रम बना हुआ था, अब इसकी असली गायिका को दलित टाइम्स ने खोज निकाला है। दलित जाति से ताल्लुक रखने वाली झारखंड की लोकगायिका सीमा भारती ने इस गाने को रचा है और गाया है। वरिष्ठ पत्रकार अजय प्रकाश से हुई बातचीत में सीमा भारती ने दलित समाज की शिक्षा-दीक्षा समेत तमाम मसलों पर चर्चा की….
सीमा जी जब आपने ‘पढ़ेंगे लिखेंगे तो भाग खुल जायेंगे…’ गाना लिखा तो उस समय आपके दिमाग में क्या चल रहा था? देश जानना चाहेगा कि आपको ये गाना लिखने की प्रेरणा कहां से मिली ?
जब मेरे दिमाग में ये गाना लिखने की बात आयी तो चारों तरफ स्वाति मिश्रा का गाना राम आयेंगे… बज रहा था। मैं एक साधारण लोकगायिका हूं और संगीत से शुरू से जुड़ी हुई हूं। संगीत से मैं बहुत प्यार करती हूं संगीत तो उसी में थोड़ा बहुत हारमोनियम भी प्ले करती हूं। हम सुनते थे गाना “राम आयेंगे…”, क्योंकि अच्छा लगता था। भजन है सुनने में तो अच्छा लग ही रहा था और हम ये गाना बजाते भी थे। फिर मैंने सोचा कि सबको जहां देखना तहां राम भजन ठीक है। धार्मिक है अच्छा है, आस्था है किसी की आस्था को हम ठेस नहीं पहुंचाते हैं। मैं ज्यादातर जागरुकता वाले गीत गाती हूं और लिखती भी हूं। सोशल मीडिया पर मेरे जागरुकता वाले गीत ही रहते हैं। ज्यादातर मेरे गीत महापुरुषों के लिए हैं। फिर मेरे दिमाग में आया कि मैं क्यों न राम आयेंगे गाना थोड़ा सा हटके बनाऊं शिक्षा के लिए, ताकि यह हर किसी के मन मस्तिष्क पर छा जाये। ऐसा ही हुआ भी, क्योंकि हर घर में हर बच्चे राम आयेंगे राम आयेंगे… सुन रहे हैं और गा भी रहे हैं और तो इसी बीच जेहन में बात आयी। मात्र 10 मिनट के अंदर शिक्षा शब्द को जैसे भी कहिए मैंने जोड़ दिया कि जब “हम पढ़ेंगे लिखेंगे तो किस्मत के द्वार खुल जाएंगे” क्योंकि ये चीज खुद अपने आपसे जो साक्षर हैं, वो समझ सकते हैं और आस्था अलग चीज है। वो अपनी जगह पर जो गाया है, वो अच्छी बात है। मैंने किसी को नहीं कहा कि खराब गया या मैंने अच्छा किया, वैसी कोई बात नहीं है। मेरा उद्देश्य था कि हम शिक्षा को आगे बढ़ाएं। बचपन से ही मैं शिक्षा से जुड़ी हूं। जो भी सभी लोग धीरे—धीरे इस गाने को जान रहे हैं, जरूर सुन रहे हैं।
यह भी पढ़ें :जानिये वर्क फ्रॉम होम के दौरान कैसे रहें स्वस्थ, भोजन के अलावा नियमित योग और व्यायाम है रामबाण
सोशल मीडिया पर एक स्कूली बच्चे ने ये गाना गाया है, जेा वायरल हो रहा है। जब आपको पता लगा तो कैसा लगा? क्या आपपर ये तोहमत लगी कि आपने उसका गाना चुरा लिया है और आप दावा कर कर रहीं हैं, क्या ऐसे सवालों का भी सामना करना पड़ा?
