राजकोट पुलिस हिरासत में दलित शख्स की मौत के बाद अब पुलिसिया प्रताड़ना से दोस्त की भी मौत, परिवार लगा रहा गंभीर आरोप

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पुलिस कस्टडी में प्रताड़ना के बाद दलित युवक गोपाल राठौड़ की मौत के बाद पुलिसिया टॉर्चर के शिकार उसके दोस्त राजेश सोलंकी ने भी तोड़ा दम, अस्पताल के बाहर दलित-पिछड़े समाज ने किया न्याय के लिए प्रदर्शन—पुलिस पर लगाये गंभीर आरोप…

Custodial death in Gujrat : गुजरात के राजकोट से पिछले दिनों पुलिस हिरासत में बुरी तरह पीटे जाने के बाद एक दलित शख्स गोपाल राठौड़ उर्फ हमीर की मौत का मामला मीडिया की सुर्खियां बना था, अब कथित तौर पर गोपाल राठौड़ के साथ हिरासत में पुलिसिया टॉर्चर के शिकार हुए दूसरे शख्स राजेश सोलंकी की भी मौत हो चुकी है।

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात के राजकोट शहर के खोडियारनगर इलाके में रहने वाले 40 वर्षीय मृतक राजू उर्फ ​​राजेश सोलंकी को उसके पड़ोसियों के साथ झगड़े के बाद 14 अप्रैल की देर रात मालवीयनगर पुलिस स्टेशन की पुलिस अपने साथ ले गयी थी और उन्हें हिरासत में बंद कर दिया गया था। राजेश के परिजनों का आरोप है कि जमानत पर रिहा करने से पहले पीड़ित को पुलिस द्वारा बुरी तरह टॉर्चर किया गया, उन्हें बुरी तरह पीटा गया था।

अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) खाट समुदाय से आने वाले सोलंकी के बेटे जयेश कहते हैं, “मेरे पिता को मालवीयनगर पुलिस स्टेशन ले जाया गया था और वहां उसे बुरी तरह पीटा गया, उनकी जांघ में चोट के निशान बुरी तरह प्रताड़ित किये जाने की गवाही दे रहे थे।’

वहीं इस मामले में सहायक पुलिस आयुक्त राधिका भराई ने मीडिया को दिये बयान में कहा, ‘राजेश सोलंकी को 14 अप्रैल की एक घटना के सिलसिले में पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया था। उन्हें अगले दिन जमानत पर रिहा कर दिया गया था, मगर जब तीन दिन पहले उनकी तबीयत खराब हुई तो हम उन्हें अस्पताल ले गये और 24 अप्रैल को इलाज के दौरान उनक मौत हो गयी।’

बकौल सहायक पुलिस आयुक्त राधिका भराई गुजरात सरकार द्वारा संचालित राजकोट सिविल अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग की एक टीम मृतक सोलंकी के शव का पोस्टमार्टम करेगी।

सोलंकी की मौत के बाद उनके परिवार के सदस्यों और दलित समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और मांग की कि मामले की जांच आईपीएस अधिकारी से करायी जाये। वहीं इस मामले में एसीपी का कहना है कि “हम मृतक सोलंकी के परिवार की शिकायतें सुनेंगे और उचित कार्रवाई करेंगे।”

इस मामले में मीडिया को दिये बयान में पुलिस का कहना है, मृतक सोलंकी और उसके पड़ोसी के बीच झगड़ा हुआ था और शांति व्यवस्था कायम करने की कोशिश के बाद राठौड़ को भी हिरासत में लिया गया था। मालवीयनगर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के अनुसार, जब एक पड़ोसी 15 अप्रैल को रात करीब 1 बजे राठौड़ को मालवीयनगर पुलिस स्टेशन से घर लाया, तो वह अर्ध-बेहोशी की हालत में था। सुबह जब वह नहीं उठे तो परिजन उन्हें निजी अस्पताल ले गये, जहां इलाज के दौरान 16 अप्रैल की सुबह राजेश सोलंकी की मौत हो गई।

राठौड़ के परिजनों ने भी आरोप लगाया था कि हिरासत में पुलिसिया प्रताड़ना के कारण उनकी मौत हो गई थी। हालांकि राठौड़ की मौत के बाद मालवीयनगर पुलिस स्टेशन से जुड़े सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) अश्विन कांगड़ को गिरफ्तार कर लिया गया था और एक स्थानीय अदालत ने एएसआई को दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया था।

