प्रेमा नेगी की रिपोर्ट
वैसे तो दलित समाज के साथ अत्याचार की घटनायें पूरे देशभर में सामने आती रहती हैं, मगर इनमें भी राजस्थान टॉप के राज्यों में शुमार है। यहां आये दिन दलित युवाओं के साथ बदसलूकी, हिंसा, मारे जाने या फिर किसी अन्य तरह से टॉर्चर किये जाने की घटनायें बहुत आम हो चुकी हैं। दलित दूल्हों द्वारा घोड़ी पर बैठने को भी सवर्ण समाज अपनी नाक का सवाल बना लेता है, गोया घोड़ों पर उच्च वर्ग की रजिस्ट्री हो रखी हो। किसी दलित लड़के द्वारा अगर अपनी शादी में घोड़ी पर बैठने का साहस कर भी लिया जाता है तो दूल्हे को पीटे जाने या फिर अभद्रता के कई मामले सुर्खियों में रहते हैं। अब एक बार फिर से शादियों का सीजन आ चुका है, ऐसे में राजस्थान पुलिस का एक ऑर्डर सुर्खियों में बना हुआ है कि अब जहां भी दलित लड़कों-लड़कियों की शादी होगी, वह वहां निगरानी में रहेगी।
एक आंकड़े के मुताबिक पिछले एक दशक में राजस्थान में 138 दलित लड़कों को घोड़ी से उतार दिया गया है। ऐसी घटनाओं को कम करने के लिए ही राजस्थान पुलिस द्वारा यह पहलकदमी ली गयी है। माना जा रहा है कि दलितों को खुश करने के लिए नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा राजस्थान पुलिस को उनकी सुरक्षा का दायित्व सौंपा गया है। राजस्थान पुलिस को मुख्यालय से ऑर्डर जारी किया गया है कि वह पता करें कि प्रदेश में कहां कहां दलित युवक—युवतियों की शादी हो रही है? यह शादियां शांति और हर्सोल्लास से निपटें, यह जिम्मेदारी पुलिस को वहन करनी होगी।
गौरतलब है कि यह वही राजस्थान है जहां दलित जाति से ताल्लुक रखने वाली एक स्कूली बच्चे द्वारा पानी का घड़ा छू भर लेने से सवर्ण प्रिंसिपल ने उसे इतनी बुरी तरह पीटा था कि वह मासूम अपनी जान से ही हाथ धो बैठा था। इसके अलावा राज्यभर में तमाम घटनाओं में दलित दूल्हा घोड़ी चढ़ता है तो ऊंची जाति के लोग उन्हें घोड़ी से उतार देते हैं। अब ऐसी घटनायें राज्य में न दोहरायी जायें, इसके लिए पुलिस मुख्यालय की तरफ से ऑर्डर जारी किया गया है।
राजस्थान पुलिस मुख्यालय की तरफ से सभी पुलिस अधिकारियों को ऑर्डर दिया गया है कि वो पता करें कि इस सीजन में कितने दलित परिवारों में शादियां होनी हैं। इसके साथ ही संबंधित थाने का कांस्टेबल क्षेत्र के पंच, सरपंच, पार्षद, पुलिस मित्र से बातचीत कर इन शादियों पर खास नजर रखे और शादी में ये ध्यान खासतौर पर रखा जाए कि किसी दूल्हे को दलित होने की वजह से घोड़ी से न उतारा जाये।
ऑर्डर में कहा गया है कि अगर किसी इलाके में दलित दूल्हे को घोड़ी से उतारे जाने का मामला सामने आएगा तो तुरंत कार्रवाई की जायेगी और दोषियों के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें दंडित किया जायेगा।
राजस्थान में जातिवादी ठसक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर साल दलित दूल्हों को उतारने की कई घटनायें सामने आती रहती हैं। 2012 में जहां 2 दलित दूल्हों को घोड़ी नहीं चढ़ने नहीं दिया गया, वहीं 2013 में 4 और 2014 में जातिवादी गुंडों ने सर्वाधिक 20 दलित युवाओं का घोड़ी पर चढ़ने का ख्वाब चकनाचूर कर दिया। उसके बाद 2015 में 18 दलित दूल्हों को सवर्ण दबंगों ने घोड़ी पर नहीं बैठने दिया तो 2016 में 16, 2017 में भी 16 दलित लड़के अपनी शादी में घोड़ी पर नहीं चढ़ पाये। 2018 में 9, 2019 में 7, 2020 में 7, 2021 में 9 और 2023 में 16 दलित दूल्हों को जातिवादियों ने घोड़ी नहीं चढ़ने दिया।
पुलिस के लिए मुख्यालय की तरफ से जारी किये गये निर्देश
– जिन इलाकों में पहले दलित युवाओं को घोड़ी से उतारने की घटना हो चुकी है या दो समाजों में विवाद चल रहा है, उसे चिह्नित करें। अंदेशा होने की स्थिति में आयोजन से पहले ही संदिग्धों पर कार्रवाई करें।
– बीट स्तर पर जानकारी जुटाई जाए कि निकट भविष्य में किन दलित परिवारों के घर शादी है। दलित की शादी के दिन बिन्दोली निकालने के लिए व्यवस्था हो।
– बीट कांस्टेबल क्षेत्र के पंच, सरपंच, पार्षद, सीएलजी सदस्य, पुलिस मित्र और संबंधित समुदाय के साथ समन्वय करें, समुदायजनों को कानून की जानकारी दें।
– सीएलजी सदस्य, पुलिस मित्र, सरपंच, पंच, पार्षद को सूचित करें कि घटना की संभावना हो तो समय रहते प्रशासनिक-पुलिस अधिकारी को सूचित करें।
– कलक्टर के साथ समन्वय करते हुए पटवारियों को भी जागरूक करेंगे कि वे दंड प्रक्रिया संहिता के अनुसार कर्तव्य निर्वहन करते हुए घटनाएं रोकेंगे।
– घटना होने की स्थिति में एसपी, एएसपी, वृत्ताधिकारी मौके पर पहुंचकर घटना स्थल का निरीक्षण करेंगे और नियमानुसार कार्रवाई करवाएंगे।
– ऐसी घटना की शिकायत मिलने पर तत्काल एफआइआर दर्ज की जाए, दोषियों को गिरफ्तार किया जाए और जांच भी निर्धारित समय में पूरी की जाए।
– इस तरह की घटना पर तुरंत ही पुलिस मुख्यालय को सूचित किया जाए। साथ ही किस तरह की कार्रवाई की गई, इसकी रिपोर्ट दी भी जाए।
*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *
महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।