ईको गार्डन में 69000 शिक्षक भर्ती के भर्तियों का धरना प्रदर्शन जारी है। आंदोलन के 179वें दिन अभ्यर्थियों ने अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है। वे राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट लागू करते हुए नियुक्ति देने की मांग कर रहे हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि जब तक राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं कर दी जाएगी तब तक भूख हड़ताल चलती रहेगी।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बेसिक शिक्षा विभाग के अभ्यर्थियों का आंदोलन तेज होता जा रहा है. बेसिक शिक्षा निदेशालय पर 69000 शिक्षक भर्ती मामले के अभ्यर्थियों धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे पहले भी अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री आवास और बेसिक शिक्षा मंत्री के आवास के पास धरना प्रदर्शन किया थाऔर इसी क्रम में आज प्रदर्शन कर रहे लोगो ने भूख हड़ताल शुरू कर दी हैं.
लखनऊ इको गार्डन में 69k शिक्षक भर्ती घोटाला के आंदोलन में 179वें दिन अभ्यर्थियों ने शुरू की भूख हड़ताल।
अभ्यर्थियों का कहना है कि जब तक राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं कर दी जाएगी तब तक भूख हड़ताल चलती रहेगी।
ASP का पूर्ण समर्थन।#आरक्षण_घोटाला_69000_शिक्षक_भर्ती— Aazad Samaj Party – Uttar Pradesh (@ASP4UP) December 14, 2021
उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती का मामला पिछले दो साल से अभ्यर्थियों हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के बीच चल रहा है. हर रोज एक नया मोड़ सामने आ रहा हैउत्तर प्रदेश में 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में इन अभ्यर्थियों की ओर से 22,000 रिक्त पदों को भी इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल किए जाने की मांग उठाई जा रही है.प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हजारों B.Ed BTC छात्र बेरोजगार भटक रहे हैं. इन पदों को भर्ती प्रक्रिया में जोड़ने से उन्हें नौकरी पाने का अवसर मिल जाएगा.
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यूपी राज्य सरकार ने सुप्रीमकोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था कि प्राथमिक शिक्षकों के 51 हजार से अधिक पद रिक्त हैं और जल्द ही भर्ती की जाएगी एवं शिक्षा मित्रों को एक और मौका दिया जाएगा.प्रदर्शनकारियों कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग में पिछले 2 वर्षों से कोई नई भर्ती नहीं हुई है, जो 68,500 और 69,000 शिक्षकों की भर्ती हुई है. वह सुप्रीम कोर्ट से शिक्षामित्रों के समायोजन रद्द होने की वजह से हुई है. आरटीआई से प्राप्त डाटा के अनुसार प्राथमिक विद्यालयों में अब भी डेढ़ लाख से ज्यादा पद खाली हैं.
*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *
महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।