बालोतरा हत्याकांड : राजस्थान में कानून-व्यवस्था पर सवाल, गहलोत ने भजनलाल सरकार पर उठाए गंभीर आरोप

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बालोतरा हत्याकांड में दलित युवक विशनाराम मेघवाल की चाकू मारकर हत्या के बाद राजस्थान में कानून-व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। मृतक के परिवार और दलित समाज के लोग न्याय की मांग को लेकर धरने पर हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भजनलाल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के खिलाफ अपराध बढ़े हैं और सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।

राजस्थान के बाड़मेर जिले के बालोतरा में 10 दिसंबर को दलित युवक विशनाराम मेघवाल की चाकू मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना न केवल एक निर्दोष जीवन की समाप्ति का कारण बनी, बल्कि राज्य में दलित समाज के बीच गुस्से और आक्रोश का कारण बन गई है। मृतक के परिवारजनों और दलित समाज के लोग तीन दिन से धरने पर बैठे हैं, और वे आरोपियों की गिरफ्तारी, मुआवजा, और सरकारी नौकरी की मांग कर रहे हैं। मृतक के भाई का एक भावुक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें वह कहते हैं कि “मेरी पत्नी प्रेग्नेंट है, उसने क्या देखा है? उसका बच्चा होने वाला है। हत्या करने वाले ने उसके बच्चे की भी हत्या की है।” इस वीडियो ने पूरे प्रदेश में एक नई बहस छेड़ दी है और राज्य सरकार से ठोस कार्रवाई की मांग उठाई जा रही है।

गहलोत का बयान: दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने इस हत्याकांड पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। गहलोत ने सोशल मीडिया पर लिखा, “बालोतरा में एक दलित युवक की हत्या राज्य में कमजोर होती कानून-व्यवस्था का उदाहरण है। यह बेहद निंदनीय है कि दिनदहाड़े हत्या के मामले में भी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पीड़ित पक्ष को धरना-प्रदर्शन करना पड़ा।” गहलोत ने कहा कि पिछले एक साल में दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के खिलाफ अपराधों में निरंतर वृद्धि हुई है, और राज्य सरकार इस पर कोई ठोस कदम उठाने में नाकाम रही है। उन्होंने सरकार से तत्काल कार्रवाई करने और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग की है।

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भजनलाल सरकार के तहत कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल

गहलोत का यह बयान भजनलाल सरकार को कठघरे में खड़ा करता है, जो कि राज्य की मौजूदा सरकार है। गहलोत का आरोप है कि पिछले एक साल में राज्य में दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्ग के खिलाफ अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हुई है, और सरकार इन अपराधों के प्रति उदासीन रही है। भजनलाल सरकार के तहत कानून-व्यवस्था की स्थिति पर कई सवाल खड़े हो चुके हैं, और गहलोत ने इन सवालों को उठाकर सरकार की नाकामी को उजागर किया है। जबकि भजनलाल सरकार का कहना है कि वे हर अपराध को गंभीरता से लेते हैं, गहलोत का आरोप है कि सरकार की कार्रवाई अक्सर सुस्त और अपर्याप्त रही है।

धरने पर बैठे लोग: मृतक के परिजनों और समाज का आक्रोश

हत्याकांड के बाद मृतक के परिवारजन और दलित समाज के लोग पूरे राज्य में आक्रोशित हैं। धरने में हजारों लोग शामिल हो रहे हैं और सरकार से आरोपी की गिरफ्तारी, मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग कर रहे हैं। धरने में कई प्रमुख नेता भी शामिल हो रहे हैं, जिनमें पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी, गोपाराम मेघवाल, पूर्व विधायक रूपाराम धनदे, पदमाराम मेघवाल और मदन प्रजापत जैसे जनप्रतिनिधि शामिल हैं। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग करते हुए कलेक्ट्रेट के बाहर रैली निकाली और टायर जलाकर विरोध जताया। उन्होंने जिला कलेक्टर और एसपी से ज्ञापन लेने की भी मांग की, लेकिन जब अधिकारी बाहर नहीं आए, तो मृतक के परिजनों ने कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन सौंपा और फिर धरने स्थल पर लौट आए।

प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल

इस घटनाक्रम के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आई। प्रदर्शनकारियों ने जिला कलेक्टर और एसपी के खिलाफ नाराजगी जताई और उन्हें सार्वजनिक रूप से जवाबदेह ठहराने की मांग की। लगभग आधे घंटे तक अधिकारियों के बाहर न आने पर प्रदर्शनकारियों ने कलेक्ट्रेट के बाहर टायर जलाए और प्रशासन के खिलाफ गुस्से का इजहार किया। यह स्थिति प्रशासन की नाकामी और उनकी संवेदनहीनता को उजागर करती है, जिसने समाज में असंतोष और नाराजगी को बढ़ावा दिया।

राजस्थान में दलितों और आदिवासियों पर बढ़ते अपराध

यह घटना अकेली नहीं है, बल्कि राजस्थान में पिछले कुछ महीनों में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अपराधों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली है। अजमेर जिले में एक दलित युवक की हत्या कर दी गई, वहीं जोधपुर में दलित परिवार पर हमला किया गया। इन घटनाओं ने राज्य में दलितों और आदिवासियों के बीच असुरक्षा की भावना को बढ़ाया है। समाज के ये वर्ग अब प्रशासन और सरकार से ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, ताकि भविष्य में ऐसे अपराधों को रोका जा सके।

गहलोत के बयान का राजनीतिक असर

अशोक गहलोत का यह बयान राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। गहलोत ने भजनलाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य सरकार दलितों और आदिवासियों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर ध्यान नहीं दे रही है। गहलोत के इस बयान ने कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी खींचतान को और बढ़ा दिया है। भाजपा ने गहलोत के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार अपराधों को रोकने के लिए लगातार काम कर रही है और इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।

क्या यह मामला राजस्थान में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनेगा?

राजस्थान में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ बढ़ते अपराधों के चलते यह मामला एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। यदि राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर गंभीरता से कदम नहीं उठाए और इस प्रकार की घटनाओं पर नियंत्रण नहीं पाया, तो आगामी विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा महत्वपूर्ण हो सकता है। गहलोत के बयान और विरोध प्रदर्शन ने सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा और असंतोष बढ़ाया है। ऐसे में यह देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर किस तरह की कार्रवाई करती है और क्या वह दलित समाज के विश्वास को फिर से जीतने में सफल होती है।

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राज्य सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत

राजस्थान में बालोतरा हत्याकांड जैसी घटनाओं से साफ जाहिर होता है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है। दलितों और आदिवासियों के खिलाफ बढ़ते अपराधों से समाज में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है। ऐसे में राज्य सरकार को तुरंत ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि इन वर्गों को सुरक्षा का अहसास हो सके और समाज में समानता और न्याय की भावना कायम रहे।

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