भारत में कैसा होना चाहिए यूनिफोर्म सिविल कोड ?

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अगले साल लोकसभा चुनाव है और इसी की बदौलत UCC इस वक्त चर्चा का सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ। मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक पर UCC को लेकर खासी बहस हो चुकी है या हो रही है। लेकिन यह बहस आपको या तो समर्थन में मिलेगी या बिल्कुल विरोध में। हालांकि UCC को लेकर अभी तक कोई मसौदा पेश नहीं हुआ है सिर्फ़ मुद्दा गरमाया हुआ है।

पूरी वीडियो यहां देखें

लेकिन इस वीडियो में मैं आपको बताने जा रही हूं कि अगर भारत में UCC लागू होगा तो वो कैसा होना चाहिए। UCC जिसे अंग्रेज़ी में यूनिफोर्म सिविल कोड और हिंदी में समान नागरिक सहिंता कहा जाता है। भरतीय जनता पार्टी के मेनिफेस्टो में UCC तब से शामिल है जब भारतीय जनता पार्टी जनसंघ हुआ करती थी। यानी 1967 से।

वीडियो के लिए लिंक पर क्लिक करें :     uniform civil code को लेकर क्या थे बाबा साहेब अंबेडकर के विचार | constituent Assembly OR UCC  

 

ये तो हुआ UCC का इंट्रोडक्शन लेकिन सवाल अब भी वही है कि UCC कैसा होना चाहिए ?? दरअसल UCC का मतलब ही है समान नागरिक सहिंता यानी सबके लिए एक समान कानून। फिर चाहे धार्मिक स्तर पर वो हिन्दू , मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैनी हो या मनुस्मृति मानने वालों के हिसाब से ब्राह्मण , क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र हो। बात संविधान की करें तो संविधान की नज़र में सब पहले से ही एक समान हैं और सबके लिए कानून भी एक ही है।

लेकिन अगर UCC लागू होता है तो सभी धर्मों के लिए शादी, बच्चो को गोद लेना और संपत्ति में बंटवारे को लेकर सभी के लिए एक ही कानून होगा। मगर…जातिवाद का क्या ? क्या UCC से जातिवाद खत्म हो जाएगा ? क्या UCC से दलितों को जातिसूचक गालियों से छुटकारा मिल जाएगा ? क्या UCC से जाति के आधार पर दलितों और आदिवासियों के साथ होने वाले अत्याचार पर लगाम लग जाएगी ?

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क्या UCC से दलितों को ऊंची पोस्ट पर पहुंचता देख जातिवादियों के सीने में दर्द होना बंद हो जाएगा ? क्या UCC से जाति के आधार पर स्कूलों और विश्वविद्यालय में दलित और आदिवासी छात्रों का उत्पीढ़न नहीं होगा ? क्या छात्रों की आत्महत्याएं रूक जाएगी ? क्या UCC आने के बाद ब्राह्म्ण, ठाकुर, बनिया सीवर में उतर कर उस गंदगी को, उस लाचारी को महसूस करेगा जो दलितों के हिस्से आई है ? क्या UCC आने से इनके बीच में रोटी और बेटी का संबंध हो पाएगा ?

अगर समान नागरिक संहिता से ये सब कुछ होगा… जातिवाद खत्म होगा तो ऐसी समान नागरिक संहिता हर किसी को मंज़ूर होगी.. और एक सही नागरिक संहिता ऐसी ही होनी चाहिए..।

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