बहुत सारे लोग कमेंट्स में ये बात कह रहे थे और अब भी कमेंट्स कर देते हैं। लगभग 20 जनवरी को मैंने ये गाना सोशल मीडिया पर अपलोड किया था मोबाइल से। मेरे पास इतनी व्यवस्था नहीं है तो ऐसे ही शब्द बनाए दिन में और शाम को गाकर शेयर भी कर दिया। सोचा देखते हैं कि कितने लोग इसको पसंद करते हैं। मैंने देखा 20 जनवरी की रात को मैंने अपने पेज पर गाना डाला और 23 तारीख तक मेरे गाने पर मिलियन पार व्यूवरशिप हो चुकी थी। उस समय मेरे 12,000 फ्लोवर्स थे, जो लगातार बढ़े इस गाने के बाद। भारत के कोने से लोग फोन करने लगे और कहने लगे कि दीदी आपने ये गीत बनाया है, बहुत अच्छा है। हमें ये सुनकर अच्छा लगा। जब कमेंट्स देखे तो कई लोग अभद्र टिप्पणियां कर रहे थे, गाना हटाने की धमकी दे रहे थे।
बताइए हमने किसी जाति, धर्म और आस्था का विरोध ही नहीं किया, केवल शिक्षा का प्रचार किया फिर भी लोगों ने बहुत सोशल लिंचिंग की। ट्रोलर्स के ट्रोल करने के बावजूद वीडियो लगातार शेयर होता रहा और जनवरी अंत तक कुछ रफ्तार कुछ कम हो गयी। फिर 21 फरवरी को मेरे पास एक रील आई, जिसमें एक बच्चा गा रहा था। देखा तो ये मेरा ही गाना है। फिर ये जब वायरल हुआ तो कई शिक्षकों ने मुझे फोन किया और कमेंट में लिखा कि मैडम आपका ये गीत हमें बहुत अच्छा लगा, हम लोग इस गाने को स्कूल में बजा रहे हैं।
यह भी पढ़ें :राजस्थान में दलित युवक को घोड़ी पर न चढ़ने की धमकी के बाद 3 थानाधिकारियों की मौजूदगी में शान से निकली बारात
शिक्षकों की ऐसी बातें सुनकर बहुत अच्छा लगा। यह बात हमने अपने घर और पास-पड़ोस में भी बतायी कि देखो मेरा तो गाना बजने लगा और रील्स पर बच्चे आने लगे हैं। एक दिन पार होने के बाद वीडियो इतना वायरल हो गया कि सोशल मीडिया पर लोगों को पता ही नहीं चल पा रहा था कि इसे किसने लिखा है और किसने गाया है। सीनियर्स ने हमें बताया कि आपने गीत गाया वायरल भी हुआ। यह सब अच्छा है, लेकिन कोई बच्चा इस गाने को फिर से उठाएगा दूसरा कोई नाम दे देगा, आपका नाम ही नहीं रहेगा। हमने अगले दिन कमेंट्स में लिखा कि ये मेरा सॉन्ग है। उस स्कूल की टीचर ने मेरा नंबर मांगा, मुझे बधाई देने लगे और कहा कि मैडम जी आपका गीत हमें बहुत अच्छा लगा और फिर बच्चे से भी गाना गंवाया। मैंने शिक्षक से कहा कि आप मेरा नाम उसमें डाल दीजिए और एडिट कर दीजिए। उसके बाद गाने में मेरा नाम यानी सीमा भारती लिखा गया। उसके बाद लोग जान पाये कि यह मेरा गाना है। अब सच जानने के बाद सोशल मीडिया पर भी लोग जान गये हैं और लगातार मेरे पास साक्षात्कार के लिए फोन आ रहे हैं।
यह भी पढ़ें :कौन है दलित युवक डॉली चायवाला जिसने बिल गेट्स को पिलाई चाय, बना सोशल मीडिया सनसनी
अगर हम भोजपुरी और हिंदी के गानों को देखें तो तमाम धार्मिक गानों पर अश्लील भोजपुरी और हिंदी गाने बन गए, लेकिन आपने जो गाना गाया वो बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के मूल्यों का गाना गाया। गरीब देश को वैज्ञानिक चिंतन की तरफ आप ले गईं, इस देश के 90 करोड़ लोगों की समस्या को उजागर किया है। पूरे समाज में चर्चा है आपकी बातों की तो आपको ये प्रेरणा कहां से मिली थोड़ा वो भी बताइए। आप भी तो औरों की तरह फिल्मी गाने गा सकती थीं या कुछ और गा सकती थीं, लेकिन आपने सामाजिक जागरुकता का ही गाना गाया, इसकी प्रेरणा आपको कैसे मिली?
