द्रौपदी मुर्मू का सियासी सफर-पार्षद से राज्यपाल बनने तक, जानिए कैसे लिखी अपने संघर्ष की कहानी

Share News:

दिल्ली ब्यूरो: देश में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव (President Election 2022) इसी महीने की 18 तारीख को होने है. क्योंकि वतर्मान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) का कार्यकाल 24 जुलाई को पूरा हो रहा है. इस बार के चुनाव के लिए एनडीए ने झारखण्ड की पूर्व राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार (President Candidate) बनाया है तो दूसरी तरफ विपक्ष ने बीजेपी सरकार में केंन्द्रीय मंत्री रहे यशवंत सिन्हा (Ex. Union Minister Yashwant Sinha) को उम्मीदवार घोषित किया है, राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया विगत 24 जून को पूरी हो चुकी है. अब सिर्फ चुनाव होना बाकी है, इसके बाद देश को नया राष्ट्रपति मिला जायेगा, बताते चलें कि बीजेपी उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू यदि यह चुनाव जीत जाती है तो वह देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति और आदिवासी समाज की प्रथम महिला राष्ट्रपति बन जाएगी.

आइए आपको बताते है कि राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू कौन है. जानिए उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक सफर के बारे में

द्रौपदी मुर्मू की पारिवारिक पृष्ठभूमि

झारखण्ड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा राज्य के मयूरभंज जिले में 20 जून 1958 को एक आदिवासी परिवार में हुआ था. उनके पिता बिरंची नारायण टुडू आदिवासी परंपराओं के अनुसार गांव के मुखिया थे, द्रौपदी मुर्मू ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा मयूरभंज जिले से पूरी की. इसके बाद भुवनेश्वर स्थित रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. पढ़ाई पूरी होने के उपरांन्त मुर्मू ने बतौर टीचर अपने करियर की शुरुआत की और कुछ दिनों तक इस क्षेत्र में बच्चों को पढ़ाया.

यह भी पढ़ेंआजम खान की पत्नी और बेटे की बढ़ी मुश्किलें, जौहर यूनिवर्सिटी मामले में ईडी करेगी पूछताछ

कुछ समय बीतने के पश्चात उनके पिता बिरंची नारायण टुडू ने द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से कर दिया. द्रौपदी मुर्मू के दो बेटे थे. जिनका कुछ समय के बाद आकस्मिक निधन हो गया था. इसके अलावा उनकी एक बेटी भी है, द्रौपदी मुर्मू दोनों बेटों के निधन से ऊबर भी नही पाई थी कि थोड़े दिनों बाद उनके पति भी इस संसार को छोड़ कर चले गए. द्रौपदी मुर्मू के लिए यह वक्त सबसे कठिन था. लेकिन इस कठिन वक्त में मुर्मू ने हार नही मानी और आदिवासी समाज के उत्थान के लिए राजनीति में कदम रखा.

पार्षद से राज्यपाल बनने तक का सफर

द्रौपदी मुर्मू के राजनीतिक सफर की शुरुआत भाजपा परिवार के साथ हुई. बीजेपी की सदस्यता लेने के बाद मुर्मू ने वर्ष 1997 में रायरंगपुर से नगर पंचायत का चुनाव लड़ी और जीत कर नगर पंचायत पार्षद बन गई, इस जीत के बाद बीजेपी ने मुर्मू को अनुसूचित जनजाति मोर्चा का उपाध्यक्ष बना दिया. उन्होंने ओडिशा के रायगंज विधानसभा सीट से विधायक का चुनाव भी जीता.

इसके बाद साल 2000 से 2002 के बीच ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल की संयुक्त गठबंधन की सरकार बनी. इसमें द्रौपदी मुर्मू को वाणिज्य और परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया. इसके अलावा साल 2002 से 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री के तौर पर सरकार में सहभागी रही, इसके बाद साल 2015 में मुर्मू ने झारखंड के राज्यपाल का पद संभाला. इसके साथ ही वह झारखंड राज्य की प्रथम महिला राज्यपाल बनी गई.

*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *

महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।

  Donate

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *