Mental Health: आपके मन में भी आता है आत्महत्या का विचार? ऐसे इससे बचें

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भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में आत्महत्या के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। खासकर युवा वर्ग, जो नौकरी के दबाव और सामाजिक अपेक्षाओं के बोझ तले दबा हुआ है, आत्महत्या को अंतिम विकल्प मान रहा है। आइए जानते है इससे बचने के तरीके . 

आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में मानसिक दबाव और तनाव लोगों के जीवन का हिस्सा बनते जा रहे हैं। कोई जॉब के दबाव से टूट रहा है तो किसी का व्यक्तिगत जीवन उन्हें निराशा की ओर धकेल रहा है। आत्महत्या के मामलों में इज़ाफा होना इस बात का संकेत है कि लोग मानसिक स्वास्थ्य की अहमियत को समझने में चूक रहे हैं। विशेष रूप से युवाओं के बीच, जहां करियर, शिक्षा, और व्यक्तिगत रिश्तों की चुनौती होती है, आत्महत्या के विचार अधिक आ रहे हैं। बच्चे जब परीक्षा में असफल होते हैं या मनचाहे नंबर नहीं ला पाते, तो उन्हें ऐसा लगता है कि उनकी पूरी दुनिया खत्म हो गई है। इसी तरह, युवा जो नौकरी नहीं मिलने या लगातार असफलताओं का सामना कर रहे होते हैं, उन्हें जीवन एक भारी बोझ की तरह लगने लगता है। रिश्तों में असफलता या दिल टूटने की वजह से भी लोग हताश हो जाते हैं और उन्हें अकेलापन घेर लेता है।

मानसिक बीमारियाँ व्यक्ति को खुद से दूर कर देती हैं

जब कोई व्यक्ति इन मुश्किलों का सामना कर रहा होता है, तो मानसिक स्वास्थ्य पर इनका गहरा प्रभाव पड़ता है। मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि जब किसी के मन में आत्महत्या का विचार आता है, तो वह व्यक्ति बायपोलर डिसऑर्डर, डिप्रेशन, या गंभीर मानसिक समस्याओं का शिकार हो सकता है। ये मानसिक बीमारियाँ व्यक्ति को खुद से दूर कर देती हैं और वे अपनी समस्याओं का सही समाधान ढूंढने के बजाय सबसे घातक कदम उठाने की सोचने लगते हैं।

ऐसी परिस्थितियों में ज़रूरी है कि लोग अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें और किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें। परिवार और दोस्तों का साथ और उनकी समझ भी इस समय बहुत महत्वपूर्ण होती है।

आत्महत्या की रोकथाम: जागरूकता और समाधान

आत्महत्या के विचारों का आना एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि ये विचार अक्सर बायपोलर डिसऑर्डर, डिप्रेशन, या अन्य मानसिक बीमारियों से जुड़े होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी इन समस्याओं का प्रभाव न केवल व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है, बल्कि उनके परिवार और समाज पर भी इसका गहरा असर होता है। जब कोई व्यक्ति अपने मन में आत्महत्या के विचारों को पनपता देखता है, तो यह संकेत है कि उसे तुरंत सहायता की आवश्यकता है।

हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य आत्महत्या के विचारों से जूझ रहे लोगों को जागरूक करना और उन्हें यह समझाना है कि वे अकेले नहीं हैं। दुनिया भर में इस दिन को मनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम, वर्कशॉप्स, और कैंप आयोजित किए जाते हैं, जहां लोग मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझते हैं और एक-दूसरे के अनुभवों को साझा करते हैं।

आत्महत्या के कारण: एक गंभीर समस्या

आत्महत्या के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं, और इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

डिप्रेशन का शिकार: क्रॉनिक डिप्रेशन, यानी लंबे समय तक चलने वाला मानसिक तनाव, कई लोगों को आत्महत्या के विचारों की ओर धकेलता है। ऐसे व्यक्ति अक्सर खुद को निराश, अकेला और बेबस महसूस करते हैं। हर छोटी समस्या को वे बड़ा बना देते हैं और हर स्थिति के लिए खुद को दोषी मानते हैं। इस मायूसी से निकलने के लिए उनकी सोच नकारात्मक हो जाती है, जो उन्हें आत्महत्या की सोच की ओर ले जा सकती है।

