दलित महापौर चुनने का अरविंद केजरीवाल ने किया आह्वान, बीजेपी पर लगाया महापौर चुनाव में देरी का आरोप

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अरविंद केजरीवाल ने दलित महापौर चुनने की अपील की है और बीजेपी पर महापौर चुनाव में देरी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति समुदाय को उसका अधिकार दिलाने के लिए जल्द चुनाव कराए जाएं।

आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में महापौर चुनाव को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि दलित समुदाय को उनका हक देने से रोका जा रहा है। केजरीवाल ने साफ तौर पर कहा कि इस बार महापौर पद के लिए अनुसूचित जाति समुदाय के किसी व्यक्ति को चुना जाना था, लेकिन भाजपा की साजिश के चलते यह चुनाव लंबित है। उनका यह बयान उस वक्त आया जब दिल्ली की महापौर शेली ओबेरॉय ने सफाई कर्मचारियों को नियमित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में केजरीवाल का संदेश पढ़ा। इस कार्यक्रम में 607 सफाई कर्मचारियों को नियमित किया गया, जिनमें अधिकांश दलित समुदाय से आते हैं, जिससे यह मुद्दा और भी प्रासंगिक हो गया है।

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दलित समुदाय को उनका अधिकार दिलाने की सियासी लड़ाई

केजरीवाल ने अपने संदेश में कहा कि भारतीय जनता पार्टी जानबूझकर महापौर चुनाव नहीं करा रही है ताकि दलित समुदाय के व्यक्ति को यह जिम्मेदारी न सौंपी जा सके। उनका यह आरोप सीधे-सीधे भाजपा पर निशाना साधते हुए है कि वह अनुसूचित जाति समुदाय को उनके अधिकारों से वंचित करने की साजिश कर रही है। केजरीवाल का मानना है कि दलित समुदाय को महापौर के रूप में प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए था, और इसका टालना एक गंभीर अन्याय है।

दलित महापौर के चयन की सिफारिश

अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे को जनता के सामने रखते हुए अपील की कि दिल्ली में जल्द से जल्द महापौर का चुनाव होना चाहिए और सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अनुसूचित जाति समुदाय के व्यक्ति को यह पद मिले। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा की चालें किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं, क्योंकि यह दलित समुदाय को उनके अधिकारों से वंचित करने का एक सुनियोजित प्रयास है।

एक दलित व्यक्ति महापौर बनेगा

महापौर का चुनाव दिल्ली में अप्रैल से लंबित है, और यह मुद्दा दलित समुदाय के लिए एक प्रतीकात्मक लड़ाई बन गया है। अरविंद केजरीवाल का इस संदर्भ में यह कहना है कि जब एक दलित व्यक्ति महापौर बनेगा, तो यह न केवल उनके अधिकारों का सम्मान होगा, बल्कि यह उन तमाम दलित परिवारों के लिए प्रेरणा बनेगा जो वर्षों से हाशिए पर रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा को इस चुनाव को टालने से कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि यह दलित समुदाय के बीच उनके खिलाफ आक्रोश को और भड़का देगा।

दलितों की राजनीतिक शक्ति को नकारा नहीं जा सकता

केजरीवाल का यह बयान एक व्यापक राजनीतिक संदेश भी है कि अब दलित समुदाय को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। दलितों की राजनीतिक शक्ति बढ़ी है और अब कोई भी राजनीतिक दल उन्हें उनके अधिकारों से वंचित नहीं कर सकता। दिल्ली में एक दलित महापौर का चयन, न केवल दिल्ली की राजनीति में बदलाव लाएगा, बल्कि यह संदेश भी देगा कि दलितों को सशक्त बनाने के लिए सत्ताधारी दल को उनके हितों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।

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इस पूरे प्रकरण में आम आदमी पार्टी की यह कोशिश है कि दलित समुदाय के साथ न्याय हो और उन्हें वह सम्मान मिले, जिसके वे हकदार हैं। महापौर का चुनाव टालने की वजहें चाहे जो भी हों, केजरीवाल ने इसे दलित समुदाय के अधिकारों की लड़ाई बना दिया है। अब यह देखना बाकी है कि भाजपा इस आरोप का जवाब कैसे देती है और दिल्ली के महापौर चुनाव का भविष्य क्या होगा। लेकिन एक बात तय है कि इस मुद्दे ने दलित समुदाय की राजनीतिक शक्ति को फिर से उजागर कर दिया है।

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