तेलंगाना में दलित डिप्टी सीएम को सवर्ण नेताओं के सामने जमीन पर बैठाने के बाद जातिवाद पर छिड़ी नई बहस

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बीते साल देश के 4 राज्यों में चुनाव हुए और नतीजे आने के बाद दक्षिण के राज्य तेलंगाना में कॉंग्रेस पार्टी ने अपनी सरकार बनाई। हाल ही में तेलंगाना राज्य फिर चर्चा का विषय बना। दरअसल सोमवार 11 मार्च को तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी अपनी पत्नी और मंत्रिमंडल के नेताओ के साथ यदाद्री के लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर पहुंचे थे। जहाँ वह पूजा अर्चना करते हुए दिखाई दिए। इस उत्सव की तस्वीरे और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुई। वायरल होने का कारण था जातिवाद !!

इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि मंदिर में अनुष्ठान के दौरान तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, उनकी पत्नी और उनकी जाति के तीन अन्य मंत्री कोमाटि रेड्डी, वेंकट रेड्डी और उत्तम रेड्डी कुर्सी पर बैठे हैं वहीं डिप्टी सीएम मल्लू भट्टी जो कि दलित समुदाय से आते है वो नीचे जमीन पर बैठे हैं। यही नहीं तस्वीर में पिछड़े वर्ग से आने वाली महिला मंत्री कोंडा सुरेखा भी ज़मीन पर बैठी दिखती हैं। तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी अपनी इस जातिवादी मानसिकता को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर लताड़े गए। वहीं तेलंगाना में विपक्षी दलों

बीआरएस और बीएसपी ने इस घटना को लेकर सवाल खड़े किए.. दोनों ही पार्टियों ने कहा कि सीएम रेवंत रेड्डी द्वारा अपने मंत्रिमंडल में विशेषाधिकार प्राप्त जाति यानी उंची जाति के सामने दलित और बहुजन नेताओं को नीचे बैठाकर उनके साथ जातिगत भेदभाव किया गया है।

 

वीडियो यहाँ देखें :

 

तेलंगाना में बीएसपी के अध्यक्ष आर आस प्रवीण ने सोशल मीडिया पर इस तस्वीर को शेयर कर लिखा, “पूरे भारत में एक तरफ जहाँ बीएसपी एस तरह के भेदभाव के खिलाफ लड़ रही ही वहीं तेलंगाना में डिप्टी सीएम को नीचे बैठाना शर्मनाक है। तेलंगाना के उप मुख्यमंत्री मल्लू भट्टी बेदाग ट्रैक रिकॉर्ड रखने वाले वरिष्ठ विधायक हैं लेकिन उनके साथ ये सिर्फ इसलिए किया गया क्योंकि वह दलित हैं।”

उन्होंने आगे लिखा कि मुख्यमंत्री जी अपने मंत्रीमंडल से कह सकते थे कि वो डिप्टी सीएम को बैठने के लिए कुर्सी दें, मंत्रीमंडल में से कोई मंत्री अपनी कुर्सी उन्हें ऑफर कर सकता था यहाँ तक की जिला अधिकारी या मंदिर का स्टाफ भी इस व्यवस्था को देख सकता था कि राज्य के उप मुख्यमंत्री जमीन पर बैठें हैं तो उन्हें कुर्सी उपलब्ध करवाई जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि जमीन पर बैठा वह मंत्री दलित हैं।

दुख की बात ये हैं कि देश भर में राहुल गांधी घूम घूम कर जातीय जनगणना का राग अलाप रहे हैं। वहीं उन्हीं की मंत्री की आंखों के सामने दलित और पिछड़े नेताओं के साथ जातीय भेदभाव किया जा रहा है। उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा है। ये घटना साबित करती है कि इस देश में जाति कितना महत्व रखती है। और इस जातिवादी मानसिकता की वजह से ही जाति है कि जाती नही!!

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