मेरे पिताजी शिक्षक थे। अब वो हमारे बीच नहीं हैं। वो अक्सर बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की किताबें पढ़ा करते थे और हमारे घर पर बाबा साहेब की तस्वीर भी लगी रहती थी। उस समय हम दूसरी या तीसरी कक्षा में होंगे तो हम अपने पिताजी से पूछते थे कि ये कौन हैं? उन्होंने हमें बाबा साहेब के बारे में बताया, उनसे परिचित कराया। हमें बताया कि यही हमारे देश के संविधान के रचियता हैं। मैं बाबा साहेब अंबेडकर की जीवनी भी पढ़ती हूं।
मैं बचपन से ही बाबा साहेब को पढ़कर रो दिया करती थी कि उन्होंने कितना कष्ट सहन किया था। मुझे पढ़ने में बचपन से रुचि थी। मेरे जीवन में भी बेहद कठिन परिस्थितियां आयी हैं, किसी तरह से मैंने मैट्रिक पास किया। फिर BA करने के बाद शादी भी हो गई। शादी के बाद में भी काफी परेशानियां रहीं, जो चाहा वो नहीं कर पाए और फिर मेरे बच्चे पढ़ने-लिखने लगे। बच्चे बड़े हुए तो संगीत से मैंने प्रभाकर किया।
गाने बहुत हैं। श्रृंगार रस में भी हैं, देशभक्ति भी हैं, हर तरह के हैं, लेकिन मेरे जेहन में बस यही आता था कि हम महापुरुषों को किस तरह याद करें, उनकी बातों को अपने जीवन में किस तरह उतारें। मैंने इंटरनेट पर सारे महापुरुषों को सर्च करना-पढ़ना शुरू किया। इसी के बाद सोचा कि सोशल मीडिया के माध्यम से महापुरुषों की जीवनी और शिक्षा के बारे में अपने गानों के सहारे जागरुकता फैलाएंगे। हमारे बाबा साहेब अंबेडकर हमें इतना देकर गए तो हम क्यों नहीं पढ़ेंगे लिखेंगे, आगे बढ़ेंगे। अगर 10 बच्चों को मैं जागरुक कर पाती हूं और उसमें से एक बच्चा भी मेरी बात को समझ जाए—अपने जीवन में उतार ले तो यह बहुत बड़ी बात होगी। राम आयेंगे गाने को समाज का बहुतायत पसंद कर रहा था, इसीलिए इसी धुन पर गाना बनाया। मैंने सोचा जब इस धुन पर बने शिक्षाप्रद गाने को बच्चे गायेंगे तो आकर्षित हुए बिना नहीं रह पायेंगे। इस गाने में क्या कहा गया है, इस बात को हमारा समाज समझे, मेरा बस यही उद्देश्य था। मैं महापुरुषों की जीवनी को पढ़कर जेहन में उतारती हूं और गीत के माध्यम से लोगों तक भेजना चाहती हूं। लोग ज़्यादा समझे, क्योंकि बात की तुलना में गीत से लोग जल्दी समझते हैं।
यह भी पढ़ें :रामपुर में अंबेडकर के बोर्ड पर मचे बवाल के बाद मारे गये दलित युवा के हत्यारोपी पुलिसकर्मियों को कड़ी सजा की उठी मांग
आपकी इस सकारात्मक सोच में आपका परिवार कितना साथ देता है? आमतौर पर ऐसा कहा जाता है कि हर सफल पुरुष के पीछे औरत का हाथ होता है, मगर इसके उलट आपके आगे बढ़ने में परिवार खासकर पति आपका सहयोग करते हैं, क्या यहां एक सफल महिला के पीछे एक पुरुष का हाथ है?
मेरे पति हमेशा मेरे साथ हैं। वह मेरे बारे में जानते हैं। संगीत की तरफ लगाव तो शुरू से था, मगर इतना ज्यादा लोकगीतों या फिर इस तरह गाना गाने का माध्यम मेरे पति ही हैं। हमारे यहां पर संगीत का विद्यालय खुला तो मेरे पति ने ही मुझसे कहा कि तुम्हारा एडमिशन करा देते हैं। संगीत के ज़रिये लोगों के बीच मुझे एक पहचान मिली। बचपन से ही मुझे गाने का शौक रहा है, लेकिन वास्तविकता ये है कि मेरे पति का साथ रहता है और इन्हीं के सहयोग से ही मैं इतना कुछ कर पा रही हूं।
(ट्रांस्क्रिप्शन : उषा परेवा)
*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *
महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।