EDUCATION : लड़कों को पीछे छोड़ आगे निकली लड़कियां, शिक्षा मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट

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किसी ने सही कहा है, “बोए जाते हैं बेटे और उग आती हैं बेटियां। खाद-पानी बेटों में, लहलहाती हैं बेटियां।” इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि जबकि बेटे प्राइवेट स्कूलों में भेजे जाते हैं, बेटियां सरकारी स्कूलों में पढ़कर भी उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करती हैं।

New Delhi : शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में प्राइवेट स्कूलों में लड़कों की संख्या अधिक है जबकि सरकारी स्कूलों में लड़कियों की। दिलचस्प बात यह है कि लड़कियां हर प्रकार के स्कूलों में लड़कों की तुलना में बेहतर रिजल्ट दे रही हैं। 10वीं कक्षा में लड़कियों का पास प्रतिशत 86.9% है, जबकि लड़कों का 83% है। 12वीं कक्षा में लड़कियों का पास प्रतिशत 86.3% और लड़कों का 78.9% है। यह दर्शाता है कि लड़कियां अकादमिक प्रदर्शन में लड़कों से आगे हैं।

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सरकारी स्कूलों में पढ़कर भी बेटियां आगे

किसी ने सही कहा है, “बोए जाते हैं बेटे और उग आती हैं बेटियां। खाद-पानी बेटों में, लहलहाती हैं बेटियां।” इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि जबकि बेटे प्राइवेट स्कूलों में भेजे जाते हैं, बेटियां सरकारी स्कूलों में पढ़कर भी उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करती हैं। इसके बावजूद, शिक्षा मंत्रालय चाहता है कि सभी स्कूल बोर्ड ऐसे मानक अपनाएं जो सभी छात्रों को समान अवसर प्रदान करें।

सामाजिक भेदभाव स्पष्ट

यह रिपोर्ट दर्शाती है कि समाज में लड़कियों के प्रति पूर्वाग्रह प्रभावी हैं, जहां प्राइवेट स्कूलों में लड़कों की अधिकता और सरकारी स्कूलों में लड़कियों की अधिकता इस पूर्वाग्रह को प्रमाणित करती है। माता-पिता प्रायः बेटों के लिए महंगी शिक्षा को प्राथमिकता देते हैं, जबकि बेटियों की शिक्षा को प्राथमिकता देने में कम रुचि दिखाते हैं, जो इस सामाजिक भेदभाव को स्पष्ट करता है।

लड़कियों का जज्बा

यह सच है कि समाज के पूर्वाग्रह लड़कियों के जज्बे को कमजोर करने के बजाय उन्हें और मजबूत बना रहे हैं। रिपोर्ट का विश्लेषण दिखाता है कि लड़कियां सभी बोर्डों और स्कूलों में, चाहे वे राज्य बोर्ड हों या राष्ट्रीय, प्राइवेट हों या सरकारी, लड़कों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। 10वीं और 12वीं कक्षा में लड़कियों का पासिंग प्रतिशत लड़कों से काफी ज्यादा है, जो उनके समर्पण और मेहनत को दर्शाता है।

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किस विषय में ज्यादा दिलचस्पी?

स्ट्रीम सिलेक्शन के संदर्भ में साइंस आज भी सबसे लोकप्रिय विकल्प है, जहां लगभग 43% छात्र इस स्ट्रीम में शामिल हुए। इसके विपरीत, 34% छात्र आर्ट्स स्ट्रीम में थे। साइंस स्ट्रीम में लड़कों की बहुलता है, जबकि आर्ट्स स्ट्रीम में लड़कियां अधिक संख्या में हैं।

दिलचस्प बात यह है कि पासिंग पर्सेंटेज के मामले में लड़कियां आर्ट्स के साथ-साथ साइंस में भी लड़कों से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।यह आंकड़ा दर्शाता है कि लड़कियां न केवल पारंपरिक दृष्टिकोण से “लड़कियों की स्ट्रीम” में बल्कि विज्ञान जैसी तकनीकी और चुनौतीपूर्ण स्ट्रीम में भी लड़कों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।

 

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