नोएडा-ग्रेनो के किसानों का आंदोलनः दलित प्रेरणा स्थल बना किसानों का प्रदर्शन स्थल, बढ़ा मुआवजा और अधिकारों की मांग

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नोएडा-ग्रेनो और यमुना प्राधिकरण के किसान 64.7% अधिक मुआवजा, 10% आबादी भूखंड, पुनर्वास और रोजगार की मांग को लेकर दलित प्रेरणा स्थल पर सात दिन से धरने पर बैठे हैं। दिल्ली कूच की कोशिश के दौरान पुलिस बैरिकेड तोड़ने से महामाया फ्लाईओवर पर जाम लग गया। प्रशासन के साथ बातचीत के बाद किसानों ने सात दिनों की मोहलत दी है। समाधान न मिलने पर आंदोलन और तेज करने की चेतावनी दी गई है।

Kishan Aandolan: नोएडा और ग्रेटर नोएडा के किसानों का आंदोलन इन दिनों अपने चरम पर है। अपनी मांगों को लेकर हजारों किसान पिछले सात दिनों से दलित प्रेरणा स्थल पर धरने पर बैठे हैं। किसानों की प्रमुख मांगों में भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत लाभ, 64.7% अधिक मुआवजा, 10% आबादी भूखंड, पुनर्वास, रोजगार के अवसर और बुलडोजर कार्रवाई पर रोक शामिल हैं। यह आंदोलन तब और तेज हो गया, जब हजारों किसानों ने सोमवार को दिल्ली कूच की कोशिश की। ट्रैक्टर-ट्रॉली और अन्य वाहनों के काफिले के साथ किसान दलित प्रेरणा स्थल पहुंचे और दिल्ली की ओर कूच करने लगे। पुलिस ने सीमाओं पर कड़ी सुरक्षा तैनात कर रखी थी, लेकिन किसानों के गुस्से के आगे बैरिकेडिंग भी न टिक सकी। महामाया फ्लाईओवर पर किसान धरने पर बैठ गए, जिससे नोएडा-दिल्ली के बीच यातायात पूरी तरह बाधित हो गया।

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भारी पुलिस बल की तैनाती, किसानों को रोकने की कोशिश

दिल्ली पुलिस ने संसद सत्र को देखते हुए किसानों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं दी। डीएनडी, कालिंदी कुंज और चिल्ला बॉर्डर समेत सभी सीमाओं पर आरएएफ और पुलिस के जवान मुस्तैद थे। नोएडा के एडिशनल पुलिस कमिश्नर शिवहरि मीणा के अनुसार, आंदोलन को नियंत्रित करने के लिए 5,000 पुलिसकर्मियों, 1,000 पीएससी जवानों, वाटर कैनन, टीजीएस दस्तों और अग्निशमन दल को तैनात किया गया था। इसके बावजूद, किसानों ने पुलिस बैरिकेड तोड़कर महामाया फ्लाईओवर पर कब्जा कर लिया, जिससे चार किलोमीटर लंबा जाम लग गया। इस दौरान डीएनडी, कालिंदी कुंज और चिल्ला बॉर्डर पर गाड़ियों की लंबी कतारें लग गईं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

आंदोलन पर प्रशासन का रुख और किसानों का हौसला

प्रशासन ने किसानों से बातचीत के कई दौर किए। प्राधिकरण ने किसानों को सात दिनों का समय मांगा है, ताकि उनकी मांगों पर विचार किया जा सके। इस पर किसानों ने दिल्ली कूच को फिलहाल स्थगित कर दिया है। किसानों का कहना है कि यह उनकी सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि प्राधिकरण के रवैये के खिलाफ लड़ाई है। अगर सात दिनों में उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तेज होगा।

किसानों का संदेश: “हम अपने अधिकार लेकर रहेंगे”

आंदोलन में जुटे किसानों का कहना है कि यह संघर्ष केवल मुआवजे और भूमि अधिग्रहण के लिए नहीं, बल्कि उनके हक और सम्मान की लड़ाई है। वे 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के तहत सभी लाभ पाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। साथ ही, रोजगार और पुनर्वास की गारंटी के बिना आंदोलन समाप्त करने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने चेतावनी दी है कि सात दिनों में अगर ठोस समाधान नहीं मिला, तो दिल्ली कूच की योजना और उग्र हो सकती है।

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आंदोलन की गूंज: प्राधिकरण और सरकार पर बढ़ा दबाव

यह आंदोलन केवल नोएडा-ग्रेनो तक सीमित नहीं रहा। इसकी गूंज राष्ट्रीय स्तर पर सुनाई दे रही है। प्राधिकरण पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह किसानों की समस्याओं का समाधान जल्द करे। वहीं, दलित प्रेरणा स्थल पर धरना जारी है, और किसान अपने हक की इस लड़ाई में डटे हुए हैं। सात दिनों के भीतर समाधान की उम्मीद है, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ, तो आंदोलन के और बड़े स्तर पर फैलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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