वहीं पुलिस आयुक्त ने मीडिया को बताया था कि घटना में शामिल पुलिसकर्मियों की पहचान कर ली गयी है। भार्गव ने दोषियों के ख़िलाफ उचित कार्रवाई करने का भरोसा भी दिलाया था। पुलिस वालों पर आरोप है कि थाने ले जाकर पहले गोपाल राठौड़ को पीटा गया, जिससे वह कोमा में चला गया और अस्पताल ने गोपाल को मृत घोषित कर दिया। हालांकि इस मामले में पुलिस का यह भी दावा है कि दलित समुदाय से आने वाला गोपाल राठौड़ पहले से ही गुर्दे और मधुमेह को लेकर कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थी, हो सकता है यह उसकी मौत का एक बड़ा कारण हो।

वहीं इस मामले में गोपाल राठौड़ की मौत के बाद उसकी पत्नी गीता ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाये थे। अपनी शिक़ायत में गीता ने कहा था कि गोपाल के दोस्त और पड़ोसी राजू सोलंकी नाम के शख़्स का अपने पड़ोसी के साथ झगड़ा हो गया था। राजू ने गोपाल से कहा कि अगर वह हस्तक्षेप करे तो झगड़े को शांत किया जा सकता है, जिसके बाद गोपाल ने हस्तक्षेप किया, लेकिन पुलिस जैसे ही मौके पर पहुंची, उसने गोपाल को पीटना शुरू कर दिया, और अपने साथ उठाकर ले गयी। दूसरे दिन जब गोपाल को घर वापस लाया गया तो वह बेहोशी जैसी हालत में था, उनके शरीर पर चोट के निशान थे। गोपाल को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टर ने जाँच के बाद ब्रेन हेमरेज बताया। गीता की शिक़ायत पर मालवीय नगर पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता के धारा 307 (हत्या का प्रयास), और 323 (जानबूझकर चोट पहुंचना) के तहत मामला दर्ज़ किया गया।

वहीं इस मामले में दलित जाति से संबंध रखने वाले वडगाम विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने गोपाल की हत्या को ‘हिरासत में की गयी हत्या’ का नाम दिया था। उन्होंने कहा था वैसे भी गुजरात हिरासत में हुई हत्या के मामले में पहले स्थान पर है। मेवाणी ने आईपीएस अधिकारी सुधा पांडे को मामले की जाँच सौंपे जाने की माँग की।

गोपाल राठौड़ की मौत मामले में अपने एक्स हैंडल पर जिग्नेश मेवाणी ने लिखा था, ‘राजकोट में दलित युवक की पुलिस हिरासत में मौत या हत्या? कुछ दिनों पहले गुजरात भाजपा के नेता पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा था की “ढोल, गंवार, पशु, शूद्र, नारी; ये तो सब ताडन के अधिकारी।” शूद्रों और महिलाओं की पिटाई की बात करने वाले रुपाला जी के राजकोट शहर की मालवीय नगर पुलिस ने उनकी बात को सार्थक करते हुए हरेश राठौर नाम के दलित युवक को कस्टडी में इतना पीटा की आज उसकी मौत हो गई। यह एक कस्टोडियल हत्या है, जिसमें गुजरात देश में अव्वल स्थान पर है। हमारी मांग है की मामले की जांच शराब, ड्रग्स और जमीन के सौदों में लाखों रुपए कमानेवाले भ्रष्ट अधिकारी के बजाय उन अधिकारियों से कराई जाए जिसकी निष्ठा पर कोई सवाल नहीं उठ सकता। में IPS अधिकारी सुधा पांडे की अध्यक्षता में जांच की मांग करता हूं।जब तक सुधा जी को जांच नहीं सौंपी जाती तब तक पीड़ित परिवार मृतक के मृतदेह का स्वीकार नहीं करेगा। 50 लाख का मुआवज़ा और 6 महीने में स्पेशल कोर्ट में मुकदमे की करवाई पूर्ण करने की मांग भी हम रखते हैं।’

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट 2022 के अनुसार, इस साल देश में कुल 41 मौतें ‘हिरासत में रहते’ हुए हुई हैं, जिनमें से 14 मौतें अकेले गुजरात में हुई हैं। गुजरात ‘हिरासत में मौत’ के मामलों में पूरे देश में पहले स्थान पर है। एनसीआरबी के अनुसार, गुजरात में पिछले सात सालों में दलितों के ख़िलाफ 9,178 मामले दर्ज़ हुए हैं, जोकि पूरे देश में दूसरे स्थान पर रहा है, जबकि उत्तर प्रदेश 15,368 मामलों के साथ पहले स्थान पर है।

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