हिंदु कोड बिल और डॉ अंबेडकर का इस्तीफा 

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आज ही के दिन यानी 27 सितंबर 1951 के दिन ही, संविधान निर्माता व भारत के पहले कानून मंत्री डॉ बीआर अम्बेडकर ने कानून मंत्री के अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

क्या थी वह वजहें जिसके चलते उन्हें यह कदम उठाना पड़ा? और स्वतंत्र भारत के इतिहास में इस घटना का क्या महत्व है? चलिये जानते है…

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हिंदु कोड बिल और अंबेडकर का इस्तीफा

 

11 अप्रैल 1947 को डॉ बीआर अम्बेडकर ने संविधान सभा के सामने हिन्दू कोड बिल पेश किया।

अम्बेडकर हिन्दू समाज में महिलाओं की स्थिति व उनके अधिकारों को लेकर काफी चिंतित थे। चूँकि उनका मानना था कि किसी भी समाज के विकाश का निर्धारण इस बात से होता है कि उस समाज में रह रही महिलाओं ने कितना विकाश किया। इसलिये हिन्दू समाज में महिलाओं की स्थिति बेहतर करने के उद्देश्य से उन्होंने हिन्दू कोड बिल का निर्माण किया। इस बिल में उन्होंने महिलाओं के लिए संपत्ति में पुरुष के बराबर का अधिकार, वैवाहिक जीवन में तलाक, व पुनर्विवाह जैसे अनिवार्य अधिकारों की बात की।

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9 अप्रैल 1948 को इस बिल को सेलेक्ट कमिटी के पास भेज दिया गया। जिसके बाद फरवरी 1951 में इसे संसद में पेश किया जाना था, लेकिन अम्बेडकर के स्वास्थ्य बिगड़ जाने के कारण इसे सितंबर तक स्थगित कर दिया गया।

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शुरुआत से ही रूढ़िवादी हिन्दू दल इस बिल के खिलाफ थे। और इस बीच उनका विरोध और बढ़ गया। उस वक्त जन संघ के नेता रहे श्यामा प्रसाद मुख़र्जी ने इस बिल को भारतीय संस्कृति के ख़िलाफ़ बताते हुए पब्लिक नोटिस जारी कर दिया।

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आरएसएस व हिन्दू महासभा जैसे संगठनों ने इस बिल का जोरो से विरोध किया। और इसके खिलाफ कई सभाएं की।

तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद भी अपने समय और समाज की रूढ़िवादी सीमाओं के आगे देख पाने में असमर्थ थे, जिस कारण इस बिल में मौजूद विचारों का विरोध किया और बिल को स्थगित करने की बात कही।

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नेहरू इस बिल के समर्थन में थे। लेकिन इस तर्क की उपस्थिति के कि “देश के पहले चुनाव की अनुपस्थिति में तत्कालीन संसद लोगों के द्वारा चुनी गई संसद नही है, इसलिए इसे इतने बड़े फैसले से खुद को रोकना चाहिए,” का जवाब उनके पास नहीं था।

 

father of indian constitution dr. B R ambedkar

 

 

सितंबर में इस बिल के पास न हो पाने से अम्बेडकर काफी आहत हुए। समझौते का जीवन उन्हे कभी स्वीकार नहीं था। इसलिए अपना विरोध दर्ज करने व अन्य कारणों को देखते हुए उन्होंने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।

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बाद में हिन्दू कोड बिल को 4 हिस्सो में बाँट कर लागू किया गया। जो महिलाओं के उत्थान एवं समानता के अधिकार की लड़ाई में क्रांतिकारी साबित हुआ।

यह घटना भारत के इतिहास में कितनी महत्वपूर्ण है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि कानून, न्याय की इतनी समझ रखने वाले अम्बेडकर को अगर कुछ और समय के लिए काम करने दिया जाता। तो देश में न्याय, व समानता की स्थिति और कितनी बेहतर होती?

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