उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिला में बीजेपी अध्यक्ष ने दलित पत्रकार के दोनों पैर तोड़े, परिजन ने कहा – पुलिस का रवैया शर्मनाक !

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महाराजगंज मंडल के भाजपा अध्यक्ष यादवेंद्र प्रताप सिंह द्वारा दलित पत्रकार संतोष कुमार को बेरहमी से पीटा और उनके दोनों पैर तोड़ दिए। संतोष कुमार बहुजन 24 न्यूज के जौनपुर के ब्यूरो चीफ है। पिटाई के बाद इन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। जहां इनका इलाज चल रहा है।

■ क्या है पूरा मामला ?

संतोष से मारपीट की घटना के बारें में पूछने पर उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी रेशमा महिला आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ रही थी, उस सीट पर विरोधी उम्मीदवार यादवेंद्र प्रताप सिंह की पत्नी अनामिका थी। यादवेंद्र ने चुनाव न लड़ने की धमकी दी थी। 25 मार्च के दिन संतोष कुमार को जान से मारने की धमकी दी गयी। 26 मार्च को उनकी पत्नी को भी जान से मारने की धमकी दी गयी। यादवेन्द्र सिंह के लोग संतोष की बकरी चुरा कर ले गए। जानमाल की सुरक्षा के लिए उनके परिवार वालो ने वहाँ के स्थानीय पुलिस अधिकारी को सामूहिक शिकायत दर्ज की। पर इस पर पुलिस प्रशासन की ओर से कोई कारवाई नहीं की गई।

पिटाई की घटना 26 जून की है,जब संतोष कुमार दवाई लेकर दोस्त के साथ मोटरसाइकिल पर बैठकर वापस आ रहे थे। डेलूपुर पुलिया के पास यादवेंद्र अपने 14 लोगों के साथ संतोष के आने का इंतजार कर रहे थे, वे सारे लोग हथियारबंद थे। संतोष कुमार जैसे पुलिया के पास पहुँचे। उन पर हमला बोल दिया गया।वे बेहोश होकर गिर पड़े। सूचना मिलने के बाद परिवार वाले दौड़कर घटनास्थल पर पहुचे और उसे उठाकर नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए।

■ स्थानीय पुलिस का रवैया कैसा रहा ?

संतोष ने बताया कि उन्हें पीटने के दौरान, उन्हें मां-बहन की गालियां दी गई और उनके ख़िलाफ़ जातिसूचक बातें भी कही। उन्होंने बताया 14 लोगो जिन्होंने उन्हें पीटा,उसमें से तकरीबन 10 लोगों को वह चेहरे से पहचान सकते है।संतोष के शरीर पर कई गहरी चोटें आई है। उनका परिवार न्याय के लिए और दोषियों त्वरित कारवाई के लिए भूख-हड़ताल पर बैठ हुए है। वे मजबूती से अपने साथ हुए जातिगत हिंसा के ख़िलाफ़ लड़ रहे है।

उनके परिवार वाले ने बताया कि जब इलाज के बाद वे इस हिंसा की शिकायत करने महराजगंज के सीओ के पास गए तो उन्होंने मदद करने की बजाय एफआईआर से यादवेंद्र सिंह का नाम हटाने को कहा। उन्होंने यह भी कहा जब तक अपने शिकायत पत्र में से यादवेन्द्र सिंह का नाम नहीं हटाया जाता है ,तब तक एफआईआर दर्ज नहीं कि जाएगी।

■ पंचायत चुनाव में भी हुई थी गड़बड़ी !

हालांकि जब मार्च चुनाव हुए तब उनकी पत्नी चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। संतोष का कहना है कि चुनाव में यादवेन्द्र की पत्नी अनामिका भी बूथ में गड़बड़ी कराकर जीती है, जिसमें उनके पति यादवेन्द्र भी शामिल है। इसको लेकर पर शिकायत दर्ज करवाई गई है।

क्योंकि यादवेन्द्र सिंह ठाकुर जाति के है और उनका वर्चस्व स्थानीय स्तर पर चलता है , इसलिए वे बार बार संतोष कुमार और उनके दलित पड़ोसियों के साथ दबंगई और गुण्डागर्दी करने की कोशिश आयदिन करते रहते है। इससे तंग आकर संबंधित मामले में डीएम को ज्ञापनपत्र भी सौंपा गया है। इस मामलें को लेकर इन सारी चीजों को रेकॉर्ड करके उन्होंने अपने न्यूज़ चैनल पर वीडियो बनाकर भी चलाया । जिसके बाद उसी दिन यादवेन्द्र सिंह ने अपने नौकर के माध्यम से उनपर तथाकथित फर्जी मुकदमा दायर कर दिया।

हालांकि संतोष के साथ हुई मारपीट के मामले में हिंसा के मुख्य आरोपी यादवेंद्र पर मुकदमा संख्या 120/2021 में 147, 392, 325, 323, 504, 506, 427 और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत 3(2) (वीए) जैसी संगीन आपराधिक धाराएं लगाई गई है। फिर भी पुलिस इनको राजनीतिक संरक्षण के कारण गिरफ्तार नहीं गई। स्थानीय थाना प्रभारी भी इस मामले में टालमटोल कर रहे है , जो कि बेहद शर्मनाक है। संतोष और उनके परिजन ने पुलिस पर पक्षपात करने का आरोप भी लगाया है। उनका कहना है कि पुलिस संवैधानिक तरीके से अपना काम नहीं कर रहे है ।

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