उत्तर प्रदेश के बंडा में पलायन करने को मजबूर दलित परिवार,कानून के रखवालों से नहीं बची न्याय की उम्मीद

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देश भर में महिलाओं की सुरक्षा ,दिव्यांगों को रोजगार, बेहतर समाज का निर्माण और समाज में सभी के साथ समान व्यवहार वाला आश्वासन हर पार्टी और नेता देते हुए दिख जाते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश से रोज़ाना जो तस्वीरें सामने आती है उन्हें देखकर लगता है कि देश की कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। हालिया घटना उत्तर प्रदेश के बंडा जिले से है जहां जातिवादी गुंडों में एक दलित घर में जबदस्ती घुस कर दलित महिला और उसके पति के साथ अभद्रता की और उन्हें जातिसूचक गालियां दी।

महिला ने थाने में दर्ज कराई रिपोर्ट-

पीड़ित महिला ने पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया है कि घटना 4 नवंबर की है जब महिला अपने घर पर थी और गांव का एक युवक उसके घर में घुस आया। उसने महिला के साथ अश्लील हरकतें की इस बीच महिला का पति घर आ गया तो युवक ने महिला के गाल पर काट लिया। महिला के विरोध करने पर उसके पति को घसीटते हुए अपने घर ले जाकर अपने पिता और भाई के साथ मिलकर उसके पति को रस्सी से बांध दिया। इसके बाद खुद ही डायल 112 पर कॉल करके पुलिस को बुलाया और रिपोर्ट दर्ज करा दी।

प्रतीकात्मक तस्वीर (dalit times)

 

बांडा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। पीड़ित दंपति की मेडिकल जांच भी की गई। पीड़ित दंपति ने भी बंडा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी लेकिन थाना प्रभारी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिसके कारण अब दलित महिला और उसका पति गांव से पलायन करने को मजबूर हैं। वहीं दलित महिला ने सरकार से भी न्याय की गुहार लगाई है। महिला का कहना है कि सरकार इस मामले में संज्ञान ले नहीं तो उन्हें अपना गांव छोड़ना पड़ेगा।

दिव्यांग दलित की ज़मीन पर जबरन कब्ज़ा:

वहीं बंडा थाना क्षेत्र में ही एक और दलित परिवार के साथ गांव के सरपंच द्वारा गुंडागर्दी सामने आई हैं।
मामला गांव सिंगापुर पनई का है जहाँ गांव का सरपंच दलित सोलंकी की ज़मीन पर जबरन कब्ज़ा करना चाहता है। दलित व्यक्ति विकलांग है ।

प्रतीकात्मक तस्वीर (dalit times)

पीड़ित का आरोप है कि सरपंच उसकी जमीन पर कब्ज़ा करना चाहता है, मामले में रिपोर्ट दर्ज करवाई लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। पीड़ित को जान से मारने की धमकियां भी मिली मजबूरन उसे कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। वहां से भी अब उसकी न्याय की उम्मीद खत्म हो गई है।

इसलिए अब दोनों परिवार गांव से पलायन करने को मजबूर है। ये हमारी कमज़ोर होती न्यायिक व्यवस्था का परिणाम है कि अब पीड़ित को कानून और कानून के रखवालों से अब न्याय की कोई उम्मीद नहीं बची है।

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