कानपुर में अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने पर मचा भारी बवाल, गैरदलितों ने लगा दिया ग्राम समाज की भूमि कब्जाने का आरोप

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इससे पहले इसी साल फरवरी माह में भी कानपुर में जातिवादियों द्वारा बाबा साहेब की प्रतिमा खंडित किये जाने का मामला सामने आया था। कानपुर के चकरपुर केएस इंटर कॉलेज के पास लगी बाबा साहब की प्रतिमा को अराजक तत्वों ने तोड़ दिया….

KANPUR NEWS : उत्तरप्रदेश में एक विवादित भूमि पर बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने पर गुस्साएं गैर दलित लोगों ने इसका विरोध किया। इस मामले में यह कहा जा रहा है कि जिस भूमि पर प्रतिमा की स्थापना की जा रही थी, वह भूमि किसी बसपा नेता के नाम पर रजिस्टर्ड है, मगर गैर दलित ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम समाज की जमीन पर कब्जा करने के उद्देश्य से बाबा साहेब की प्रतिमा लगवायी जा रही थी। जानते हैं क्या है पूरा मामला।

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दरअसल पूरा मामला उत्तर प्रदेश के कानपुर का है जहां पर बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने पर विवाद खड़ा हो गया। शिवराजपुर थाना क्षेत्र की सखरेज ग्राम पंचायत के सुज्जापुर गांव के रहने वाले बसपा नेता इंद्रेश कुमार गौतम अपने परिवार के साथ लखनऊ में रहते हैं। इंद्रेश कुमार गौतम रविवार के दिन 14 अप्रैल को राष्ट्र निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर जयंती के अवसर पर अंबेडकर की एक प्रतिमा लेकर बिल्हौर कस्बे के एक गांव में अपनी निजी भूमि पर स्थापित करने के लिए ले गये थे।

प्रतिमा स्थापना करने का काम शुरु ही हुआ था कि तभी गांव के गैर दलित लोगों ने ये कहकर प्रतिमा स्थापित करने से मना कर दिया कि बिना परमिशन के प्रतिमा स्थापित नहीं की जा सकती। गैर दलित ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम समाज की जमीन पर कब्जा करने के उद्देश्य से बाबा साहेब की प्रतिमा लगवायी जा रही थी। माहौल इतना गरमा गया कि दलित और गैर दलित लोगों में विवाद बढ़ गया इस घटना से गांव में अशांति का माहौल हो गया। ग्रामीणों की सूचना पर शिवराजपुर थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई और दोनों पक्षों को शांत कराने के बाद प्रतिमा का स्थापना कार्य रुकवा दिया गया। इस मामले को लेकर जांच शुरु की गयी।

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एसीपी अजय त्रिवेदी का बयान

इस घटना के संबंध में एसीपी अजय त्रिवेदी ने बताया कि जमीन की नाप राजस्व टीम द्वारा की जा रही है। बसपा नेता द्वारा अंबेडकर प्रतिमा स्थापित करने के लिए शासन अनुमति नहीं ली गई है, इसलिए प्रतिमा स्थापना का कार्य रुकवा दिया गया।

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नायब तहसीलदार ने क्या कहा ?

नायब तहसीलदार प्रदीप त्रिपाठी ने बताया कि जिस भूमि पर प्रतिमा स्थापित कराई जा रही थी वह बसपा नेता की है। हालांकि इस मामले में यह भी सामने आया है कि शासन से परमिशन के बिना प्रतिमा की स्थापना नहीं की जा सकती। इसलिए मूर्ति स्थापना का कार्य रुकवा दिया गया।

गौरतलब है कि इससे पहले इसी साल फरवरी माह में भी कानपुर में जातिवादियों द्वारा बाबा साहेब की प्रतिमा खंडित किये जाने का मामला सामने आया था। कानपुर के चकरपुर केएस इंटर कॉलेज के पास लगी बाबा साहब की प्रतिमा को अराजक तत्वों ने तोड़ दिया, जिसकी खबर लगने पर भीम आर्मी ने जमकर विरोध दर्ज कराते हुए प्रशासन से आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। मामला इतना गर्मा गया था कि पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा था। कानपुर के सचेंडी थाना इलाके में एक कॉलेज के पास संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को अराजक तत्वों ने तोड़ दिया था।

हालांकि बाबा साहेब की मूर्तिया खंडित किये जाने या न लगाने देने का मामला सिर्फ कानपुर में ही सामने नहीं आया है, बल्कि देशभर में समय समय पर खासकर बहुजन नायकों की जयंती या फिर स्मृति दिवस पर अराजक तत्वों द्वारा ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता रहा है
और पुलिस प्रशासन की भूमिका भी संदेहास्पद रही है।

27 फरवरी को उत्तर प्रदेश के रामपुर जनपद स्थित मिलक इलाके के सिलईबड़ा गांव में अंबेडकर की होर्डिंग लगाने का विवाद इतना बढ़ गया कि इसमें दसवीं में पढ़ने वाले एक दलित छात्र की मौत हो गयी, वो भी पुलिस की गोली से। गौरतलब है कि ग्राम पंचायत की लगभग डेढ़ बीघा जमीन की साफ सफाई कर अम्बेडकर पार्क बनाने के उद्देश्य से दलित समाज ने वहां अम्बेडकर की होर्डिंग लगायी थी, जिस पर विवाद ने हिंसा का रूप अख्तियार कर लिया। सुमेश का रिक्शा चलाने वाला भाई भी वीडियो में चीख-चीखकर कह रहा है कि उसकी हत्या जातिवादियों के ​कहने पर पुलिसवालों ने की है।’

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