लंबी शारीरिक बीमारियों से ग्रस्त: ऐसे लोग जो लंबे समय से गंभीर शारीरिक बीमारियों से जूझ रहे होते हैं, अक्सर असहाय और कमजोर महसूस करते हैं। उनकी स्थिति को देखकर अन्य लोग दया की भावना व्यक्त करते हैं, जो उन्हें और भी कमजोर बना देता है। ऐसे में, जब वे दूसरों पर निर्भर महसूस करते हैं, तो जीवन की चुनौतियों का सामना करना उनके लिए मुश्किल हो जाता है, जिससे आत्महत्या का विचार पनप सकता है।

नशा करने वाले लोग: अल्कोहल, स्मोकिंग और अन्य नशे की लत में पड़े लोग भी आत्महत्या के विचारों का शिकार होते हैं। नशा न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है। नशे के चलते व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है, और वह आत्महत्या जैसे घातक कदम उठाने के लिए प्रेरित हो सकता है।

इंपल्सिव पर्सनैलिटी: ऐसे व्यक्ति जो छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करते हैं और अपनी बातों को सही मानते हैं, वे पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का शिकार हो सकते हैं। ये लोग अपने आवेगों को काबू में नहीं रख पाते और गंभीर परिस्थितियों में गलत निर्णय लेते हैं, जिससे आत्महत्या का खतरा बढ़ जाता है।

आत्महत्या के विचारों को कंट्रोल करने के उपाय

आत्महत्या के विचारों को नियंत्रित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपायों पर ध्यान देना आवश्यक है। ये उपाय न केवल मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं, बल्कि जीवन की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता को भी बढ़ाते हैं।

संकेतों की पहचान करें: आत्महत्या के विचारों का सामना कर रहे लोगों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे अपने मानसिक स्वास्थ्य के संकेतों को पहचानें। तनाव के कारण, कुछ लोग हर पल मरने का ख्याल रखते हैं, जिससे वे बोझिल और निराश महसूस करते हैं। जब कोई व्यक्ति खुद को आइसोलेट कर लेता है या उसकी खानपान की आदतें बदल जाती हैं, तो यह चिंता का संकेत हो सकता है। ऐसे संकेतों की पहचान करना आवश्यक है, ताकि किसी विशेषज्ञ से समय पर सलाह ली जा सके।

लोगों से मिले जुलें: जब समस्याएं बढ़ती हैं, तो उनसे निराश होने की बजाय, अन्य लोगों से बात करें। अपनी समस्याओं को साझा करने से न केवल मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि समस्या का समाधान भी मिल सकता है। समाज में जुड़ाव रखने वाले लोग, जो अपने अनुभव साझा करते हैं, उनमें आत्महत्या के विचारों का खतरा कम होता है। सप्ताहांत में आउटिंग पर जाएं और कार्यस्थल पर सहकर्मियों से संबंध बढ़ाएं।

सेल्फ केयर पर ध्यान दें: दूसरों की बातों को मन में बैठाकर चिंता करने की बजाय, अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें। स्वस्थ खानपान, पर्याप्त नींद, और नियमित व्यायाम से आप न केवल अपने शरीर को फिट रख सकते हैं, बल्कि अपने मानसिक स्वास्थ्य को भी मजबूत कर सकते हैं। जब आप खुद को सक्रिय और स्वस्थ महसूस करते हैं, तो आत्महत्या जैसे विचारों से दूर रहना आसान हो जाता है। शरीर को हाइड्रेटेड रखना और पौष्टिक आहार लेना हैप्पी हार्मोन रिलीज करता है, जो नकारात्मक विचारों को कम कर देता है।

मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें: यदि मन में बार-बार आत्महत्या के विचार आ रहे हैं, तो उन्हें दबाने के बजाय एक साइकोलॉजिस्ट से मिलें। यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने विचारों और भावनाओं को समझें। लंबे समय तक चलने वाला डिप्रेशन इस समस्या का एक बड़ा कारण बन सकता है। इसके लिए आपको थेरेपी लेनी चाहिए और चिकित्सक द्वारा सुझाई गई दवाओं का सेवन करना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना ही आपकी जिंदगी को सकारात्मक दिशा में ले जाने में मदद करेगा।

इन उपायों को अपनाकर, आप न केवल आत्महत्या के विचारों को नियंत्रित कर सकते हैं, बल्कि जीवन की चुनौतियों का सामना भी मजबूती से कर सकते हैं। याद रखें, मदद मांगना और अपनी भावनाओं को साझा करना कभी भी कमजोरी नहीं है; यह आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

 

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