तमिलनाडु में दलित छात्र पर हमला, चंद्रशेखर आज़ाद ने केंद्र -राज्य सरकार से पूछे कड़े सवाल 

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तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां एक दलित छात्र पर तीन युवकों ने बेरहमी से हमला कर दिया और उसके हाथ काटने की कोशिश की। यह घटना केवल जातिवाद नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ एक अपराध है। इस मामले ने एक बार फिर जातिगत हिंसा और भेदभाव के गंभीर रूप को उजागर किया है।

मामले की पूरी जानकारी :

यह घटना शिवगंगा जिले के मेलापिदवूर गांव की है। पीड़ित युवक, अय्यासामी, सरकारी कॉलेज में तीसरे वर्ष का छात्र है। जानकारी के अनुसार 12 फरवरी,बुधवार शाम को जब वह अपनी बुलेट बाइक से घर लौट रहा था, तभी तीन युवकों ने उसे रोका और उस पर बेरहमी से हमला कर दिया।13 फरवरी को तीनो आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया हैं और मामले की जाँच जारी हैं ।
अय्यासामी की मां ने बताया कि हमलावरों ने पहले उसकी जाति को लेकर अपमान किया और फिर हिंसक हमला कर दिया। ग्रामीणों ने किसी तरह उसे बचाया और तुरंत मदुरै राजाजी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसका इलाज चल रहा है।

क्या मेहनत से बाइक खरीदना गुनाह है?

आजाद समाज पार्टी के मुखिया और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने इस घटना पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा:
“तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में एक दलित युवक पर हुआ हमला कोई साधारण घटना नहीं है। यह सिर्फ जातिवाद नहीं, यह इंसानियत के खिलाफ अपराध है। यह हमला जातिवाद की उस जहरीली मानसिकता का प्रमाण है, जो दलितों को सिर्फ गुलाम और कमजोर देखना चाहती है।”
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या मेहनत करके बुलेट खरीद लेना गुनाह है? क्या किसी दलित का अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जीना इतना बड़ा अपराध है कि उसके हाथ काटने की कोशिश की जाए?

जातिवाद: एक सुनियोजित आतंक?

आज भी देश में कई जगहों पर अगर कोई दलित घोड़ी चढ़े, मूंछ रखे, अच्छा घर बनाए, अच्छी गाड़ी चलाए, मंदिर में जाए, तो उसे मार दिया जाता है। यह मानसिकता समाज को सदियों पीछे ले जाती है। जातिवाद को अक्सर सिर्फ एक सामाजिक बुराई के रूप में देखा जाता है, लेकिन क्या यह सिर्फ इतना ही है?
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि जातिवाद केवल एक सामाजिक बुराई नहीं, बल्कि एक सुनियोजित आतंक है, जिसका उद्देश्य दलितों को दबाना, डराना और उनकी प्रगति को रोकना है।

तमिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार से अहम सवाल

इस घटना के बाद चंद्रशेखर आजाद ने तमिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार से कुछ अहम सवाल किए:
तमिलनाडु सरकार से:
1.क्या सिर्फ गिरफ्तारी से न्याय मिल जाएगा? अपराधियों को सजा दिलाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा कब शुरू होगा?
2.पीड़ित के परिवार की सुरक्षा की क्या गारंटी है?
3.क्या तमिलनाडु सरकार जातिवादी हिंसा के दोषियों पर आर्थिक दंड लगाएगी?
केंद्र सरकार से:
1.जातिवादी अपराधी बेखौफ क्यों हैं?
2.जातीय हिंसा को सिर्फ ‘सामाजिक अपराध’ क्यों कहा जाता है? इसे आतंकवाद की श्रेणी में कब रखा जाएगा?
3.दलितों को आत्मरक्षा का कानूनी अधिकार कब मिलेगा?
4.पुलिस सुधार कब होंगे? दलितों पर होने वाली हिंसा में पुलिस की लापरवाही पर विशेष निगरानी कब रखी जाएगी?
5.‘कास्ट मॉब लिंचिंग’ के खिलाफ अलग से कानून लाने की पहल कब होगी? जब धर्म के आधार पर हिंसा को हेट क्राइम माना जाता है, तो जातिवादी हमलों को भी उसी श्रेणी में क्यों नहीं रखा जाता?

बाबा साहेब के सपनों का भारत कब बनेगा?

चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि “परम पूज्य बाबा साहेब ने जिस भारत का सपना देखा था, वह ऐसा नहीं था। जातिवाद की इन बेड़ियों को तोड़ना ही होगा। यह सिर्फ दलितों का संघर्ष नहीं, बल्कि हर न्यायप्रिय नागरिक की जिम्मेदारी है। सरकारें आएंगी-जाएंगी, लेकिन समाज को अपनी सोच बदलनी होगी, नहीं तो ऐसे जख्म बढ़ते ही रहेंगे।”

आपकी राय क्या है?

क्या जातिवादी हिंसा को आतंकवाद की श्रेणी में रखा जाना चाहिए? क्या सरकार को इसके खिलाफ सख्त कानून बनाना चाहिए? अपनी राय कमेंट में साझा करें।

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