नोएडा में मुआवजे और जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को पुलिस ने दलित प्रेरणा स्थल से जबरन हटाकर हिरासत में ले लिया। राकेश टिकैत ने प्रशासन को चेतावनी दी कि गिरफ्तार नेताओं की रिहाई तक संघर्ष जारी रहेगा। भारतीय किसान यूनियन ने आपात बैठक बुलाई और आंदोलन तेज करने का आह्वान किया। इस कार्रवाई ने जमीन अधिकार के मुद्दे को राष्ट्रीय बहस का विषय बना दिया है।
Noida: नोएडा में किसानों के मुआवजे और जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर चल रहा आंदोलन मंगलवार को उग्र हो गया, जब पुलिस ने दलित प्रेरणा स्थल पर धरना दे रहे 100 से अधिक किसानों को हिरासत में लेकर स्थल खाली करा लिया। किसान दिल्ली की ओर कूच करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोककर दलित प्रेरणा स्थल पर धरना देने की अनुमति दी थी। इसके बावजूद अचानक कार्रवाई करते हुए भारी पुलिस बल ने किसानों को बसों में भरकर दूसरी जगह भेज दिया। पुलिस की इस कार्रवाई ने किसानों में नाराजगी बढ़ा दी है।
राकेश टिकैत का ऐलान: संघर्ष जारी रहेगा
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी कि वह दो घंटे में नोएडा पहुंचेंगे और गिरफ्तार किए गए नेताओं के स्थान पर ही मीटिंग करेंगे। टिकैत ने फेसबुक लाइव के जरिए सरकार पर किसानों के अधिकार कुचलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार आंदोलन को देश के खिलाफ बताने की कोशिश कर रही है, लेकिन किसान शांत नहीं बैठेंगे। टिकैत ने यह भी कहा कि किसानों की आवाज दबाने का प्रयास बड़ा संघर्ष पैदा करेगा।
मुआवजा बढ़ाने की मांग और प्रशासन से वार्ता
किसानों ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के तहत आने वाले गांवों के लिए मुआवजा बढ़ाने की मांग को लेकर 2 दिसंबर को बड़ा प्रदर्शन किया था। दिल्ली मार्च की योजना को अधिकारियों से बातचीत के बाद स्थगित कर दिया गया था, लेकिन किसानों ने दलित प्रेरणा स्थल पर शांतिपूर्ण धरना जारी रखा। पुलिस ने किसानों को मनाकर प्राधिकरण के अधिकारियों से वार्ता करवाई, जिसमें अधिकारियों ने एक सप्ताह का समय मांगा और आश्वासन दिया कि किसानों की मांगें उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के समक्ष रखी जाएंगी। इसके बाद आंदोलनकारियों ने नोएडा एक्सप्रेसवे खाली कर दिया था, लेकिन मंगलवार को उन्हें जबरन हटाया गया।
गिरफ्तारी के बाद बढ़ा रोष, बीकेयू ने बुलाई आपात बैठक
पुलिस की कार्रवाई के बाद भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने सभी किसानों से एकजुट होने की अपील की है। बीकेयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने सिसौली के किसान भवन में आपातकालीन पंचायत बुलाई है। बयान में कहा गया है कि पुलिस ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए अनुचित तरीके से किसानों को गिरफ्तार किया। उन्होंने साफ किया कि यह कदम किसानों की आवाज को दबाने की साजिश है, लेकिन यह तानाशाही ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकती।
आंदोलन ने राष्ट्रीय बहस को जन्म दिया
किसानों की गिरफ्तारी और पुलिस की कार्रवाई ने जमीन के अधिकार और मुआवजे के मुद्दे को एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है। किसानों का कहना है कि उनकी जमीन अधिग्रहित की जा रही है, लेकिन उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा। इस आंदोलन ने यूपी में राजनीतिक और सामाजिक माहौल को गर्मा दिया है।
बड़े आंदोलन के आसार
नोएडा में किसानों और प्रशासन के बीच तनातनी जारी है। जहां एक ओर पुलिस ने धरना स्थल खाली करवाकर स्थिति को काबू में करने की कोशिश की है, वहीं किसानों की नाराजगी और उनके नेताओं की सक्रियता बड़े आंदोलन की ओर इशारा कर रही है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गहराने की संभावना है।
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