तमिलनाडु में जातीय हिंसा के शिकार दलित छात्र ने 12वीं बोर्ड परीक्षा में हासिल किये 78 फीसदी अंक, बनना चाहते हैं चार्टर्ड एकाउंटेंट

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जातीय हमले के बाद बुरी तरह डर चुके दलित छात्र चिन्नादुरई ने स्कूल छोड़ने का फैसला कर लिया था, लेकिन उनके स्कूल के शिक्षकों के मार्गदर्शन और परिजनों ने उन्हें पढ़ाई जारी रखने और बोर्ड परीक्षा देने के लिए किसी तरह मनाया, अब वह वाणिज्य में स्नातक की डिग्री हासिल करना चाहते हैं और चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना चाहते हैं…

Dalit student who survived caste-based attack scores 78 Percent in Class 12 Tamil Nadu Board exam : पिछले साल अगस्त में तमिलनाडु के नंगुनेरी का एक दलित छात्र और उसकी बहन सुर्खियों में आये थे, कारण था साथ में पढ़ने वाले तथाकथित उच्च जाति के सहपाठियों द्वारा उनके साथ किया गया जातिगत उत्पीड़न और बुरी तरह पीटा जाना। इस घटना के बाद बारहवीं में पढ़ रहा दलित छात्र चिन्नादुरई इतने ज्यादा खौफ में आ गया था कि उसने आगे पढ़ाई छोड़ने का इरादा कर लिया था, मगर परिजनों के प्रोत्साहन ने उसका हौसला नहीं टूटने दिया, और वह एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस बार कारण है बारहवीं की परीक्षा में उसने 78 प्रतिशत अंक हासिल किये हैं।

यह रिकॉर्ड भी उसने तब बनाया है, जबकि जातिगत हमले का शिकार होने के बाद उसका एक हाथ ठीक नहीं है, वह लिख पाने में सक्षम नहीं है। उस हमले की तमाम गवाहियां उसके शरीर पर मौजूद हैं, पर उसके सपने चोटों से कहीं ज्यादा वजनदार निकले। असिस्टेंट की मदद से परीक्षा देने के बावजूद इतने ज्यादा अंक हासिल किये हैं कि चौतरफा उसकी चर्चा है। अपने हाथों और शरीर पर कई चोटें लगने के कारण वह खुद से लिखने में सक्षम नहीं था। दलित छात्र ने कंप्यूटर एप्लीकेशन में 94 अंक, अंग्रेजी में 93 अंक, अकाउंटेंसी में 85 अंक, वाणिज्य में 84 अंक, तमिल में 71 अंक और अर्थशास्त्र में 42 अंक प्राप्त किए हैं। कुल 600 में से उसने 469 अंक हासिल किये हैं।

जातीय हिंसा के शिकार चिन्नादुरई ने असिस्टेंट की मदद से अपनी परीक्षा दी थी, क्योंकि उसका दाहिना हाथ जिसका हमले के बाद ऑपरेशन किया गया था, अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है। वह वाणिज्य में स्नातक की डिग्री हासिल करना चाहता है और चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने की इच्छा रखता है। तिरुनेलवेली के नंगुनेरी में उनके घर पर, उनके स्कूल के 6 छात्रों ने चिन्नादुरई पर हमला किया, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आयी थीं।

पिछले साल जातीय हिंसा का शिकार हुए चिन्नादुरई और उसकी छोटी बहन अब हालांकि बहुत हद तक उस घटना से उबर चुके हैं, मगर अभी भी उसका खौफ दोनों पर हावी है। इस घटना की जांच में पुलिस ने पाया कि दलित जाति से ताल्लुक रखने वाले भाई-बहन पर चिन्नादुरई के सहपाठियों ने हमला किया था, क्योंकि उसकी मां ने उनके साथ हुए उत्पीड़न के बारे में शिक्षकों से शिकायत की थी। दोनों हाथों और शरीर पर कई चोटों के कारण, लड़के और उसकी बहन का तिरुनेलवेली मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लंबे समय तक इलाज चला, जहां चेन्नई के प्लास्टिक सर्जनों ने उसकी उंगलियों को सामान्य रूप से काम करने के लिए कई सर्जरी कीं। पिछले सितंबर में भी चिन्नादुरई को अपनी त्रैमासिक परीक्षा अस्पताल में लिपिकों की सहायता से लिखनी पड़ी थी।

चिन्नादुरई की मां एक आंगनवाड़ी कार्यकत्री हैं। उस जातिगत हमले के बाद किसी और आंशका को भांपते हुए उन्होंने जिला प्रशासन से अपने बेटे को एक सुरक्षित स्कूल में स्थानांतरित करने की अपील की थी और बाद में उसे 6 दिसंबर को सेंट जेवियर्स हायर सेकेंडरी स्कूल, पलायमकोट्टई में भर्ती कराया गया। उसकी छोटी बहन का मैरी सार्जेंट हायर सेकेंडरी स्कूल, पलायमकोट्टई में एडमिशन कराया गया था।

पिछले नवंबर में उसे पलायमकोट्टई के बाहरी इलाके रेड्डीयारपट्टी में आंगनवाड़ी में स्थानांतरित करने के अलावा सरकार ने पीड़ित की मां को एक मुफ्त घर प्रदान किया था। यह भी घोषणा की गई कि पीड़ितों का शैक्षिक खर्च राज्य द्वारा वहन किया जाएगा।

ईटीवी भारत के साथ हुई बातचीत में चिन्नादुरई ने बताया, “मुझे बहुत खुशी है कि मैंने बारहवीं की बोर्ड परीक्षा परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त किए हैं। जब मैं अस्पताल में इलाज करा रहा था तो शिक्षक मुझे पढ़ाने आते थे। इसी कारण मैं उच्च अंक प्राप्त कर सका। अब मैं जिस स्कूल में पढ़ रहा था, वहां जाति की कोई समस्या नहीं है। बच्चों के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता। मुझे उम्मीद है कि भविष्य में छात्रों के बीच जाति संबंधी कोई समस्या नहीं होगी।’

चिन्नादुरई की छोटी बहन चंद्रा सेल्वी भी जातीय उत्पीड़न का शिकार हुयी थीं और उन्हें भी हमले में चोटें आईं थीं, ने अपने भाई के अच्छे अंक प्राप्त करने पर खुशी व्यक्त की।

जातीय हमले के बाद बुरी तरह डर चुके दलित छात्र चिन्नादुरई ने स्कूल छोड़ने का फैसला कर लिया था, लेकिन उनके स्कूल के शिक्षकों के मार्गदर्शन और परिजनों ने उन्हें पढ़ाई जारी रखने और बोर्ड परीक्षा देने के लिए किसी तरह मनाया। अब वह वाणिज्य में स्नातक की डिग्री हासिल करना चाहते हैं और चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना चाहते हैं।

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