बैंकों के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन कर रहे कर्मचारियों के समर्थन में उतरी बसपा प्रमुख मायावती

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बसपा प्रमुख मायावती ने बैंकों के निजीकरण के विरुद्ध हड़ताल कर रहे कर्मचारियों का समर्थन करते हुए कहा कि,”बीएसपी गरीब मेहनतकश जनता का दुख-दर्द समझती है। इसीलिए पूंजीपतियों के धन में विकास के बजाय देश की पूंजी में विकास चाहती है ताकि आमजन व देश का भला हो सके। इसी क्रम में सरकारी बैंकों के निजीकरण की समर्थक नहीं, जबकि भाजपा जल्दबाजी करके निजीकरण में ही व्यस्त, यह अति-दुखद।”

उन्होंने आगे कहा,बैंकों के निजीकरण के विरुद्ध 9 लाख बैंक कर्मचारियों द्वारा अपनी वेतन कटवा कर भी 16-17 दिसम्बर को की गई दो दिन की देशव्यापी हड़ताल, किसानों के आन्दोलन की तरह, जुझारू व प्रेरणादायी। सभी को अपने हक के लिए संघर्ष करना होगा। सरकार बैंक निजीकरण पर पुनर्विचार करे, बीएसपी की माँग।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के करीब 9 लाख कर्मचारी आज से दो दिन की हड़ताल की थीं। निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मचारी हड़ताल पर हैं। हड़ताल के चलते आम लोगों को बैंकिंग से जुड़े कामकाज निपटाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. बैंकों ने ग्राहकों से कहा कि हड़ताल के चलते चेक क्लियरिंग और फंड ट्रांसफर समेत अन्य सेवाओं पर असर पड़ सकता है। यूनियन के नेताओं का कहना हैं कि इस हड़ताल का आह्वान सरकार द्वारा दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के प्रयास के खिलाफ किया गया है।

गौरतलब है कि यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) के तत्वावधान में बैंक यूनियनों ने 2021-22 के बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के प्रस्ताव के खिलाफ दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है. बजट में सरकार ने दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करने की घोषणा की थी।

ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी) के महासचिव सौम्य दत्ता ने कहा कि बुधवार को अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त के समक्ष सुलह-सफाई बैठक विफल रही और यूनियनों ने हड़ताल पर जाने के फैसले को कायम रखा है. सरकार ने बजट 2021-22 में इस साल के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव किया था।

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